PayU ने कैंसिल किया BillDesk का अधिग्रहण, खटाई में पड़ी 4.7 अरब डॉलर की डील
अगर बिलडेस्क से हुई डील प्रोसेस हो जाती तो यह PayU का चौथा भारतीय अधिग्रहण होता। इसने 2016 में साइट्रस पे (Citrus Pay) 2019 में विबमो (Wibmo) और 2020 में PaySense का अधिग्रहण किया था। बिलडेस्क को बैंकिंग वित्तीय सेवाओं और बीमा (बीएफएसआई) सेक्टर में एकाधिकार हासिल है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। PayU ने बिलडेस्क से साथ हुई अधिग्रहण की डील कैंसिल कर दी है। PayU की मालिक प्रोसस एनवी (Prosus NV0 ने भारतीय भुगतान कंपनी बिलडेस्क (Billdesk) का अधिग्रहण करने के लिए 4.7 अरब डॉलर (करीब 38,400 करोड़ रुपये) का सौदा यह कहते हुए रद कर दिया है कि कुछ शर्तों को पूरा नहीं किया गया है।
दक्षिण अफ्रीकी बहुराष्ट्रीय कंपनी नैस्पर की वैश्विक निवेश शाखा प्रोसस के इस फैसले से भारतीय फिनटेक बाजार में बिलडेस्क के प्रसार को धक्का लगा है। पिछले साल 31 अगस्त को पेमेंट गेटवे पेयू ने भारत के तेजी से बढ़ते फिनटेक क्षेत्र में अपने कारोबार विस्तार करने के लिए नकद सौदे में बिलडेस्क के अधिग्रहण की घोषणा की थी।
क्यों रद हुआ सौदा
प्रोसस ने एक बयान में कहा है कि यह लेन-देन भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की मंजूरी सहित विभिन्न शर्तों के अधीन था। पेयू ने 5 सितंबर, 2022 को सीसीआई की मंजूरी हासिल कर ली, लेकिन कुछ शर्तों को 30 सितंबर, 2022 की डेड लाइन तक पूरी नहीं किया। इसका मतलब यह हुआ कि डील पूरी नहीं और इस वजह से समझौता अपनी शर्तों के अनुसार ऑटोमैटिक खत्म हो गया है।
प्रतिस्पर्धा आयोग ने हाल में दी थी मंजूरी
आपको बता दें कि PayU द्वारा बिलडेस्क (BillDesk) का अधिग्रहण करने के सौदे के एक साल बाद भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने हाल ही में 4.7 अरब डॉलर के इस मर्जर को मंजूरी दी थी। इस मेगा डील को भारतीय रिजर्व बैंक से अंतिम नियामकीय मंजूरी का इंतजार था। 2018 में वॉलमार्ट द्वारा ई-कॉमर्स प्रमुख फ्लिपकार्ट के अधिग्रहण के बाद भारतीय इंटरनेट सेवा क्षेत्र में यह दूसरी सबसे बड़ी खरीद थी।
2000 में एमएन श्रीनिवासु, अजय कौशल और कार्तिक गणपति द्वारा स्थापित बिलडेस्क भुगतान करने, भुगतान स्वीकार करने और पैसे के कलेक्शन पर केंद्रित है। यह भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के माध्यम से बिलर नेटवर्क की सेवाएं देता है। इस सौदे की घोषणा एक साल पहले 31 अगस्त, 2021 को की गई थी।
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