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तीन मई से देशभर में मिलेगी मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की सुविधा

मोबाइल उपभोक्ता तीन मई से देशभर में कहीं भी मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। इसके तहत उपभोक्ताओं को अपना ऑपरेटर बदलने की सुविधा मिलती है, जबकि उनका मोबाइल नंबर कायम रहता है। इसके लिए भारतीय दूरंसचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने एमएनपी के नियमों में संशोधन किया

By Edited By: Published: Wed, 25 Feb 2015 10:06 PM (IST)Updated: Thu, 26 Feb 2015 09:46 AM (IST)
तीन मई से देशभर में मिलेगी मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी  की सुविधा

नई दिल्ली। मोबाइल उपभोक्ता तीन मई से देशभर में कहीं भी मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। इसके तहत उपभोक्ताओं को अपना ऑपरेटर बदलने की सुविधा मिलती है, जबकि उनका मोबाइल नंबर कायम रहता है। इसके लिए भारतीय दूरंसचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने एमएनपी के नियमों में संशोधन किया है। फिलहाल उपभोक्ताओं को उनके दूरसंचार सर्कल में ही मोबाइल नंबर पोर्ट कराने की अनुमति है। ज्यादातर मामलों में यह राज्य तक सीमित रहता है।

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आगे से ऐसा नहीं होगा। अगर किसी व्यक्ति का ट्रांसफर दिल्ली से चेन्नई हो जाता है तो वह अपनी पसंद से कोई भी ऑपरेटर चुन सकता है, जबकि उसका पुराना दिल्ली वाला नंबर कायम रहेगा। ट्राई की तरफ से बुधवार को जारी बयान में कहा गया कि दूरसंचार एमएनपी नियमन, 2009 में संशोधन किया गया है। इसकी बदौलत तीन मई, 2015 से देशभर में पूर्ण मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की सुविधा मिलेगी। दूरसंचार विभाग ने (डॉट) ने तीन नवंबर, 2014 को एमएनपी लाइसेंस करार में संशोधन जारी किया था। तब कहा गया था कि देशभर में एमएनपी का कार्यान्वयन लाइसेंस में संशोधन की तारीख के छह माह के भीतर होगा।

बीएसएनएल घटाएगी कॉल दर

ट्राई के हालिया फैसलों को देखते हुए सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों- बीएसएनएल और एमटीएनएल ने अप्रैल से अपनी कॉल दरें घटाने की योजना बनाई है। इसी तरह की तैयारी निजी क्षेत्र की मोबाइल ऑपरेटर वीडियोकॉन की भी है।

बीएसएनएल के सीएमडी अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि ट्राई की ओर से इंटरकनेक्शन चार्ज हटाने की वजह से कंपनी उपभोक्ताओं को कॉल दरों के मामले में रियायत दे सकेगी। इसी हफ्ते दूरसंचार नियामक ने नेटवर्क इंटरकनेक्शन शुल्क हटाने का फैसला किया था। बीस पैसे प्रति मिनट का यह शुल्क हर लैंडलाइन फोन सेवा देने वाली कंपनी को अन्य सेवा प्रदाताओं को चुकाना पड़ता था। इसके अलावा इंटरकनेक्शन यूसेज चार्ज (आइयूसी) को भी 30 प्रतिशत घटाकर 14 पैसे प्रति मिनट किया गया था।

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