Health Insurance कवरेज में सिर्फ छह फीसद बुजुर्ग, सबसे ज्यादा केरल के बुजुर्गों की हैं हिस्सेदारी
आज के समय में मेडिकल खर्चों को कम करने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस बहुत आवश्यक होता है। देश में कई लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस नहीं है। हेल्थ इंश्योरेंस ...और पढ़ें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बीमा सेक्टर का निजीकरण किये हुए 23 वर्ष हो गये। इस दौरान देश में सरकार व निजी क्षेत्र की दर्जनों बीमा कंपनियां काम करती हैं। इनकी तरफ से बुजुर्गों के लिए कम से कम 15 तरह की विशेष हेल्थ बीमा पॉलिसियां की शुरुआत भी की गई है। केंद्र सरकार की तरफ से पीएम जन आरोग्य योजना की भी शुरुआत की गई जो देश की बड़ी आबादी को हेल्थ बीमा की सुविधा देती है।
कई राज्यों की तरफ से भी हेल्थ बीमा स्कीम चलाये जा रहे हैं। लेकिन इस सभी के बावजूद देश के अधिकांश बुजुर्गों के पास हेल्थ बीमा की कोई सुविधा नहीं है। पिछले वित्त वर्ष जितनी हेल्थ बीमा पॉलिसियां बेची गई उनमें बुजुर्गों की हिस्सेदारी सिर्फ 6.15 फीसद है। साफ है कि बुजुर्गों के पास बीमार होने पर अपनी बचत की राशि से इलाज करने या दूसरे के भरोसे रहने के अलावा और कोई चारा नहीं है। यह आंकड़ा पिछले दिनों वित्त मंत्रालय की तरफ से लोकसभा में दिया गया है तो बताता है कि हेल्थ बीमा को लेकर कुछ नई सोच ले कर आना होगा।
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सरकार की तरफ से दी गई सूचना के मुताबिक स्टार हेल्थ, टाटा एआईजी लाइफ इंश्योरेंस, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, न्यू इंडिया इंश्योरेंस, बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस, एचडीएफसी एर्गो जनरल, नीवा बुपा हेल्थ इंश्योरेंस, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल, यूनिवर्सल सोम्पो जनरल जैसी दर्जन भर कंपनियों की तरफ से खास तौर पर बुजुर्गों के लिए 15 बीमा उत्पाद बाजार में लांच किये गये हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार की तरफ से लांच की गई आयुष्मान भारत (एबी-पीएमएवाई) स्कीम भी है और राज्य सरकारों की अपनी स्कीम भी अलग-अलग है।
एबी-पीएमएवाई के तहत पांच लाख रुपये तक का हेल्थ बीमा कवरेज दिया जा रहा है। पीएमएवाई के तहत 6.14 बुजुर्गों को आयुष्मान कार्ड जारी हुए हैं। इसके अलावा हेल्थ बीमा उत्पादों की बिक्री बीमा कंपनियां कर रही हैं। इन कंपनियों की तरफ से वर्ष 2022-23 में कुल 18.01 करोड़ लोगों को हेल्थ बीमा दिया गया है जिनमें बुजुर्गों की संख्या 1.11 करोड़ है जो 6.14 फीसद होता है।केंद्र सरकार का यह आंकड़ा तब आया है जब बीमा क्षेत्र की नियामक एजेंसी इरडा ने भी देश में हेल्थ बीमा के बेहद कम अनुपात पर चिंता जताई है। वैसे समग्र तौर पर बीमा पालिसियां का अनुपात भारत में अभी भी काफी कम है।
इरडा के सदस्य (जीवन बीमा) बी सी पटनायक का कहना है कि
हेल्थ बीमा पर प्रीमियम भुगतान प्रति भारतीय सिर्फ पांच डॉलर है जबकि चीन में औसतन हर नागरिक 66 डॉलर का प्रीमियम हेल्थ बीमा के लिए देता है। स्वास्थ्य पर अपनी जेब से खर्च करना एक बहुत बड़ा कारण है कि लोग गरीब हो जाते हैं। दुनिया में औसत हेल्थ बीमा कवरेज के मुकाबले भारत का अनुपात बहुत ही कम है।


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