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    तेल कंपनियों ने छह महीने कमाया बंफर मुनाफा, कीमतों में कटौती के सिवाय इनर्जी वीक में हो रही हर चीज पर बात

    इंडिया इनर्जी वीक (आइईडब्लू) में दुनिया के 120 देशों के प्रतिनिधि व ऊर्जा सेक्टर के विशेषज्ञ आये हुए हैं। यहां पर ऊर्जा सेक्टर से जुड़े हर विषय जैसे ऊर्जा सुरक्षा ग्रीन हाइड्रोजन के भविष्य विदेशों में हाइड्रोकार्बन संपत्ति अधिग्रहित करने की रणनीति बड़ी तेल कंपनियों की तरफ से ग्रीन ऊर्जा को अपनाने की रणनीति आदि पर पर चर्चा हो रही है।

    By Ankita Pandey Edited By: Ankita Pandey Updated: Wed, 07 Feb 2024 10:19 PM (IST)
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    पेट्रो कीमतों में कटौती के सिवाय इनर्जी वीक में हो रही हर चीज पर बात

    जयप्रकाश रंजन, बेतुल (गोवा)। गोवा के बेतुल में स्थित ओएनजीसी के कैंपस में चल रहे इंडिया इनर्जी वीक (आइईडब्लू) में दुनिया के 120 देशों के प्रतिनिधि व ऊर्जा सेक्टर के विशेषज्ञ आये हुए हैं। यहां पर ऊर्जा सेक्टर से जुड़े हर विषय जैसे ऊर्जा सुरक्षा, ग्रीन हाइड्रोजन के भविष्य, विदेशों में हाइड्रोकार्बन संपत्ति अधिग्रहित करने की रणनीति, बड़ी तेल कंपनियों की तरफ से ग्रीन ऊर्जा को अपनाने की रणनीति आदि पर पर चर्चा हो रही है लेकिन उस विषय पर कोई चर्चा नहीं हो रही जो सीधे तौर पर देश के करोड़ों लोगों को प्रभावित करता है।

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    यह विषय है देश में पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमतों में कटौती का मामला। वित्त वर्ष 2023-24 के पहले छह महीनों में सरकारी क्षेत्र की तीनों तेल मार्केटिंग कंपनियों को हुए भारी मुनाफे (संयुक्त शुद्ध लाभ-तकरीबन 68,000 करोड़ रुपये) के बावजूद उनकी तरफ से आम जनता को राहत देने की कोई बात नहीं की जा रही।

    पेट्रोल और डीजल की कीमतों में मुनाफा

    कुछ हफ्ते पहले तक पेट्रोल पर 10 रुपये और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर का मुनाफा कमाने वाली इन तीनों कंपनियों (आइओसी, बीपीसीएल व एचपीसीएल) का कहना है कि उन्हें अब डीजल बिक्री में घाटा हो रहा है।देश में पेट्रो उत्पादों के सस्ता होने की संभावना से जुड़े सवाल पर सरकारी तेल कंपनियों के अधिकारी खुल कर कुछ नहीं बोल रहे।

    पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि यह एक तार्किक सवाल है लेकिन इसका जबाव तेल कंपनियां उचित समय पर देंगी। सरकार इस बारे में कोई फैसला नहीं करती। उनका यह कहना है कि हाल में तेल कंपनियों को जो मुनाफा हुआ है वह कोई बहुत ज्यादा नहीं है।

    वैसे भी वैश्विक हालात बहुत ज्यादा अस्थिर हैं जिसकी वजह से कोई भी फैसला करना आसान नहीं है। जहां तक बंपर मुनाफे का सवाल है तो अगर ऐसी ही स्थिति चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च, 2024) में भी रहती है तो कंपनियां कीमतों में संशोधन कर सकती हैं।

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    सरकारी तेल कंपनियां किस कीमत पर तेल खरीद रही हैं और खुदरा कीमत तय करने में किस कीमत को आधार बनाया जा रहा है, यह पूरा फार्मूला ही बहुत ही उलझा हुआ है। पेट्रोलियम मंत्रालय के डाटा के हिसाब से जाएं तो चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत ने जून, 2023 में सबसे सस्ती कीमत (औसत मासिक कीमत) पर 74.93 डॉलर प्रति बैरल की दर से क्रूड खरीद की जबकि सबसे महंगी कीमत सितंबर, 2023 में 93.54 डॉलर प्रति बैरल की दी है।

    सरकारी तेल कंपनियों खूब मुनाफा

    पहले के दस महीनों में सिर्फ दो महीने ही 90 डॉलर से ज्यादा कीमत दी गई है। जनवरी में यह कीमत 79.22 डॉलर प्रति बैरल की रही है। कहने की जरूरत नहीं कि जब अप्रैल से सितंबर, 2023 के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड 75 डॉलर के करीब थी तब सरकारी तेल कंपनियों ने खूब मुनाफा कमाया है। यहीं वजह है कि पहले नौ महीनों में तीनों तेल मार्केटिंग कंपनियों का शुद्ध मुनाफा इसके पिछले वर्ष के दौरान इनकी समूचे राजस्व (39,356 करोड़ रुपये) से ज्यादा रही है।

    वर्ष 2022-23 में इन्हें कुल 21,201 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।देश में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कंपनियों ने अप्रैल, 2022 के बाद से कोई बदलाव नहीं किया है। अंतिम बदलाव 06 अप्रैल, 2022 को किया गया था और तब बताया गया था कि घरेलू बाजार में पेट्रोल की बिक्री में 17 रुपये प्रति लीटर और डीजल में 26-27 रुपये प्रति लीटर का घाटा हो रहा है। तब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था।

    मई, 2022 में केंद्र सरकार ने उत्पाद शुल्क में कटौती करके तेल कंपनियों को 10 रुपये प्रति लीटर की राहत दी थी। उसके बाद से घरेलू बाजार में कीमतें स्थिर हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी इसे एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा है कि दो वर्षों में भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की खुदरा कीमतों में कमी हुई है। जबकि इस दौरान दुनिया के कई देशों में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों मे भारी अस्थिरता रही है और वहां इनकी किल्लत भी हुई है। भारत में कहीं भी पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति में कोई कमी नहीं हुई है।

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