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    वर्क फ्रॉम होम नहीं अब 'वर्क फ्रॉम हिल्स' करिए...यहां लैपटॉप खोलते ही दिखेंगी वादियां; खर्चा सिर्फ 6000 रुपए!

    Updated: Sun, 17 Aug 2025 02:20 AM (IST)

    सिक्किम के याकतेन गांव (Yakten Village) का मौसम सालभर सुहावना रहता है। गर्मियों में तापमान लगभग 24°C और सर्दियों में 4°C तक रहता है। यहां अब हाई-स्पीड वाई-फाई 24 घंटे बिजली और काम करने के लिए आरामदायक स्पेस मौजूद हैं। वर्क फ्रॉम होम करने और घूमने-फिरने वालों के लिए यह गांव पूरी तरह रेडी हो चुका है।

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    अब वर्क फ्रॉम होम नहीं 'वर्क फ्रॉम हिल्स' करिए...यहां लैपटॉप खोलते दिखेंगी वादियां।

    नई दिल्ली | सोचिए, सोमवार की सुबह है और अलार्म बजते ही दिमाग में ट्रैफिक, मीटिंग्स और डेडलाइन का बोझ आ जाता है। लेकिन क्या हो अगर यही काम आप किसी खूबसूरत पहाड़ी गांव में, सामने बर्फ से ढकी चोटियां देखकर और ताज़ी हवा में सांस लेते हुए कर पाएं तो? जी हां, सिक्किम (Sikkim) के छोटे से गांव याकतेन (Yakten Village) ने इसे हकीकत बना दिया है।

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    जहां कभी इलायची की खुशबू महका करती थी, अब वहां लैपटॉप पर कीबोर्ड की टाइपिंग और वीडियो कॉल्स की आवाज़ गूंज रही है। यह गांव देश का पहला 'डिजिटल नोमैड विलेज' (Digital Nomad Village) बन गया है, जहां अब कॉरपोरेट प्रोफेशनल्स, फ्रीलांसर और रिमोट वर्कर्स लैपटॉप लेकर पहाड़ों की गोद में काम कर सकते हैं। गांव पूरी तरह रेडी हो चुका है।

    क्या है याकतेन की खासियत?

    याकतेन गांव का मौसम सालभर सुहावना रहता है। गर्मियों में तापमान लगभग 24°C और सर्दियों में 4°C तक रहता है। यहां अब हाई-स्पीड वाई-फाई, 24 घंटे बिजली और काम करने के लिए आरामदायक स्पेस मौजूद हैं। 

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    18000 रुपए प्रति माह खर्च

    गांव में 8 होमस्टे और 18 कमरे हैं। कोई भी व्यक्ति यहां 6,000 रुपए प्रति हफ्ता या 15,000 रुपए प्रति महीना खर्च कर ठहर सकता है। लंबे समय तक रहने वालों के लिए इसमें लोकल कल्चरल एक्टिविटीज़ भी शामिल की गई हैं। कुछ होम स्टे नाश्ता और खाने तक की सुविधा दे रहे हैं तो वहीं कुछ अलग से चार्ज कर रहे हैं।

    कैसी है याकतेन की कनेक्टिविटी?

    याकतेन गांव की कनेक्टिविटी भी आसान है। यह गंगटोक से सिर्फ 30 किलोममीटर, बागडोगरा एयरपोर्ट से 125 किमी और न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन से 140 किमी दूर है। जहां से आप टैक्सी के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं।

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    ग्रामीणों के लिए वरदान बना याकतेन

    अब तक याकतेन इलायची की खेती और सीज़नल टूरिज़्म पर निर्भर था। लेकिन 'डिजिटल नोमैड्स' के आने से होमस्टे मालिकों की कमाई सालभर होगी और उनकी आय तीन से पांच गुना तक बढ़ सकती है। सांसद इंद्रा हैंग सुब्बा ने इसे 'टूरिज़्म विद पर्पस' करार दिया है।

    ...तो दूसरे गांवों में शुरू होगा प्रोजेक्ट

    एक स्थानीय एनजीओ के संस्थापक प्रेम प्रकाश बताते हैं कि यह पहल सिक्किम को साउथ एशिया का डिजिटल नोमैड हब बना सकती है। तीन साल का यह पायलट प्रोजेक्ट सफल हुआ तो अन्य गांवों तक भी फैलाया जाएगा। पुर्तगाल, बाली और थाईलैंड जैसे देशों ने पहले ही डिजिटल नोमैड टूरिज़्म से अपनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था बदली है। अब सिक्किम का याकतेन भी उसी राह पर चल पड़ा है। 

    राज्य सरकार की पहल है "नोमैड सिक्किम"

    यह पहल सिक्किम सरकार की "नोमैड सिक्किम" (Nomad Sikkim) प्रोजेक्ट के तहत शुरू हुई है। इसका मकसद बढ़ती हुई डिजिटल नोमैड आबादी को आकर्षित करना है। फिलहाल भारत में ऐसे करीब 17 लाख लोग हैं, जो दुनिया भर के डिजिटल नोमैड्स का लगभग 2% हिस्सा हैं।

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