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    DND को लेकर नोएडा अथॉरिटी और नोएडा टोल कंपनी फिर आमने-सामने, जानिए अब किस बात पर हुई लड़ाई? आप पर क्या असर?

    नोएडा अथॉरिटी और नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड के बीच एक दिल्ली-नोएडा डायरेक्ट (DND Toll Dispute) और कानूनी विवाद शुरू हो सकता है। नोएडा अथॉरिटी ने NTBCL से DND की संपत्तियां लौटाने के लिए एक लेटर लिखा। अब इस लेटर पर NTBCL का जवाब आया है। उसका कहना है कि नोएडा अथॉरिटी का दावा निराधार है।

    By Gyanendra Tiwari Edited By: Gyanendra Tiwari Updated: Sat, 21 Jun 2025 12:16 PM (IST)
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    नई दिल्ली। दिल्ली-नोएडा डायरेक्ट (DND) फ्लाइवे पर एक बार फिर से नोएडा अथॉरिटी और नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड आमने-सामने (Noida Authority vs NTBCL) हैं। नोएडा अथॉरिटी ने 13 जून 2025 को नोएडा टोल ब्रिज को एक पत्र लिखकर सुप्रीम सुप्रीम कोर्ट के फैसले और 12 नवंबर 1997 के रियायती समझौते (Concession Agreement) का हवाला देते हुए मांग की कि डीएनडी प्रोजेक्ट से संबंधित सभी संपत्तियां जैसे फ्लाइवे, जमीन आदि) उसे सौंप दी जाए। अब नोएडा टोल ब्रिज ने NOIDA के इस पत्र को निराधार बताते हुए कानूनी कदम उठाने की बात की है।

    नोएडा टोल ब्रिज ने अपनी प्रेस रिलीज में नोएडा के दावे को निराधार बताया। नोएडा टोल का कहना है कि वह नोएडा अथॉरिटी के इसे दावे को स्वीकार नहीं कर रही है। इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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    नोएडा टोल ब्रिज ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-नोएडा डायरेक्ट के टोल वसूली पर रोक लगाई थी। SC ने 10 मई को टोल ब्रिज की यात्रियों पर टोल लगाने को लेकर दायर की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था।

    कंपनी का यह भी कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल टोल वसूली पर रोक लगाई थी, न कि समझौते को पूरी तरह समाप्त करने का आदेश दिया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 20 दिसंबर 2024 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2016 के फैसले को बरकरार रखा था। हाई कोर्ट ने डीएनडी फ्लाईवे को टोल-मुक्त करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि DND की लागत और पर्याप्त मुनाफा NTBCL ने टोल के माध्यम से वसूल लिया है। अब उसे टोल वसूलने को कोई अधिकार नहीं। इसके बाद और नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड  सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। एससी ने HC के फैसले को बरकरार रखा। इसके बाद कंपनी ने पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी।

    क्या है नोएडा अथॉरिटी की मांग?

    नोएडा अथॉरिटी का कहना है कि एससी के के आदेश के बाद दिल्ली-नोएडा डायरेक्ट फ्लाइवे प्रोजेक्ट से जुड़ी संपत्तियां उसकी है। और एनटीबीसीएल उसे ये संपत्तियां सौंप दे। इन संपत्तियों में  330 एकड़ खाली जमीन, फ्लाइवे का ढांचा आदि शामिल है।  वहीं, इस पर  NTBCL का का कहना है कि समझौता साल 2031 तक वैध है। इसलिए उसे अभी भी फ्लाइवे के रखरखाव का अधिकार है। इसलिए वह अभी तक इसकी जिम्मेदारी निभा रही है।

    क्या है पूरा विवाद

    इस विवाद की शुरुआत 2012 में हुई थी, जब  फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली-नोएडा फ्लाइवे की टोल वसूली को अनुचित बताया था और इस पर रोक लगाने की मांग की थी।  इस पर 2016 में HC ने फैसला सुनाया और टोल पर रोक लगा दी। NTBCL ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसे SC ने 2024 और 2025 में बरकरार रखा।  दोनों के बीच (Noida Authority NTBCL dispute) यह विवाद काफी सालों से चल रहा है।

    नोएडा टोल ब्रिज के क्या कानूनी विकल्प?

    विशेषज्ञों की मानें तो इस मामले में नोएडा टोल ब्रिज कंपनी के पास कोई कानूनी अधिकार नहीं बचे हैं। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड अश्विनी दुबे कहते हैं, नोएडा टोल ब्रिज कंपनी की ओर से एक्सचेंज को भेजा गया पत्र सेल्फ एस्प्लेनेटरी है। उसकी कंसेशनरी एग्रीमेंट की अवधि समाप्त हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने PIL पर जारी अपने आदेश में भी कंपनी के पास कोई विकल्प नहीं छोड़ा था। ऐसे में नोएडा टोल ब्रिज के पास कोई कानूनी रास्ता बचा नहीं है।

    आम जनता को इससे कैसे फायदा?

    सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इससे आम जनता को फायदा हो रहा है। अब उन्हें DND से दिल्ली और नोएडा आने जाने के लिए टोल नहीं देना पड़ता। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण डीएनडी फ्लाईवे टोल-मुक्त है। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले डीएनडी का इस्तेमाल करने के लिए 8 से 28 रुपये तक देना पड़ता था। लेकिन अब इसका इस्तेमाल करने पर कोई पैसा नहीं देना पड़ता।

    शेयरों पर दिखा असर

    नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड के शेयरों पर इसका असर देखा गया। शुक्रवार को NTBCL के शेयर 2.05 फीसदी गिरकर 3.82 रुपये के स्तर पर बंद हुए। इसका 52 वीक हाई 23.97 रुपये है, जबकि 52 वीक लो 2.57 रुपये है। 13 दिसंबर 2024 को इसके शेयर 23.97 रुपये के स्तर पर गया था। अगले तीन महीनों में यह अपने निम्न स्तर पर चला गया। 28 मार्च 2025 को इसके शेयरों की वैल्यू 2.57 रुपये थी। 

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