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    कंपनियों ने छोटी कारों से मुंह फेरा

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    Updated: Sat, 08 Feb 2014 08:37 PM (IST)

    ग्रेटर नोएडा [जयप्रकाश रंजन]। भारतीय कार बाजार आने वाले दिनों में कैसी करवट लेगा इसका अंदाजा आप ऑटो एक्सपो 2014 से लगा सकते हैं। कई वषरें बाद यह पहला मौका है, जब एशिया के इस सबसे बड़े ऑटो शो में किसी भी कार कंपनी ने भारत में छोटी कार उतारने का एलान नहीं किया है। हकीकत यही है कि कार कंपनियों के लिए सस्ती व

    ग्रेटर नोएडा [जयप्रकाश रंजन]। भारतीय कार बाजार आने वाले दिनों में कैसी करवट लेगा इसका अंदाजा आप ऑटो एक्सपो 2014 से लगा सकते हैं। कई वषरें बाद यह पहला मौका है, जब एशिया के इस सबसे बड़े ऑटो शो में किसी भी कार कंपनी ने भारत में छोटी कार उतारने का एलान नहीं किया है। हकीकत यही है कि कार कंपनियों के लिए सस्ती व छोटी कार का आकर्षण खत्म हो गया है। देश की दिग्गज कार कंपनी मारुति सुजुकी ने अपनी सबसे सस्ती व पुरानी मारुति 800 का उत्पादन बंद कर दिया है।

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    'दैनिक जागरण' ने छोटी कारों के घटते आकर्षण पर सभी प्रमुख कंपनियों से बात की। कोई भी कंपनी इस बाजार को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं दिखी। कच्चे माल व श्रम की बढ़ती लागत, महंगा होता इंधन और शोध व विकास की सीमाओं की वजह से कंपनियों को छोटी-सस्ती कार का बाजार अब ज्यादा नहीं लुभा रहा। हुंडई के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (सेल्स व मार्केटिंग) राकेश श्रीवास्तव का कहना है, 'भारत में छोटी कार का बाजार अब पहले जैसा नहीं रहा। मंदी की वजह से कार का कारोबार बहुत ही चुनौतीपूर्ण हो गया है। कंपनियों को बहुत कुछ देख सुनकर उत्पाद तय करने पड़ते हैं।' वह साफ कहते हैं कि उनकी कंपनी की नई छोटी कार उतारने की कोई योजना नहीं है।

    अभी भारत में सही मायने में मारुति की नई ऑल्टो, हुंडई की इऑन, जनरल मोटर्स की स्पार्क और टाटा मोटर्स की नैनो छोटी कार कही जा सकती हैं। इन सभी की कीमत तीन लाख रुपये से कम से शुरू होती है। मारुति सुजुकी के सीओओ (सेल्स व मार्केटिंग) मयंक पारीक का कहना है, 'आने वाले कुछ वषरें में सबसे ज्यादा बिकने वाली छोटी कारें, नहीं बल्कि मझोली होंगी, जिसे ऑटोमोबाइल की दुनिया में बी सेगमेंट कहा जाता है।' पिछले चार वषरें से बी सेगमेंट (होंडा की अमेज, हुंडई की आइ-20, मारुति की स्विफ्ट) की बिक्री में औसतन 35 से 40 फीसद सालाना की वृद्धि हो रही है। दूसरी तरफ छोटी कारों की बिक्री में बमुश्किल चार फीसद का इजाफा हुआ है। होंडा इंडिया और फिएट के शीर्ष प्रबंधन के अधिकारियों ने साफ कहा कि छोटी व सस्ती कारें उनकी वरीयता नहीं हैं।

    आंकड़े बताते हैं कि देश में पहली बार कार खरीदने वाले वर्ग में भी लोग ज्यादातर बी सेगमेंट की गाड़ियों को पसंद कर रहे हैं। जनवरी, 2014 में मारुति की छोटी कारों की बिक्री में 17 फीसद की गिरावट देखी गई है। हुंडई इऑन, जनरल मोटर्स की स्पार्क की बिक्री भी कुछ खास नहीं है। टाटा मोटर्स की लाख कोशिशों व तमाम मार्केटिंग के बावजूद नैनो को खरीदार नहीं मिल रहे।

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    छह वर्ष पहले नैनो की सफलता को लेकर कंपनी इतनी उत्साहित थी कि उसने किसी दूसरे मॉडल पर ध्यान ही नहीं दिया। अब कंपनी ने इस वर्ष बी सेगमेंट में दो कारें लांच करने की घोषणा की है। यही वजह है कि भारतीय कार बाजार का अध्ययन करने के बाद फॉक्स वैगन, फिएट, फोर्ड जैसी कंपनियों ने यहां छोटी-सस्ती कार उतारने की अपनी योजना को फिलहाल स्थगित कर दिया है।