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    Reciprocal Tariff: ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ से डरने की जरूरत नहीं, भारत पर होगा बेहद मामूली असर

    Updated: Mon, 17 Feb 2025 12:05 PM (IST)

    SBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर अमेरिका 15-20 फीसदी की उच्च टैरिफ दरें लागू भी करता है तो भी भारतीय निर्यात पर इसका कुल प्रभाव सिर्फ 3-3.5 फीसदी तक सीमित रहेगा। रिपोर्ट का कहना है कि भारत इस प्रभाव को निर्यात विविधीकरण (Export Diversification) मूल्य संवर्धन (Value Addition) और नए व्यापार मार्गों (New Trade Routes) की खोज के संतुलित कर सकता है।

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    अमेरिका भारत का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट पार्टनर (Top Export Destination) बना हुआ है।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का एलान किया है, तभी से भारत पर इसके प्रभाव के बारे में लगातार चर्चा हो रही है। इसका असर भारती शेयर बाजार पर भी दिखा। इसमें पिछले कई कारोबारी सत्रों से लगातार गिरावट देखने को मिल रही है।

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    हालांकि, भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India- SBI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की पारस्परिक टैरिफ नीति (US Tariff Reciprocity) का भारतीय निर्यात (Indian Exports) पर काफी कम प्रभाव पड़ेगा। बेशक व्यापार प्रतिबंधों को लेकर चिंताएं बनी हुई हों।

    भारतीय निर्यात पर कम असर क्यों पड़ेगा?

    SBI की रिपोर्ट का कहना है कि अगर अमेरिका 15-20 फीसदी की उच्च टैरिफ दरें लागू भी करता है, तो भी भारतीय निर्यात पर इसका कुल प्रभाव सिर्फ 3-3.5 फीसदी तक सीमित रहेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, "अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ का भारत के निर्यात पर अधिक असर नहीं पड़ेगा। अमेरिका के 15-20 फीसदी वृद्धि टैरिफ का असर भी सिर्फ 3-3.5 फीसदी रहेगा। इसे बढ़े हुए निर्यात लक्ष्यों (Higher Export Goals) के जरिए आसानी से संतुलित किया जा सकता है।"

    रिपोर्ट के अनुसार, भारत इस प्रभाव को निर्यात विविधीकरण (Export Diversification), मूल्य संवर्धन (Value Addition) और नए व्यापार मार्गों (New Trade Routes) की खोज के संतुलित कर सकता है।

    भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है अमेरिका

    अमेरिका भारत का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट पार्टनर (Top Export Destination) बना हुआ है। भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में कुल जितना निर्यात किया, उसमें अमेरिकी बाजार की हिस्सेदारी 17.7 फीसदी रही थी। हालांकि, भारत अब किसी एक बाजार (Single Market Dependency) पर निर्भरता कम करने की रणनीति बना रहा है। इससे टैरिफ या ट्रेड वॉर जैसी स्थिति में जोखिम को कम किया जा सकेगा।

    भारत अब यूरोप (Europe), मध्य पूर्व (Middle East) और अन्य क्षेत्रों के साथ व्यापारिक संबंध मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है। इसके लिए सप्लाई चेन नेटवर्क (Supply Chain Networks) विकसित किया जा रहा है, जिससे निर्यात में स्थिरता सुनिश्चित किया जा सकेगा।

    भारत और अमेरिका में टैरिफ रेट

    SBI की रिपोर्ट बताती है कि पिछले कुछ साल में अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर टैरिफ रेट में ज्यादा बड़ा फेरबदल नहीं किया है। हालांकि, इस दौरान भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर ज्यादा टैरिफ बढ़ाया है।

    भारतीय उत्पादों पर अमेरिका का टैरिफ रेट:

    • 2018: 2.72%
    • 2021: 3.91%
    • 2022: 3.83% (थोड़ी गिरावट)

    अमेरिकी उत्पादों पर भारत का टैरिफ रेट:

    • 2018: 11.59%
    • 2022: 15.30% (तेज वृद्धि)

    अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने के पीछे कई कारण है। भारत आक्रामक व्यापार नीति (Assertive Trade Policy) पर चल रहा है, जो व्यापार संतुलन (Trade Balance) बनाने और घरेलू उद्योगों (Domestic Industries) की सुरक्षा पर केंद्रित है।

    साथ ही, भारत कच्चे माल (Raw Materials) के निर्यात से आगे बढ़कर प्रोसेस्ड और हाई-वैल्यू प्रोडक्ट्स (High-Value Products) के निर्यात पर फोकस कर रहा है। इस रणनीति से न केवल निर्यात आय (Export Earnings) में वृद्धि होगी, बल्कि यह सुनिश्चित होगा कि भारतीय उत्पाद वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी (Competitive) बने रहें।

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