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    New Labour Codes: क्या सरकार ने पूरी तरह लागू नहीं किए पूरे नियम? एक्सपर्ट ने 5 पॉइंट्स में दूर किया पूरा कंफ्यूजन

    By Dr. Sanjay BhardwajEdited By: Ankit Kumar Katiyar
    Updated: Wed, 26 Nov 2025 08:38 PM (IST)

    New labour codes 2025: देश में नया लेबर कोड लागू होने की चर्चा तेज है, लेकिन लोगों के मन में ढेरों सवाल भी हैं। क्या सारे नियम लागू हो चुके हैं? क्या अब हर कर्मचारी को अपॉइंटमेंट लेटर मिलेगा? बेसिक सैलरी 50% वाला नियम कब आएगा? और 15 महीने नौकरी करने पर क्या ग्रेच्युटी मिलेगी? ऐसे कई सवाल सोशल मीडिया से लेकर ऑफिस ग्रुप तक घूम रहे हैं। आपकी इसी उलझन को दूर करने के लिए हम यहां पांच सबसे जरूरी सवालों के सरल और सीधे जवाब समझा रहे हैं।

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     सरकार ने पूरी तरह लागू नहीं किए पूरे नियम? एक्सपर्ट ने 5 पॉइंट्स में दूर किया पूरा कंफ्यूजन

    New labour codes 2025: देश में नया लेबर कोड लागू होने की खबर के बाद लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। सवाल- कि आखिर कौन-सा नियम लागू हुआ (labour codes implementation November 2025) है और कौन अभी भी अटका है? बिना अपॉइंटमेंट लेटर वालों को क्या अब डॉक्यूमेंट मिलेगा? सैलरी में बेसिक 50% वाला नियम कब आएगा? और 15 महीने नौकरी करने पर क्या ग्रेच्युटी मिलेगी?

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    ऐसे कई सवाल लोगों को उलझा रहे हैं, खासकर कर्मचारियों को, जो गिग-वर्कर से लेकर कॉरपोरेट वर्ल्ड में काम कर रहे हैं। इसलिए जागरण बिजनेस ने आपके इसी कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए फ़ोर्विस मज़ार्स इंडिया के एसोसिएट पार्टनर डॉ. संजय भारद्वाज से बात की और उन्होंने पांच पॉइंट्स में आपके मन में उठ रहे सभी सवालों के जवाब दिए। चलिए एक-एक कर बारीकी से समझते हैं।

    सवाल-1: अभी सैलरी और सोशल सिक्योरिटी से जुड़े कौन-कौन से लेबर कोड के नियम लागू हुए और कौन-से बाकी हैं?

    जवाब:  कुल चार लेबर कोड हैं- द कोड ऑन वेजेस 2019, द कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2020, द ऑक्यूपेश्नल सेफ्टी हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड 2020 और द इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड 2020। इनमें से 21 नवंबर 2025 को वेजेस कोड और सोशल सिक्योरिटी कोड के कुछ खास प्रावधान आंशिक रूप से लागू किए गए हैं।

    • वेजेस कोड में जो नियम अभी लागू हैं, उनमें वेतन से जुड़ी परिभाषाएं, वेतन देने की तय समय-सीमा, सभी तरह के कर्मचारियों पर न्यूनतम वेतन लागू होना और समय पर वेतन का भुगतान सुनिश्चित करना शामिल है।
    • सोशल सिक्योरिटी कोड के जिन प्रावधानों को लागू किया गया है, उनमें कर्मचारी राज्य बीमा (ESI), मातृत्व लाभ, ग्रेच्युटी से जुड़ा गवर्नेंस और कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) स्कीम के कुछ हिस्से शामिल हैं।

    हालांकि, सोशल सिक्योरिटी स्कीमों से जुड़े कई नियम और इनके विस्तृत ऑपरेशनल दिशा-निर्देश अभी नोटिफाई होने बाकी हैं। इसलिए इनका पूरा लागू होना अभी बाकी है।

    सवाल-2: जो लोग बिना अपॉइंटमेंट लेटर के काम कर रहे हैं, क्या अब कंपनियों के लिए लेटर देना अनिवार्य हो गया है? अगर हां, तो किस तारीख तक देना जरूरी है? और अगर कंपनी लेटर देने से इनकार करे तो कर्मचारी क्या कर सकता है?

    जवाब:नए लेबर कोड्स के मुताबिक अब हर कर्मचारी चाहे वह रेगुलर, कैजुअल, गिग या फिर प्लेटफॉर्म वर्कर (basic salary 50% CTC) हो, उसे अपॉइंटमेंट लेटर देना अनिवार्य है। यह नियम 21 नवंबर 2025 से लागू हो गया है। अगर कोई कंपनी अब भी लेटर देने से इनकार करती है, तो कर्मचारी सीधे लेबर कोर्ट या संबंधित अथॉरिटी में शिकायत कर सकता है। नया कोड इसे कानूनी अधिकार बनाता है।

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    सवाल-3: बेसिक सैलरी 50% वाला नियम कब लागू होगा?

    जवाब: कोड ऑफ वेजेस (Code on Wages) में कहा गया है कि बेसिक पे कुल सैलरी का कम से कम 50% होना चाहिए। यह नियम आंशिक रूप से लागू है। अभी यह पीएफ और ग्रेच्युटी की कैलकुलेशन में इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन सरकार की विस्तृत गाइडलाइन्स आने के बाद इसे पूरी तरह लागू माना जाएगा। उम्मीद है कि जल्द ही इसका पूरा ढांचा नोटिफाई होगा।

    सवाल-4: अगर मैं 15 महीने नौकरी करने के बाद इस्तीफा देता हूं, तो क्या मुझे ग्रेच्युटी मिलेगी?

    जवाब: हां, नए कोड्स में ग्रेच्युटी की पात्रता अवधि बदल दी गई है। पहले 5 साल की सर्विस जरूरी थी, लेकिन अब 1 साल की निरंतर सेवा भी ग्रेच्युटी के लिए काफी है। इसलिए 15 महीने काम करने के बाद इस्तीफा देने वाले कर्मचारी को भी ग्रेच्युटी मिलेगी।

    सवाल-5: लेबर लॉ और लेबर कोड में क्या फर्क है? (What is difference between labor laws and labor code)

    जवाब: पुराने लेबर लॉ अलग-अलग विषयों पर बने थे, जैसे- वर्किंग कंडीशन, औद्योगिक संबंध, यूनियन आदि। जबकि लेबर कोड्स इन दर्जनों कानूनों को एक जगह जोड़कर एक सरल, एकीकृत सिस्टम बनाते हैं, ताकि कंपनियों के लिए पालन आसान हो और कर्मचारियों को सार्वभौमिक सुरक्षा मिल सके।

    नए कोड्स का मकसद नियमों को सरल बनाना है, लेकिन अधूरे नोटिफिकेशन की वजह से कर्मचारियों और कंपनियों दोनों में अभी भी असमंजस बना हुआ है।

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