New Labour Codes में 'परिवार' की परिभाषा बढ़ी, अब सास-ससुर, दादा-दादी भी PF-ESIC लाभ के दायरे में; आपको मिलेगा लाभ?
New Labour Codes 2025: नए श्रम कानूनों में 'परिवार' की परिभाषा का विस्तार किया गया है, जिसमें अब सास-ससुर और दादा-दादी भी शामिल हैं। इससे PF और ESIC जैसे लाभों का दायरा बढ़ गया है, जिससे कर्मचारियों को अपने आश्रितों के लिए सामाजिक सुरक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी। यह बदलाव कर्मचारियों के लिए अधिक समावेशी और सहायक सामाजिक सुरक्षा जाल प्रदान करता है।
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New Labour Codes में 'परिवार' की परिभाषा बढ़ी, अब सास-ससुर, दादा-दादी भी PF-ESIC लाभ के दायरे में; आपको मिलेगा लाभ?
New Labour Codes 2025: सरकार के नए कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी (CSS) 2020 ने लाखों कर्मचारियों के परिवारों को बड़ी राहत दी है। इस कोड के लागू होने के बाद 'परिवार' की परिभाषा बढ़ा दी गई है। अब कर्मचारी सिर्फ पत्नी, बच्चे और माता-पिता ही नहीं, बल्कि अन्य आश्रित परिजनों को भी EPF, ESI, ग्रैच्युटी और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में लाभार्थी बना सकेंगे। यह बदलाव खासतौर पर उन परिवारों के लिए फायदेमंद है, जहां जिम्मेदारियां सिर्फ न्यूक्लियर परिवार तक सीमित नहीं होतीं।
पहले केवल पत्नी, बेटा-बेटी, माता-पिता और अविवाहित बेटी ही लाभ के दायरे में आते थे। अदालतों ने पहले भी कई मामलों में नजदीकी रिश्तेदारों को शामिल करने से इंकार किया था, जिससे कर्मचारियों के नामांकन पर मुश्किलें आती थीं। अब यह स्थिति बदलेगी। नए कोड में स्पष्ट तौर पर अधिक आश्रित सदस्यों को शामिल किया गया है ताकि जरूरतमंद परिजनों तक आर्थिक और स्वास्थ्य लाभ पहुंच सके।
अब कौन-कौन सदस्य शामिल होंगे?
नए नियमों के तहत मातृ पक्ष के दादा-दादी, पूरी तरह आश्रित अविवाहित नाबालिग भाई-बहन और खासतौर पर महिला कर्मचारियों के लिए सास-ससुर को भी परिवार की परिभाषा में जोड़ दिया गया है। यानी अगर कोई महिला कर्मचारी अपने ससुराल पक्ष की जिम्मेदारी उठाती है, तो अब वह उन्हें भी नामांकित कर सकती है, जो पहले संभव नहीं था। एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह बदलाव भारत की पारिवारिक वास्तविकताओं को देखते हुए किया गया है, जहां कई बार महिला ही परिवार की मुख्य कमाने वाली सदस्य होती है।
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किन योजनाओं में लागू होंगे नए प्रावधान?
ये नियम EPF, ESIC, ग्रैच्युटी और कार्यस्थल दुर्घटना मुआवजा जैसी सरकारी अनिवार्य योजनाओं पर लागू होंगे। हालांकि ध्यान रहे कि यह बदलाव स्वतः निजी नियोक्ता द्वारा दी जाने वाली अतिरिक्त सुविधाओं जैसे ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस, मेडिक्लेम या वेलनेस स्कीम पर लागू नहीं होगा। उन योजनाओं में शामिल करना या न करना कंपनी की इच्छा पर निर्भर रहेगा।
जरूरी बातें जो कर्मचारियों को जाननी चाहिए
सदस्य केवल वही शामिल कर पाएंगे जो वास्तव में उन पर आर्थिक रूप से निर्भर हों। निर्भरता साबित करने के लिए दस्तावेज देने पड़ सकते हैं। अगर कर्मचारी की वैवाहिक स्थिति बदलती है, जैसे- अलगाव या तलाक तो सास-ससुर पर लाभ का दावा सामान्यतः समाप्त हो सकता है। इसलिए कर्मचारियों को समय-समय पर अपने नामांकन अपडेट करते रहना ज़रूरी होगा, ताकि भविष्य में लाभ को लेकर विवाद न हो।
नए लेबर कोड का यह बदलाव परिवार के दायरे को व्यापक बनाकर सामाजिक सुरक्षा दायरे को मजबूत करता है। इससे लाखों कर्मचारियों को अपने वास्तविक आश्रितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

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