17 प्रतिशत से अधिक बढ़ा नेट टैक्स संग्रह, अब तक 69000 करोड़ का रिफंड हुआ जारी
आयकर प्रशासन ने आज आंकड़े जारी किए और कहा कि 10 अगस्त को समाप्त वर्ष के लिए कुल प्रत्यक्ष कर राजस्व 15.73 प्रतिशत बढ़कर 6.53 लाख करोड़ रुपये हो गया। छूट के लिए समायोजित प्रत्यक्ष कर शुद्ध राजस्व 5.84 लाख करोड़ रुपये था जो पिछले वर्ष की समान अवधि के शुद्ध राजस्व से 17.33 प्रतिशत अधिक था। पढ़िए क्या है पूरी खबर।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: आयकर विभाग ने आज आंकड़े जारी करते हुए बताया कि चालू वित्त वर्ष में 10 अगस्त तक नेट डायरेक्ट टैक्स 17 फीसदी से अधिक और सकल डायरेक्ट टैक्स संग्रह 15.73 प्रतिशत बढ़कर 6.53 लाख करोड़ रुपये हो गया।
17 फीसदी से अधिक बढ़ा नेट संग्रह
रिफंड समायोजित करने के बाद नेट डायरेक्ट टैक्स संग्रह 5.84 लाख करोड़ रुपये है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के नेट संग्रह से 17.33 प्रतिशत अधिक है। यह टैक्स संग्रह चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए डायरेक्ट टैक्स के कुल बजट अनुमान का 32.03 प्रतिशत है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में कहा कि
10 अगस्त, 2023 तक प्रत्यक्ष कर संग्रह के अनंतिम आंकड़ों में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है
कितने करोड़ रुपये हुए रिफंड?
आयकर विभाग ने बताया की 10 अगस्त तक 69,000 करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान जारी किए गए रिफंड से 3.73 प्रतिशत अधिक है।
क्या होता है डायरेक्ट टैक्स?
डायरेक्ट टैक्स एक प्रकार का टैक्स है जो टैक्स अधिकारियों द्वारा सीधे किसी व्यक्ति या संगठन पर लगाया जाता है। इन सभी और अन्य प्रत्यक्ष करों का भुगतान सीधे भारत सरकार के लागू कर अधिकारियों को किया जाता है।
डायरेक्ट टैक्स को एक प्रकार के कर के रूप में परिभाषित किया जाता है जहां कर का प्रभाव और घटना एक ही इकाई पर पड़ता है। इसलिए, प्रत्यक्ष करों का भुगतान किसी अलग व्यक्ति या अलग इकाई को नहीं दिया जा सकता है।
कितने प्रकार के होते हैं डायरेक्ट टैक्स?
आयकर: भारत में आयकर व्यक्तिगत करदाता की कमाई और उम्र के आधार पर देय होता है। आयकर स्लैब दरें भारत सरकार द्वारा अधिसूचित की जाती हैं और भुगतान की जाने वाली आयकर की राशि निर्धारित करती हैं। करदाता को वार्षिक आधार पर आयकर दाखिल करना होता है। आयकर का भुगतान नहीं करने वाले व्यक्ति को बड़ा जुर्माना भरना पड़ सकता है।
कॉर्पोरेट टैक्स: शेयरधारकों के अलावा घरेलू कंपनियों को भारत में अपनी आय पर कॉर्पोरेट टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। भारत में कमाई करने वाली विदेशी संस्थाओं को भी कॉरपोरेट टैक्स देना होगा। भारत में स्थित संपत्तियों की बिक्री, तकनीकी सेवा शुल्क, रॉयल्टी, लाभांश और ब्याज से अर्जित आय को कर योग्य माना जाता है।
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