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    NCLAT जज ने KLSR Infratech दिवालिया मामले की सुनवाई से खुद को किया अलग, बोले 'एक पक्ष के हक में फैसला सुनाने का आया मैसेज'

    राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के जज न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा ने एक मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया क्योंकि एक पक्ष के फेवर में आदेश के लिए उनसे संपर्क किया गया था। उन्होंने खुलासा किया कि उच्च न्यायालय के एक सम्मानित सदस्य ने उन पर दबाव डाला। ये मामला मेसर्स केएलएसआर इंफ्राटेक लिमिटेड से जुड़ा है।

    By Kashid Hussain Edited By: Kashid Hussain Updated: Thu, 28 Aug 2025 01:46 PM (IST)
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    एनसीएलएटी के जज को एक पक्ष के फेवर में फैसले देने को कहा गया

    नई दिल्ली। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के जज न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा ने 13 अगस्त को एक मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। दरअसल उन्होंने खुलासा किया था कि एक 'पक्ष' के फेवर में आदेश के लिए उनसे संपर्क किया गया। 

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    कुमार के मुताबित उच्च अदालत के सबसे सम्मानित सदस्यों में से एक ने उन पर एक मामले के एक पक्ष/पार्टी में फैसला सुनाने का दबाव बनाया। चेन्नई स्थित एनसीएलएटी ने रिकॉर्ड में दर्ज किया है कि उच्च न्यायपालिका के सबसे सम्मानित सदस्यों में से एक ने उनसे संपर्क किया, जिसने उनसे एक दिवालिया मामले में एक पक्ष के लिए अनुकूल आदेश देने को कहा। ये मामला है - मेसर्स केएलएसआर इंफ्राटेक लिमिटेड के सस्पेंडेड डायरेक्टर अटलुरु श्रीनिवासुलु रेड्डी बनाम मेसर्स एएस मेट कॉर्प प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य।

    चेयरमैन के सामने रखा जाएगा मामला

    मामले पर दुख व्यक्त करते हुए, पीठ, जिसमें सदस्य (टेक्निकल) जतिंद्रनाथ स्वैन भी शामिल हैं, ने निर्देश दिया है कि मामले की सुनवाई के लिए एक अन्य पीठ को नॉमिनेट करने के उद्देश्य से मामले को एनसीएलएटी चेयरमैन के सामने रखा जाए।

    एनसीएलएटी के 13 अगस्त के आदेश में कहा गया  है कि हमें यह देखकर दुख हो रहा है कि हममें से एक सदस्य (ज्यूडिशियल) से इस देश की उच्च न्यायपालिका के सबसे सम्मानित सदस्यों में से एक ने एक खास पक्ष के फेवर में आदेश लेने के लिए संपर्क किया है। इसलिए, मैं इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग करता हूँ।"

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    मोबाइल पर मिला था मैसेज

    मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार न्यायमूर्ति शर्मा को 13 अगस्त को अपने मोबाइल फोन पर एक मैसेज मिला था। इसके बाद, उन्होंने जाने से पहले मामले से जुड़े वकीलों को वह मैसेज दिखाया। अदालत में उस मैसेज में और क्या लिखा था, इसका जिक्र नहीं किया गया।

    2023 की याचिका का है मामला

    इस पूरे मामले की कार्यवाही 2023 में दायर की गयी एक अपील से जुड़ी है, जिसमें दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत हैदराबाद स्थित एक कंपनी को कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) में शामिल करने के आदेश को चुनौती दी गई है।

    इससे पहले, इस अपील को एनसीएलएटी चेन्नई में दो सदस्यीय समिति के सामने रखा गया था और आदेश के लिए सूचीबद्ध किया गया था।