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    म्यूचुअल फंड टैक्स सेविंग और वेल्थ क्रिएशन में कर सकता है मदद

    Updated: Fri, 07 Mar 2025 02:16 PM (IST)

    Mutual Fund SIP म्यूचुअल फंड न केवल टैक्स सेविंग में मदद करता है बल्कि वेल्थ क्रिएशन का भी अवसर प्रदान करता है। ELSS फंड 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की कर छूट देता है और इसका लॉक-इन पीरियड तीन साल का होता है। ELSS फंड मुख्य रूप से लार्ज-कैप स्टॉक्स में निवेश करता है जिससे जोखिम कम होता है।

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    म्यूचुअल फंड के कई प्रकार होते हैं, जैसे ग्रोथ फंड, इक्विटी फंड, डेट फंड, इंडेक्स फंड और हाइब्रिड फंड।

    ब्रांड डेस्क, नई दिल्ली। जब हम फाइनेंशियल प्लानिंग करते हैं, तो हम निवेश के साथ टैक्स-सेविंग ऑप्शन के बारे में भी सोचते हैं, क्योंकि टैक्स-सेविंग का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह आपको अपने मिड-टर्म और लॉन्ग-टर्म वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करता है। लेकिन क्या आपको पता है कि म्यूचुअल फंड के माध्यम से आप टैक्स-सेविंग का फायदा उठा सकते हैं? Jagran Business के “फाइनेंस के फंडे” कार्यक्रम में अनिल कुमार झंवर (GL Jhanwar Investments) ने इस विषय पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां भी साझा कीं।

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    टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड क्या हैं?

    म्यूचुअल फंड के कई प्रकार होते हैं, जैसे ग्रोथ फंड, इक्विटी फंड, डेट फंड, इंडेक्स फंड और हाइब्रिड फंड। इनमें से एक टैक्स-सेविंग फंड भी होता है, जिसे Equity-Linked Saving Scheme (ELSS) फंड कहा जाता है। अनिल के अनुसार, "इस स्कीम के माध्यम से निवेशक आयकर अधिनियम की धारा 80सी के अंतर्गत कर कटौती का लाभ उठा सकता है। 80सी में 1.5 लाख रुपये तक की कर में छूट मिलती है, और लगभग 100% पैसा इक्विटी में निवेश होता है।"

    लॉक-इन पीरियड और मार्केट परफॉर्मेंस

    यह समझना जरूरी है कि ELSS फंड में निवेश के लिए तीन साल का अनिवार्य लॉक-इन पीरियड होता है, जो सभी टैक्स-सेविंग निवेश विकल्पों में सबसे कम है। अनिल के अनुसार, "आज की तारीख में सरकार भी कहती है कि म्यूचुअल फंड सही है”, क्योंकि इसका रिटर्न्स बहुत अच्छा आ रहा है।

    टैक्स-सेविंग और रेगुलर म्यूचुअल फंड के बीच अंतर

    निवेशक के लिए सबसे बड़ा सुकून यह होता है कि उसका पैसा कम रिस्क वाले शेयर्स में लगा हुआ है। ELSS फंड मुख्य रूप से लार्ज-कैप स्टॉक्स में निवेश करता है। लार्ज-कैप स्टॉक्स ब्लू-चिप कंपनियों के होते हैं, जिनमें मिड और स्मॉल कैप की तुलना में जोखिम कम और स्थिरता अधिक होती है। यहां तक कि अगर इक्विटी मार्केट गिरता भी है, तो भी इनके शेयरों पर अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ता है।

    म्यूचुअल फंड रिटर्न पर टैक्स

    हम जानते हैं कि इक्विटी और म्यूचुअल फंड पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। ELSS फंड में प्रति वर्ष ₹1.25 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं होता है।

    अगर लाभ इससे अधिक होता है, तो 12.5% टैक्स देना पड़ता है। इस पर एक्सपर्ट अनिल कुमार झंवर कहते हैं, "PPF को छोड़कर बाकी सभी निवेश विकल्पों पर टैक्स लगता है, लेकिन ELSS में PPF से ज्यादा रिटर्न आने की संभावना होती है।"

    रिटायरमेंट के लिए SWP

    हमारी फाइनेंशियल प्लानिंग में रिटायरमेंट प्लानिंग भी एक अहम हिस्सा है। अगर आप म्यूचुअल फंड में नियमित रूप से SIP (Systematic Investment Plan) करते हैं, तो रिटायरमेंट के बाद एक रेगुलर इनकम सोर्स बना सकते हैं। यह Systematic Withdrawal Plan (SWP) की तरह काम करता है। अगर आपका निवेश करोड़ों में पहुंच जाता है, तो आप हर महीने एक फिक्स्ड रकम निकाल सकते हैं, जिससे आपको लगातार इनकम मिलती रहेगी।

    म्यूचुअल फंड निवेश में होने वाली गलतियों से कैसे बचें?

    GL Jhavar Investments के अनिल कुमार झंवर के अनुसार, "इक्विटी मार्केट लंबे समय में अच्छा रिटर्न देता है। हम निवेश कर रहे हैं, कोई जुआ नहीं खेल रहे।" यह बिल्कुल सही है! अगर आप निवेश कर रहे हैं, तो अनुशासन बनाए रखना बेहद जरूरी है। जल्दी मुनाफा कमाने के चक्कर में नुकसान भी हो सकता है, इसलिए लंबे समय तक निवेश में बने रहना आवश्यक है।

    SIP और टैक्स बेनिफिट

    SIP Contributions से भी आप टैक्स का फायदा उठा सकते हैं। यह 80सी कटौती के लिए योग्य है, लेकिन ध्यान दें कि प्रत्येक SIP किस्त के लिए अलग-अलग तीन साल का लॉक-इन पीरियड होता है। इसका मतलब यह न समझें कि तीन साल बाद पूरा पैसा एक साथ मिल जाएगा।

    भारत में बढ़ता इन्वेस्टमेंट कल्चर

    आज हर कोई Systematic Investment Plan (SIP) के बारे में बात कर रहा है। यह एक ऐसा तरीका है, जिसमें निवेशक म्यूचुअल फंड में अनुशासित और व्यवस्थित रूप से निवेश करते हैं। आज के निवेशक धीरे-धीरे स्मार्ट बन रहे हैं, और SIP एक पसंदीदा निवेश माध्यम के रूप में उभर रहा है। अनिल के अनुसार, "पहले हम दूसरे देशों पर निर्भर थे, लेकिन अब हमारी खुद की स्ट्रेंथ बन गई है। इसलिए म्यूचुअल फंड्स में लगातार पैसा आ रहा है।"

    टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड दो तरह से लाभ देते हैं- टैक्स बचत और लंबी अवधि में वेल्थ क्रिएशन। हालांकि, निवेशकों को लॉन्ग-टर्म नजरिए से निवेश करना चाहिए और शॉर्ट-टर्म बाजार उतार-चढ़ाव के आधार पर जल्दबाजी में निर्णय लेने से बचना चाहिए।

    नोट:  यह आर्टिकल ब्रांड डेस्क द्वारा लिखा गया है।