मुकेश अंबानी ने भी आजमाया था एविएशन सेक्टर में हाथ, इस एयरलाइन में थी हिस्सेदारी; फिर क्यों किया था किनारा
मुकेश अंबानी ने भी एक समय एविएशन सेक्टर में अपनी किस्मत आजमाई थी। उन्होंने एक एयरलाइन कंपनी में हिस्सेदारी भी खरीदी थी, लेकिन बाद में उन्होंने इस सेक् ...और पढ़ें

मुकेश अंबानी ने भी आजमाया था एविएशन सेक्टर में हाथ, इस एयरलाइन में थी हिस्सेदारी; फिर क्यों किया था किनारा
नई दिल्ली। इंडिगो संकट ने भारत की पुरानी एयरलाइंस कंपनियों की कहानी को दोहराने का मौका दे दिया है। भारतीय बाजार में 64 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाली इंडिगो की वजह से देश की जनता परेशान हो रही है। इस संकट के बीच चर्चा ये हो रही है कि इंडिगो की मोनोपॉली खत्म करने के लिए मुकेश अंबानी को भी इस सेक्टर में आना चाहिए। लेकिन बहुत कम लोगों को ये पता है कि कभी मुकेश अंबानी की रिलायंस ने भी इस सेक्टर में अपना हाथ आजमाया था।
आज हम आपको वही कहानी बताएंगे कि आखिर किस एयरलाइन कंपनी में मुकेश अंबानी की रिलायंस ने हिस्सेदारी खरीदी थी और क्यों रिलायंस को किनारा करना पड़ा? आइए जानते हैं।
2010 में मुकेश अंबानी ने मारी थी एविएशन सेक्टर में एंट्री
मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अप्रैल 2010 में कैप्टन गोपीनाथ द्वारा स्थापित कार्गो एयरलाइन डेक्कन 360 में "स्ट्रेटेजिक इन्वेस्टर" के तौर पर एविएशन सेक्टर में कदम रखा। रिपोर्ट्स के अनुसार उस समय रिलायंस ने 26 फीसदी से लेकर 50 फीसदी के बीच हिस्सेदारी खरीदी थी।,डेक्कन 360 के जरिए रिलायंस अपने रिटेल ऑपरेशंस लॉजिस्टिक्स को मजबूत करने के लिए एक स्ट्रेटेजिक कदम के तौर पर लगभग 115 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट किया था।
उस समय RIL के चेयरमैन और MD मुकेश अंबानी ने एक बयान में कहा था, "हमारा मानना है कि डेक्कन 360 के साथ हमारे सहयोग से भारत में लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा।"
कब डूबी डेक्कन 360 एयरलाइन?
डेक्कन 360 को बिजनेस और फंडिंग में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, जिससे भारी नुकसान हुआ। इसके कार्गो ऑपरेशन, जिसमें तीन एयरबस 310 का इस्तेमाल होता था, मई 2011 में बंद हो गए क्योंकि बिजनेस वॉल्यूम की कमी के कारण लीज देने वालों ने एयरक्राफ्ट वापस ले लिए थे।
चूंकि डेक्कन 360 का ऑपरेशन प्लान के मुताबिक नहीं चल रहा था, इसलिए RIL ने बाद में इन्वेस्टमेंट बंद कर दिया था और ऐसा माना जा रहा था कि उसने कंपनी से बाहर निकलने या अपनी हिस्सेदारी कम करने की इच्छा जताई थी।
डेक्कन 360 से कैसे बाहर निकली रिलायंस?
सितंबर 2011 में RIL ने डेक्कन 360 में अपने इन्वेस्टमेंट को मुकेश अंबानी के पर्सनल इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में ट्रांसफर करने के लिए एक ट्रांजैक्शन किया था। इसके बाद कंपनी ने नए खरीदारों और फंडिंग की तलाश की, लेकिन उस समय के आसपास RIL का ओरिजिनल सपोर्ट लगभग खत्म हो गया था।
RIL की सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रियल एंड इन्वेस्टमेंट्स होल्डिंग लिमिटेड ने डेक्कन 360 में अपने करीब 107 करोड़ रुपये के इन्वेस्टमेंट का 90% राइट ऑफ कर दिया है, जिससे इस वेंचर से बाहर निकलने का साफ संकेत मिलता है। असल में, रिलायंस ने अपनी हिस्सेदारी को एक स्ट्रेटेजिक कॉर्पोरेट इन्वेस्टमेंट से पर्सनल इन्वेस्टमेंट में बदल दिया और फिर जब वेंचर फेल हो गया, तो साफ बिक्री करने के बजाय इन्वेस्टमेंट को राइट-ऑफ करके उससे बाहर निकल गई।

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