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    Tata Trusts से आई बड़ी खबर, मेहली मिस्त्री के खिलाफ हुई वोटिंग; ट्रस्ट्स से हो सकते हैं बाहर, रिपोर्ट में बड़ा दावा

    Updated: Tue, 28 Oct 2025 12:40 PM (IST)

    Tata Trusts में रतन टाटा के करीबी रहे मेहली मिस्त्री के खिलाफ वोटिंग हुई। चेयरमैन नोएल टाटा और अन्य ट्रस्टियों ने सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के सदस्य के रूप में मिस्त्री के नवीनीकरण को मंजूरी नहीं दी। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह घटनाक्रम टाटा ट्रस्ट्स में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है।

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    Tata Trusts में हलचल, मेहली मिस्त्री के खिलाफ हुई वोटिंग, क्या होंगे बाहर?

    नई दिल्ली। Mehli Mistry exit:इस वक्त टाटा ट्रस्ट्स (Tata Trusts) से बड़ी खबर सामने आ रही है। टाटा संस में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले टाटा ट्रस्ट्स में मंगलवार को चल रहे घमासान में पहली बार दिवंगत रतन टाटा के लंबे समय से विश्वासपात्र रहे मेहली मिस्त्री के खिलाफ वोटिंग हुई है। चेयरमैन नोएल टाटा, वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी विजय सिंह ने सर रतन टाटा ट्रस्ट (SRTT) और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (SDTT) के शीर्ष सदस्य के रूप में मिस्त्री के रिन्यूअल को मंजूरी देने से इनकार कर दिया।

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    यानी टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टी मेहली मिस्त्री का रिअपॉइंटमेंट रुक सकता है। चेयरमैन नोएल टाटा, वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह ने उनके खिलाफ वोटिंग की है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में ईटी के एक लेख का हवाला देते हुए यह जानकारी दी गई। हालांकि, अभी जागरण बिजनेस इस खबर की पुष्टि नहीं कर रहा है।

    टाटा ट्रस्ट्स में और भी कई ट्रस्ट्स हैं, जैसे रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट का ट्रस्ट भी इसी में आते हैं। 2022 में मेहली मिस्त्री सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी थे। लेकिन आज उनके कार्यकाल के बढ़ाने के प्रस्ताव को लेकर हुई वोटिंग में उनके खिलाफ भी वोट पड़े।

    टाटा के किस ट्रस्ट के ट्रस्टी कौन?

    SDTT के ट्रस्टी नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन, विजय सिंह, मेहली मिस्त्री, प्रमित झावेरी और डेरियस खंबाटा हैं। SRTT में, ट्रस्टी नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन, विजय सिंह, जिमी टाटा, जहांगीर एचसी जहांगीर, मेहली मिस्त्री और डेरियस खंबाटा हैं।

    चूंकि मिस्त्री अपने खुद के रिन्यूअल पर वोट नहीं दे सकते, इसलिए SDTT में फैसला बहुमत से होता है। क्योंकि जिमी टाटा आमतौर पर ट्रस्ट की चर्चाओं में हिस्सा नहीं लेते हैं, इसलिए SRTT में भी यह असल में बहुमत का फैसला ही होता है।

    ट्रस्टियों के नियुक्त करने को लेकर टाटा ट्रस्ट्स का क्या है नियम?

    टाटा ट्रस्ट्स में ट्रस्टियों की नियुक्तियां, और दूसरे फैसले भी, परंपरा के अनुसार सर्वसम्मति से होते रहे हैं। ट्रस्टियों ने 11 सितंबर को इस परंपरा को तोड़ा, जो लंबे समय तक मुखिया रहे रतन टाटा की मौत के लगभग एक साल बाद हुआ, जब उन्होंने बहुमत से फैसला लेकर पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को टाटा संस के बोर्ड से नॉमिनी डायरेक्टर के पद से हटा दिया। इससे घटनाओं की एक ऐसी कड़ी शुरू हुई जिसने भारत के सबसे हाई-प्रोफाइल पब्लिक ट्रस्ट्स में चल रही अंदरूनी कलह की ओर पूरे देश का ध्यान खींचा।

    सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट का ट्रस्ट डीड, जो 1932 में लिखा गया था, यह बताता है कि कोरम के लिए तीन ट्रस्टियों का मौजूद होना जरूरी है और "मीटिंग में मौजूद ट्रस्टियों के बहुमत का फैसला अल्पमत पर बाध्यकारी होगा"।