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    Manufacturing PMI: मार्च में देश की विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां सात माह के निचले स्तर पर, जानिए रोजगार के मोर्चे पर क्या रहा हाल

    देश की विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां मार्च में सात माह के निचले स्तर पर पहुंच गईं। कोविड-19 के बढ़ते मामलों के चलते कुछ क्षेत्रों में नए सिरे से लॉकडाउन की वजह से मांग और उत्पादन में कमी आई है। एक निजी सर्वे में ऐसा कहा गया है।

    By Ankit KumarEdited By: Updated: Tue, 06 Apr 2021 06:30 AM (IST)
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    PMI पर 50 से अधिक का आंकड़ा ग्रोथ और उससे नीचे का आंकड़ा संकुचन को दिखाता है। (PC: AP)

    बेंगलुरु, रायटर। देश की विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां मार्च में सात माह के निचले स्तर पर पहुंच गईं। कोविड-19 के बढ़ते मामलों के चलते कुछ क्षेत्रों में नए सिरे से लॉकडाउन की वजह से मांग और उत्पादन में कमी आई है। एक निजी सर्वे में ऐसा कहा गया है। कंपनियों ने मांग एवं उत्पादन में कमी की वजह से एकबार फिर कर्मचारियों की छंटनी की है। पिछले सप्ताह केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से तेजी से फैल रहे वायरस के मामलों में कमी लाने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया था। गतिविधियों पर कड़ी पाबंदियों की वजह से अप्रैल का महीना कठिन साबित हो सकता है। 

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    आईएचएस मार्किट द्वारा संकलित मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) मार्च में 55.4 पर रहा जो फरवरी में 57.5 पर रहा था। हालांकि, मार्च में भी विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में बढ़ोत्तरी देखने को मिली। 

    (यह भी पढ़ेंः PMI क्या है, अर्थव्यवस्था पर कैसे डालता है असर, जानिए इससे जुड़ी हर जानकारी)

    उल्लेखनीय है कि PMI पर 50 से अधिक का आंकड़ा ग्रोथ और उससे नीचे का आंकड़ा संकुचन को दिखाता है।

    IHS Markit में एसोसिएट डायरेक्टर (इकोनॉमिक्स) पॉलियाना डि लीमा ने कहा, ''सर्वे में हिस्सा लेने वालों ने इस बात की ओर इशारा किया है कि कोविड-19 महामारी के मामलों में तेजी से मांग वृद्धि सीमित हुई है...''

    उन्होंने कहा कि कई राज्यों में कोविड-19 से जुड़ी पाबंदियां लागू करने और लॉकडाउन लगाए जाने से भारत के लिए अप्रैल का महीना चुनौतीपूर्ण रह सकता है। 

    रोजगार के मोर्चे पर देखा जाए तो कंपनियां पिछले एक साल से नौकरियों में छंटनी कर रही हैं। मार्च के महीने में यह देखने को मिला कि कंपनियों ने पिछले छह माह में सबसे ज्यादा रफ्तार से छंटनी की। 

    पिछले महीने इनपुट और आउटपुट कीमत में कम रफ्तार से वृद्धि देखने को मिली। यह इस बात की ओर इशारा करता है कि महंगाई की दर मार्च में फरवरी के मुकाबले कम रही।

    मार्च के आंकड़ों से इस बात की उम्मीद की जा रही है कि देश में महंगाई दर रिजर्व बैंक के 2-6 फीसद के दायरे में आ गई है। मुद्रास्फीति के आंकड़े से रिजर्व बैंक को नीतिगत दरों को तय करने में मदद मिलती है।