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    TATA के स्वाभिमान ने दिया था भारत को पहला 5-स्टार होटल, 122 साल पहले 6 रुपए वाले रूम में भी मिलता था AC

    Updated: Tue, 05 Aug 2025 01:57 PM (IST)

    साल 1903 में बॉम्बे में बना ताज होटल जमशेदजी टाटा (Jamshedji Tata) के जिद और जुनून का प्रतीक था। यूरोपियनों के लिए बने होटल (Tata hotel history) में प्रवेश न मिलने से आहत होकर उन्होंने दुनिया का बेहतरीन होटल बनाने का संकल्प लिया। उन्होंने दुनिया भर से सामान मंगवाया और लगभग 26 लाख रुपये की लागत से होटल का निर्माण किया।

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    ताज होटल टाटा की जिद, जुनून और बदले की आग से बना।

    नई दिल्ली। साल 1903, जगह बॉम्बे और अरब सागर की लहरों के किनारे खड़ा एक सपना ताज होटल। लेकिन ये सपना सिर्फ पत्थरों और सीमेंट से नहीं बना था, ये बना था जमशेदजी टाटा की जिद, जुनून और बदले की आग से। 1903 में बॉम्बे के समुद्री तट पर खड़ा ताज होटल (Taj Mahal Palace history) सिर्फ एक इमारत नहीं था, बल्कि जमशेदजी टाटा (Tata hotel history) के सपनों, जुनून और जिद का प्रतीक था। लेकिन इस सपने को साकार होने में लगभग 14 साल लग गए।

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    साल 1889 की बात है। टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा ने अचानक ऐलान किया कि, “मैं बॉम्बे में एक ऐसा होटल बनाने जा रहा हूं, जैसा इस शहर ने पहले कभी नहीं देखा होगा।”

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    इस ऐलान के साथ ही उनके अपने परिवार में ही हलचल मच गई। उनकी बहनों ने इसका विरोध किया। लेखक हरीश भट अपनी किताब ‘टाटा स्टोरीज’ में लिखते हैं कि उनकी एक बहन ने गुजराती में तंज कसते हुए कहा था, “आप बैंगलोर में साइंस इंस्टीट्यूट बना रहे हैं, लोहे का कारखाना खड़ा कर रहे हैं… और अब कह रहे हैं कि भतारखाना (होटल) खोलने जा रहे हैं?”

    लेकिन जमशेदजी टाटा के मन में यह विचार केवल एक व्यापारिक योजना नहीं था। इसके पीछे एक चोट थी, एक अपमान जिसे वह भूल नहीं पर रहे थे।

    उन दिनों बॉम्बे के काला घोड़ा इलाके में वाटसन्स होटल सबसे मशहूर हुआ करता था। लेकिन वहां सिर्फ यूरोपियनों को ही एंट्री मिलती थी। एक दिन जमशेदजी टाटा वहां पहुंचे, लेकिन उन्हें दरवाजे पर ही रोक दिया गया। ऐसा इसलिए क्योंकि वे भारतीय थे। यह घटना उनके दिल में तीर की तरह चुभ गई।

    तब उन्होंने ठान लिया कि अगर यह शहर यूरोप के बराबर होटल नहीं दे सकता, तो मैं खुद ऐसा होटल बनाऊंगा जो दुनिया के सामने बॉम्बे को गर्व से खड़ा कर देगा।

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    यह सपना आसान नहीं था। 1865 में ‘सैटरडे रिव्यू’ में छपे एक लेख ने भी उनकी जिद को और मजबूत कर दिया। उस लेख में लिखा था कि बॉम्बे को अपने नाम के अनुरूप कोई अच्छा होटल कब मिलेगा? जमशेदजी ने ठान लिया कि इस सवाल का जवाब वही देंगे।

    इसके बाद वे दुनिया के कोने-कोने में घूमे। लंदन के बाजार खंगाले, बर्लिन से सामान मंगवाया, पेरिस से बॉलरूम के लिए खंभे मंगवाए, जर्मनी से लिफ्टें और अमेरिका से पंखे। यहां तक कि भारत में पहला होटल के कमरों को ठंडा रखने (India first hotel with AC) के लिए कार्बन डाइऑक्साइड का बर्फ निर्माण संयंत्र भी लगाया गया।

    जब ताज होटल तैयार हुआ तो उसकी कुल लागत लगभग 26 लाख रुपये तक पहुंच गई। 1903 में होटल के दरवाजे खोले गए। कमरों का किराया 6 रुपये प्रतिदिन रखा गया। लेकिन पहले दिन केवल 17 मेहमान आए। शुरुआती हफ्तों में यही हाल रहा।

    लोगों ने मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। कुछ ने इसे “जमशेदजी का सफेद हाथी” तक कह दिया। लेकिन इतिहास गवाह है कि जमशेदजी टाटा का यह “सफेद हाथी” ही बाद में भारत की शान बन गया।

    वर्तमान ताज महल पैलेस, मुंबई के बारे में

    ताज महल पैलेस, मुंबई से गेटवे ऑफ इंडिया और अरब सागर का शानदार नजारा दिखाई देता है। ताज ब्रांड विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है। 1903 से, मुंबई में भारत के पहले लग्जरी होटल ने राजघरानों और गणमान्य व्यक्तियों सहित प्रतिष्ठित मेहमानों की मेजबानी की है। यहां आपको  समकालीन भारतीय व्यंजनों से लेकर परिष्कृत चीनी व्यंजनों तक के कई विकल्प मिलते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से केवल एक घंटे की दूरी पर है। यहां एक रात रुकने का किराया करीब 23 हजार से शुरू होता है।

    टाटा ग्रुप की वैल्यूएशन 2,48,820 करोड़ रुपये

    जुलाई 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक टाटा ग्रुप (Tata Gruop Net Worth) की ब्रांड वैल्यू 28.6 बिलियन डॉलर (करीब 2,48,820 करोड़ रुपये) आंकी गई।  होटल ब्रांड ताज को लगातार चौथे साल भारत के सबसे मजबूत ब्रांड और सबसे मूल्यवान भारतीय होटल ब्रांड का दर्जा दिया गया है।

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