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    मानसून की बेरुखी से थमी खरीफ की बोआई, पिछले साल के मुकाबले करीब 11 फीसद पीछे

    By Pawan JayaswalEdited By:
    Updated: Mon, 12 Jul 2021 06:57 AM (IST)

    चालू खरीफ सीजन में कुल 4.99 करोड़ हेक्टेयर रकबा में बोआई हो चुकी है जो पिछले वर्ष इसी अवधि तक के 5.58 करोड़ हेक्टेयर के मुकाबले लगभग 11 फीसद कम है। बारिश पर निर्भर मोटे अनाज वाली फसलों की बोआई 15 फीसद तक कम हुई है।

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    Kharif Sowing ( P C : Pexels )

    नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। मानसून के बिगड़े मिजाज से खरीफ सीजन की फसलों की बोआई थम सी गई है। देश के पश्चिमोत्तर क्षेत्रों में सूखे जैसी हालत से खेती प्रभावित होने लगी है। पूर्वी राज्यों के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्रों में सामान्य से अधिक हुई बारिश ने दलहन व तिलहन की बोआई रोक दी है। इसी वजह से खरीफ सीजन की बोआई पिछले साल के मुकाबले लगभग 11 फीसद पीछे चल रही है। दक्षिण-पश्चिम मानसून की बरसात इस वर्ष पहली जून से सात जुलाई के बीच सामान्य से कम हुई है, जिसका सीधा असर खरीफ सीजन की खेती पर पड़ने लगा है।

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    मौसम विभाग का अनुमान है कि चालू सीजन में अगले सप्ताह तक मानसून रफ्तार पकड़ सकता है, जिससे थमी हुई फसलों की बोआई तेज हो सकती है। लेकिन कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में मानसून की बरसात अब तक नहीं के बराबर रही है। इन राज्यों में सूखे जैसे हालात बनने लगे हैं। इससे यहां होने वाली मोटे अनाज वाली फसलों की खेती के साथ दलहनी व तिलहनी फसलों की बोआई सबसे कम हो सकी है।

    इन फसलों की खेती आमतौर पर मानसून की बारिश पर निर्भर होती है। कमोबेश, यही हाल दक्षिणी भूभाग का भी रहा है। चालू मानसून सीजन 2021-22 में पूर्वी राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और बंगाल में सामान्य से अधिक बारिश होने की वजह से मिट्टी में नमी की मात्रा काफी बढ़ गई है। इससे फसलों की बोआई संभव नहीं हो पा रही है।

    चालू खरीफ सीजन में कुल 4.99 करोड़ हेक्टेयर रकबा में बोआई हो चुकी है, जो पिछले वर्ष इसी अवधि तक के 5.58 करोड़ हेक्टेयर के मुकाबले लगभग 11 फीसद कम है। बारिश पर निर्भर मोटे अनाज वाली फसलों की बोआई 15 फीसद तक कम हुई है। जबकि धान की रोपाई 11.26 फीसद तक पीछे है। जिन पूर्वी राज्यों में बरसात ज्यादा हुई है, उन्हीं राज्यों में धान की खेती हो सकी है।

    मौसम विभाग का कहना है कि अगले सप्ताह से मानसून के बादल देशभर में समान रूप से छाएंगे, जिससे अच्छी बारिश हो सकती है। इसके बाद खरीफ की खेती रफ्तार पकड़ लेगी। देश की 60 फीसद खेती दक्षिण-पश्चिम मानसून आधारित बरसात पर निर्भर होती है, क्योंकि उन इलाकों में ¨सचाई की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं है। कृषि मंत्रालय का दावा है कि मानसून की इस बेरुखी से खरीफ सीजन की खेती पर बहुत असर नहीं पड़ेगा। आगामी सप्ताहों में अच्छी बारिश से कृषि गतिविधियों में तेजी आएगी। इस बार धान के साथ तिलहन और दलहन की रकबा और बढ़ सकता है।