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    चीन के साथ कारोबार में राष्ट्रीय हितों का रखें ख्याल, जयशंकर ने असंतुलन कम करने में इंडिया इंक से मांगी मदद

    विदेश मंत्री का बयान यह बताता है कि जिस तरीके से चीन से होने वाले आयात में लगातार वृद्धि हुई है उससे सरकार बहुत सहज नहीं है। अगर सरकार के आंकड़ों को ही देखा जाए तो वर्ष 2019-20 के बाद से चीन से होने वाले आयात में 44 फीसद का इजाफा 102 अरब डॉलर का हो चुका है जबकि चीन को होने वाला निर्यात तकरीबन स्थिर (16.7 अरब डॉलर) है।

    By Jagran News Edited By: Yogesh Singh Updated: Fri, 17 May 2024 11:45 PM (IST)
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    जयशंकर ने असंतुलन कम करने में इंडिया इंक से मांगी मदद

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव के बावजूद वहां से आयात में हो रही लगातार वृद्धि पर पहली बार किसी केंद्रीय मंत्री ने भारतीय उद्योग जगत को ही आड़े हाथ लिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को उद्योग चैंबर सीआईआई की तरफ से आयोजित सालाना वार्षिक सम्मेलन में उद्योग जगत को चीन के साथ कारोबार करने को लेकर किसी तरह की रोक लगाने की बात नहीं कही लेकिन बहुत ही स्पष्ट तरीके से यह सीख दी कि उन्हें राष्ट्रीय हितों से जुड़ी संवेदनाओं का ख्याल रखना होगा।

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    इसके लिए उन्होंने जहां तक संभव हो भारत निर्मित उत्पादों की आपूर्ति करने की सलाह दी। सम्मेलन में उपस्थित भारत के उद्योग जगत के सैकड़ों प्रतिनिधियों की तरफ इशारा करते हुए जयशंकर ने पूछा कि, “क्या आप उसके साथ कारोबार करेंगे जो आपकी ड्राइंग रूप में घुस गया हो और आपके घर को तहस-नहस कर दिया हो।'' उनका इशारा चीन की सैनिकों का भारत के पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चार वर्ष पहले की गई घुसपैठ से है जिसके बाद द्विपक्षीय रिश्ते काफी खराब हो चुके हैं।

    चीन से होने वाले आयात में हुआ भारी इजाफा

    विदेश मंत्री का बयान यह बताता है कि जिस तरीके से चीन से होने वाले आयात में लगातार वृद्धि हुई है उससे सरकार बहुत सहज नहीं है। अगर सरकार के आंकड़ों को ही देखा जाए तो वर्ष 2019-20 के बाद से चीन से होने वाले आयात में 44 फीसद का इजाफा 102 अरब डॉलर का हो चुका है जबकि चीन को होने वाला निर्यात तकरीबन स्थिर (16.7 अरब डॉलर) है। इस वजह से व्यापार संतुलन चीन की तरफ है।

    चीन के साथ कारोबार संतुलन एक बड़ा मुद्दा

    जयशंकर ने कहा कि, चीन के साथ कारोबार संतुलन एक बड़ा मुद्दा है। यह पिछले 20 वर्षों में पैदा हुआ है। यहां स्पष्ट तौर पर हमें देश के कारोबारी जगत के साथ समस्या है। भारत का उद्योग जगत कीमतों के आधार पर फैसला कर रहा है। कारोबार की अपनी जरूरते हैं लेकिन लंबी अवधि के लिए हमें घरेलू सोर्सिंग व उत्पादन को बढ़ावा देना होगा और इसी आधार पर हमें फैसला करना होगा।

    राष्ट्रीय सुरक्षा की संवेदनाशीलता का रखना होगा ध्‍यान

    जयशंकर ने कहा कि, हमें चीन के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा की संवेदनाशीलता को भी ध्यान में रखना होगा। इसका मतलब यह नहीं है कि हम चीन से कुछ भी नहीं खरीद सकते। लेकिन हम जो भी खरीदें उसके लिए राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखें। चीन के मामले में हम इस देश के लोगों को कहना चाहेंगे कि जहां तक संभव हो भारत में बनायें, भारत में खरीदें। हम चीन से खरीदने पर रोक नहीं लगाएंगे। लेकिन जो राष्ट्रीय हित में है वह लंबी अवधि में कारोबार के हित में भी होगा।

    सीमा पर समस्‍या पैदा कर रहा चीन

    उन्होंने चीन पर आरोप लगाया कि वह सीमा पर समस्या पैदा कर रहा है और उसे लिखित समझौते से पीछे हटा है। हम यह नहीं कर सकते कि कारोबार सामान्य रहे लेकिन बाकी चीजें सामान्य नहीं रहेंगी। कारोबार खत्म करने को नहीं कह रहे। आंकड़े बताते हैं कि कारोबार खत्म नहीं हुई। देश के कारोबार जगत ने चीन को नजरअंदाज नहीं किया है। वह चीन से सामान खरीद रहा है। लेकिन हमें सतर्कता रखनी होगी।

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