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    JP Associates की बर्बादी का किस्सा, क्यों और कैसे अस्त हुआ जयप्रकाश गौड़ का सूरज; डिटेल में सबकुछ जानें

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 06:08 PM (IST)

    JP Associates Downfall Story: जेपी एसोसिएट्स, एक समय में उत्तर भारत की प्रमुख कंपनी थी, जिसका पतन कई कारणों से हुआ। वेदांता ग्रुप की हाई बोली के बावजूद, क्रेडिटर्स ने अदाणी ग्रुप को बेचने का फैसला किया। जयप्रकाश गौड़ द्वारा स्थापित, जेपी ग्रुप ने रियल एस्टेट, सीमेंट और पावर जैसे क्षेत्रों में विस्तार किया, लेकिन अत्यधिक कर्ज, फंड डायवर्जन और प्रोजेक्ट में देरी के कारण कंपनी बर्बाद हो गई।

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    JP Associates की बर्बादी का किस्सा, क्यों और कैसे अस्त हुआ जयप्रकाश गौड़ का सूरज; डिटेल में सबकुछ जानें

    नई दिल्ली। JP Associates Downfall Story: सितंबर में खबर आई थी क अनिल अग्रवाल की वेदांता ग्रुप ने दिवालिया हो चुकी जयप्रकाश एसोसिएट्स (JP Associates) को खरीदने की बोली जीत ली है। लेकिन अब यह खबर बदल गई है। दरअसल, अब इसी खबर पर एक नया अपडेट है। अपडेट है कि अब जयप्रकाश एसोसिएट्स (JAL) के क्रेडिटर्स ने अनिल अग्रवाल की वेदांता की बजाय गौतम अदाणी को इसे बेचने की मंजूरी दी है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि वेदांता ने 17 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। वहीं, अदाणी ग्रुप ने 14,535 करोड़ रुपये का प्रपोजल दिया था। लेकिन अदाणी ग्रुप का पेमेंट प्लान 2 साल का है। वहीं, वेदांता का पेमेंट प्लान 7 साल का था। यही वजह रही की क्रेडिटर्स ने अदाणी ग्रुप को जेपी एसोसिएट्स बेचने की मंजूरी दी।

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    जेपी ग्रुप की मेन कंपनी का नया मालिक कौन बनेगा, इसे तो आपने जान लिया। लेकिन असली सवाल यह है कि आखिर इतना बड़ा ग्रुप बर्बाद कैसे हुआ? एक समय उत्तर भारत में जेपी ग्रुप की तूती बोलती थी। सड़क से लेकर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग और फॉर्मूला वन का ट्रैक तक बनाया। ऐसे में इसकी बर्बादी कैसे हुई, किन कारणों की वजह से जेपी का साम्राज्य डूबा? आइए जानते हैं।

    JP Associates को जयप्रकाश गौड़ ने किया था शुरू

    करीब 20 साल पहले JP Associates नॉर्थ इंडिया की मशहूर कंपनियों में से एक थी। एक समय पर, इस ब्रांड को “इंडिया का राजा” भी कहा जाता था। रियल एस्टेट सेक्टर की लीडिंग कंपनी मानी जाने वाली जयप्रकाश एसोसिएट्स 2000 के दशक की शुरुआत में शुरू हुए बूम की महत्वाकांक्षा का पर्याय बन गई थी। कंपनी तेजी से बढ़ी, सीमेंट और पावर से लेकर रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन तक के सेक्टर में अपना बिजनेस बढ़ाया।

    साल 1979 की बात है। बुलंदशहर के एक सिविल इंजीनियर जयप्रकाश गौड़ ने एक विजन और कुछ कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट के साथ अपना सफर शुरू किया। सड़कों और डैम से लेकर थर्मल और हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट तक, उनकी कंपनी, जयप्रकाश एसोसिएट्स ने सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर से कहीं ज्यादा बनाया। जयप्रकाश ने सिर्फ 10,000 रुपये की छोटी सी पूंजी से अपना बिजनेस शुरू किया था। 2000 के दशक की शुरुआत तक, JP ग्रुप ने हर जगह अपनी पहचान बना ली थी। पावर, सीमेंट, हॉस्पिटैलिटी, और सबसे ज़रूरी, रियल एस्टेट। JP ने जिस भी सेक्टर में कदम रखा, उस पर राज किया।

    क्यों और किन गलतियों के चलते बर्बाद हुई JP Associates

    बहुत ज्यादा कर्ज: जेपी ग्रुप ने 2000 के दशक में तेजी के दौरान पावर, सीमेंट, रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे कई कैपिटल-इंटेंसिव सेक्टर में तेजी से, कर्ज से फाइनेंस किया हुआ एक्सपेंशन किया। इससे कर्ज का लेवल बहुत अधिक और अनसस्टेनेबल हो गया।

    फंड डायवर्जन: कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स के लिए हजारों घर खरीदने वालों से इकट्ठा किया गया फंड गैर-कानूनी तरीके से ग्रुप की दूसरी एंटिटीज, ट्रस्ट और वेंचर्स में डायवर्ट कर दिया गया। इन फंड्स का इस्तेमाल उनके तय मकसद के लिए नहीं किया गया, जिससे प्रोजेक्ट्स अधूरे रह गए और खरीदारों के साथ धोखा हुआ।

    प्रोजेक्ट में देरी: फंड के डायवर्जन और दूसरी ऑपरेशनल नाकामियों की वजह से नोएडा में "विश टाउन" प्रोजेक्ट जैसे बड़े रियल एस्टेट डेवलपमेंट को पूरा करने में काफी देरी हुई। इससे खरीदारों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी।

    फेल हुए साइड वेंचर्स: ग्रुप ने महंगे, हाई-प्रोफाइल प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट किया, जो रिटर्न देने में फेल रहे, जैसे कि फॉर्मूला वन रेसिंग ट्रैक। इससे कैपिटल खत्म हो गया और फाइनेंशियल स्ट्रेस और बढ़ गया।

    बार-बार डिफॉल्ट: समय के साथ, जेपी ने कई बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन्स को दिए अपने लोन ऑब्लिगेशन्स पर डिफॉल्ट किया, जिससे कई इन्सॉल्वेंसी पिटीशन्स दायर हुईं।

    खराब मार्केट कंडीशंस: 2008 का ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस पहला बड़ा झटका था, क्योंकि इसने रियल एस्टेट सेक्टर को काफी धीमा कर दिया और इंटरेस्ट रेट्स में तेज बढ़ोतरी की। इससे ओवरलेवरेज्ड कंपनी के लिए अपना कर्ज चुकाना नामुमकिन हो गया।

    रेगुलेटरी फेलियर और पॉलिटिकल प्रेशर: एक्सपर्ट्स का कहना है कि पॉलिसी में अनिश्चितता और सरकारी लीडरशिप में बदलाव ने कंपनी के ऑपरेशन्स पर असर डाला, खासकर इसके बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर।

    अब अदाणी ग्रुप की हो जाएगी जेपी ग्रुप

    तो यह थी JP Group के बर्बाद होने की पूरी कहानी। जयप्रकाश ग्रुप ने कई गलतियां की जिसकी वजह से कंपनी दिवालिया हो गई। अब जेपी ग्रुप की मेन कंपनी Jaiprakash Associates Limited अब अदाणी ग्रुप की होने वाली है।

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