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    Jio IPO: 170 अरब डॉलर का वैल्युएशन, 38000 करोड़ जुटाने की तैयारी, देश के सबसे बड़े आईपीओ पर आया बड़ा अपडेट

    Updated: Thu, 04 Dec 2025 05:22 PM (IST)

    ब्लूमबर्ग न्यूज ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है कि रिलायंस समूह अनौपचारिक रूप से जियो के आईपीओ के लिए शुरुआती ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस तैयार करवान ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। रिलायंस समूह की टेलिकॉम कंपनी जियो के आईपीओ (Jio IPO) को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। दरअसल, रिलायंस ग्रुप ने जियो की लिस्टिंग के लिए शुरुआती ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस तैयार करवाने की प्रोसेस शुरू कर दी है। इसके साथ ही मार्केट में एक बार फिर इस सबसे बड़े आईपीओ की चर्चा तेज हो गई है। ब्लूमबर्ग न्यूज ने गुरुवार को इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के हवाले से यह जानकारी दी।

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    रिलायंस समूह अनौपचारिक रूप से बैंकों के साथ बातचीत कर रहा है ताकि ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस तैयार किया जा सके जिसे जल्द से जल्द सेबी के पास दाखिल किया जा सके। सूत्रों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर यह जानकारी दी है।

    170 अरबर डॉलर का वैल्युएशन

    सूत्रों ने बताया कि भारतीय आईपीओ से संबंधित नए नियम लागू होने के बाद ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस दाखिल करने और बैंकरों की औपचारिक नियुक्ति की जाएगी। सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने 5 ट्रिलियन रुपये (55 अरब डॉलर) से अधिक के पोस्ट-इश्यू मार्केट कैप वाली कंपनियों के लिए आईपीओ में न्यूनतम डाइल्यूशन को घटाकर 2.5% तक कम करने को मंजूरी दे दी है, लेकिन यह बदलाव अभी तक लागू नहीं हुआ है।

    वही, बैंकर जियो के लिए 170 अरब डॉलर तक का वैल्युएशन प्रस्तावित कर रहे हैं, जैसा कि विचार-विमर्श से परिचित लोगों ने पहले बताया था। यह प्रतिद्वंद्वी दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल लिमिटेड से भी ज़्यादा है, जिसका मूल्यांकन लगभग 140 अरब डॉलर है। नए लिस्टिंग नियमों के तहत, अगर जियो इस मूल्यांकन के उच्चतम स्तर को प्राप्त कर लेता है और न्यूनतम निर्बलता (dilution) का विकल्प चुनता है, तो वह लगभग 4.3 अरब डॉलर (38000 करोड़ से ज्यादा) जुटा सकता है।

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    बता दें कि रिलायंस के चेयरमैन और सीएमडी मुकेश अंबानी ने इसी साल अगस्त में कहा था कि जियो की लिस्टिंग 2026 की पहली छमाही में हो सकती है। दरअसल, रिलायंस इंडस्ट्रीज डायवर्सिफाई बिजनेस समूह है और जियो व रिलायंस रिटेल इसकी सब्सिडरी हैं। अब यह समूह अपने टेलिकॉम बिजनेस को डीमर्ज करना चाहता है। संभव है कि इसके बाद रिलायंस रिटेल का आईपीओ भी लाया जाए।

     

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