शहरी इलाकों में गीले-सूखे कचरे से मिलेगी निजात, 67 सीबीजी प्लांट लगाने की तैयारी में सरकार
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने गोबरधन योजना की समीक्षा की है। जल शक्ति मंत्रालय के मुताबिक इस योजना में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। देश में कचरे के निस्तारण के लिए यह योजना काफी अहम है क्योंकि इससे कचरे से बायो गैस बनाने का काम किया जा रहा है। 2020 में केवल 19 सीबीजी प्लांट कार्यरत थे लेकिन अब उनकी संख्या बढ़कर 125 हो चुकी है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शहरी इलाकों में गीले और सूखे कचरे के निस्तारण के लिए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय अगले मार्च तक 67 कंप्रेस्ट बायो गैस (सीबीजी) प्लांटों का निर्माण शुरू कर देगा। ये प्लांट इस वर्ष बजट में की गई घोषणा का हिस्सा हैं। बजट में इस वित्त वर्ष में 200 प्लांट लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसके तहत 37 संयंत्र संचालन की स्थिति में आ गए हैं, जबकि 133 पर काम चल रहा है। ये प्लांट 300 टन प्रति दिन कचरे के निस्तारण की क्षमता वाले हैं।
पिछले दिनों केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने गोबरधन योजना की समीक्षा की है, जिसमें नौ मंत्रालयों और विभागों ने भी हिस्सा लिया। ये सभी मंत्रालय और विभाग योजना के क्रियान्वयन में शामिल हैं। जल शक्ति मंत्रालय ने कहा है कि पिछले कुछ समय में इस योजना में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। देश में कचरे के निस्तारण के लिए यह योजना काफी अहम है, क्योंकि इससे कचरे से बायो गैस बनाने का काम किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें : Mineral Water है बेहद खतरनाक, FSSAI के अनुसार पैकेज्ड पानी उच्च जोखिम वाला उत्पाद
125 हो चुकी है सीबीजी प्लांट की संख्या
2020 में केवल 19 सीबीजी प्लांट कार्यरत थे, लेकिन अब उनकी संख्या बढ़कर 125 हो चुकी है। समीक्षा बैठक के दौरान योजना से जुड़े सभी मंत्रालयों और विभागों ने अपनी प्रगति का लेखा-जोखा बताने के साथ ही उन व्यावहारिक दिक्कतों को भी बताया, जो इन प्लांटों की स्थापना में आ रही हैं। इनमें सबसे बड़ी दिक्कत आपरेटरों के लिए लागत और बायो गैस की कीमत के बीच आर्थिक अंतर की भरपाई का मुद्दा है।
इसकी वजह से निजी आपरेटरों ने अभी ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया है। गीले और सूखे कचरे के स्त्रोत से ही अलग-अलग न हो पाने के कारण प्लांट में बायोगैस के उत्पादन में लागत बढ़ जाती है, क्योंकि इसके लिए अलग से व्यवस्था करनी पड़ती है। बैठक में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने सीएनजी और पीएनजी में बायोगैस के अनिवार्य मिश्रण को लेकर गाइडलाइन भी प्रस्तुत की और बताया कि वित्तीय संस्थानों और तेल तथा गैस मार्केटिंग कंपनियों से सीबीजी प्लांटों को फाइनेंस करने के लिए अनुबंध अंतिम चरण में हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।