साइबर फ्रॉड के बाद खाते से निकली रकम को वापस लाना बड़ी चुनौती, आखिर कहां होती है दिक्कत?
बैंक और नियामक एजेंसियों के लोग इस बात को स्वीकार करते हैं कि सब कुछ हो जाने के बावजूद जालसाजी के शिकार हुए व्यक्ति को पैसा लौटाने की प्रक्रिया अभी मुश्किल है। इसे आने वाले दिनों में आसान बनाने की कोशिश हो रही है। जागरण साइबर फ्रॉड को लेकर अपने सुधि पाठकों जागरूक करने के लिए अभियान चला रहा है। यहां पढ़िए सीरीज पार्ट-3

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। चंडीगढ़ की अंजलि चोपड़ा साइबर क्राइम की शिकार हुईं। जैसे ही उनके खाते से 80 हजार रुपये कटे, उन्हें इस बात का आभास हो गया कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। बैंक को फोन किया। साइबर अपराध वाले हेल्पलाइन नंबर को भी जानकारी दी। पुलिस के पास भी गईं और एफआईआर करवाई। इस सबके बावजूद उनके खाते में पैसा आने में दो महीने का वक्त लग गया।
लेकिन अंजलि चोपड़ा खुशकिस्मत हैं कि उनकी मेहनत की कमाई मिल गई। साइबर जालसाजी के शिकार होने वाले दूसरे हजारों लोगों की किस्मत वैसी नहीं होती। एफआईआर करवाने के बावजूद और पुलिस जांच में सत्यता प्रमाणित होने के बावजूद फ्रॉड करने वाले खातों से पैसा वापस लेना अभी भी टेढ़ी खीर है।
बैंकों व नियामक एजेंसियों के लोग इस बात को स्वीकार करते हैं कि सब कुछ हो जाने के बावजूद जालसाजी के शिकार हुए व्यक्ति को पैसा लौटाने की प्रक्रिया अभी दुरूह है और आने वाले दिनों में इसे आसान बनाने की कोशिश हो रही है। आरबीआई के स्तर पर काम चल रहा है। इसमें आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस जैसी प्रौद्योगिकी का सहारा लेने पर भी विचार चल रहा है।
बैंकिंग सिस्टम में तालमेल की कमी से दिक्कत
गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर (आइ4सी) ने पिछले दिनों अपनी एक रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपी है जिसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि कैसे बैंकिंग सिस्टम के बीच बेहतर सामंजस्य नहीं होना साइबर क्राइम करने वालों को मदद कर रहा है।
देश के बैंकिंग सिस्टम की सबसे बड़ी असफलता यह है कि फर्जी प्रपत्रों के आधार पर खाता खोलने पर रोक नहीं लग पाई है। पिछले साल साइबर अपराध से जुड़े 4.5 लाख बैंक खातों को जब्त किया गया है। ये बैंक खाते साइबर अपराध करने वालों ने लोगों से लूटी गई राशि को ट्रांसफर करने में इस्तेमाल किया है।
आई4सी ने यह भी जानकारी दी है कि इन बैंक खातों में 17 हजार करोड़ रुपये की राशि जमा की गई है। यह शक भी जताया गया है कि फर्जी कागजों पर खोले गये इन खातों के पीछे बैंकों के कर्मचारी या बैंक प्रबंधकों की भी संलिप्तता हो सकती है।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने जुलाई, 2024 में कहा था कि कुछ बैंकों के पास लाखों खातों में लंबे समय से कोई लेन-देन नहीं हुआ है। इनमें से कुछ खाताओं का इस्तेमाल फ्रॉड के लिए हो रहा है।
10 प्रतिशत से ज्यादा पैसा नहीं लौट पाता
बैंकिंग क्षेत्र के जानकार बताते हैं कि वित्तीय फ्रॉड से जो राशि बैंक खाते से निकल जाती है उसकी वापसी का औसत 10 फीसद से ज्यादा का नहीं है। फ्रॉड करने वाले पहले से ही सारी तैयारी किए होते हैं और जैसे ही पैसा उनके अधिकार वाले बैंक खाते में हस्तांतरित होता है, उसे निकाल लेते हैं।
फ्रॉड करने वाले के बैंक खाते से पैसा निकलने के बाद रकम वापसी की उम्मीद बहुत ही कम हो जाती है, क्योंकि इसके बाद अपराधी को गिरफ्तार करके, उसकी परिसंपत्तियों से या बैंक खाते से राशि को कानूनी तरीके से वापसी की प्रक्रिया पूरी करनी होती है।
सूचना देने में देरी करने से बढ़ेगी मुसीबत
धोखाधड़ी का शिकार होने वाले व्यक्ति को अपने संबंधित बैंक और बैंकिंग फ्रॉड की जानकारी देने के लिए गठित वेबसाइट (नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल) पर सूचना देने में कोई देरी नहीं करनी चाहिए। जितनी जल्दी बैंक को जानकारी मिलेगी, उसका सिस्टम उतनी ही जल्दी सक्रिय हो जाता है।
लेकिन यह ग्राहक की राशि वापसी की गारंटी नहीं है। अभी जो प्रक्रिया है, उसके मुताबिक जब धोखाधड़ी का शिकार ग्राहक बैंक को सूचना देता है तो बैंक उस बैंक को मेल करता जिसके बैंक खाते में राशि ट्रांसफर की गई है।
मौजूदा नियम यह है कि उक्त बैंक के संबंधित अधिकारी को 24 घंटे में ट्रांसफर किये गये बैंक खाते को जब्त करना पड़ता है और उससे राशि वापसी की प्रक्रिया शुरू करनी पड़ती है। 24 घंटे की अवधि में तो पैसा एक खाते से निकल कर कहां से कहां चला गया होता है।
बड़ी रकम की जानकारी पुलिस को देनी होगी
अगर फ्रॉड की राशि एक लाख रुपये से ज्यादा की है तो फिर उसकी जानकारी पुलिस को देनी होती है। पुलिस की जांच शुरू होने के बाद तो प्रक्रिया और लंबी खींच जाती है। तो क्या इस बारे में आगे कुछ नहीं किया जा सकेगा?
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इस बारे में पूछने पर आरबीआई के अधिकारियों का कहना है कि भविष्य में उनके तरफ से कुछ अहम कदम उठाए जाएंगे। सभी बैंकों के सहयोग से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के उपयोग पर काम किया जा रहा है।
नई व्यवस्था ऐसी होगी कि बैंक ग्राहक की तरफ से एक निश्चित पोर्टल या नंबर पर सूचना देने के साथ ही उसके बैंक खाते से जिस खाते में पैसा ट्रांसफर हुआ है वह जब्त हो जाएगा। उससे संबंधित सूचना दूसरे बैंकों को भी जा सकेगी।
इसके साथ ही यूपीआई ढांचे को भी और ज्यादा सुरक्षित बनाने की तैयारी है। सरकार के लिए यह चिंता की बात है कि यूपीआई भी फ्रॉड करने वालों का एक जरिया बन गया है।
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