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    जेब पर डाका, इकोनॉमी के लिए खतरा; आखिर साइबर क्राइम पर कैसे लगेगी लगाम?

    Updated: Fri, 29 Nov 2024 07:42 PM (IST)

    देश में बढ़ते डिजिटलीकरण के साथ साइबर अटैक के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। इस साल के पहले नौ महीनों में साइबर फ्रॉड की वजह से 11333 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। एक्सपर्ट का मानना है कि अपराध पर लगाम नहीं लगी तो 2033 तक हर साल भारत में सालाना एक लाख करोड़ साइबर अटैक होंगे। इनमें डेटा चोरी रैनसमवेयर साइबर बुलिंग जैसी कई चीजें शामिल हैं।

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    इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय साइबर अपराध पर लगाम के लिए पूरा फ्रेमवर्क तैयार कर रहा है।

    राजीव कुमार, जागरण नई दिल्ली। इन दिनों साइबर अपराध अखबार की सुर्खियों में है। कभी सेक्टॉर्शन के नाम पर तो कभी ऑनलाइन फ्रॉड के नाम पर रोजाना लाखों-करोड़ों रुपये का फ्रॉड हो रहा है। आलम यह है कि हर अज्ञात कॉल को लोग शक की निगाह से देखने लगे हैं। आंकड़े भी चौंकाने वाले ही हैं। गृह मंत्रालय से जुड़ी एजेंसी सिटिजन फाइनेंशियल साइबर फ्राड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (सीएफसीएफआरएमएस) के मुताबिक वर्ष 2024 में नवंबर माह तक साइबर फ्राड की लगभग 12 लाख शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं।

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    साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर के आंकड़े बता रहे हैं कि इस साल के पहले नौ महीनों में साइबर फ्रॉड की वजह से 11,333 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। पब्लिक रिस्पांस अगेंस्ट हेल्पलेसनेस एंड एक्शन फॉर रिड्रेसल (प्रहार) का मानना है कि अपराध पर लगाम नहीं लगी तो वर्ष 2033 तक हर साल भारत में सालाना एक लाख करोड़ साइबर अटैक होंगे।

    साइबर अटैक में कौन-सी चीजें शामिल

    साइबर अटैक में ऑनलाइन फ्राड और सेक्सटॉर्शन जैसी चीजें ही शामिल नहीं हैं। इनमें डेटा चोरी, रैनसमवेयर, ऑनलाइन हेट क्राइम, साइबर बुलिंग, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी सेवाओं पर साइबर अटैक, आइडेंटिटी थेफ्ट, अवैध बेटिंग (सट्टेबाजी) ऐप जैसी कई चीजें शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल किसी देश की आर्थिकी व आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करने में किया जा सकता है।

    साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ व भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी मुक्तेश चंदेर का कहना है कि साइबर अटैक का इस्तेमाल किसी देश की अर्थव्यवस्था की मजबूत कड़ी को कमजोर करने में हो सकता है। एस्टोनिया में हमने ऐसा देखा है। प्रहार के राष्ट्रीय संयोजक अभय मिश्रा के मुताबिक साइबर अटैक किसी देश की आंतरिक सुरक्षा व उनकी आर्थिकी को कमजोर करने का टूल बनता जा रहा है।

    साइबर अपराध रोकना किसकी जिम्मेदारी?

    इस साल अगस्त में संसद सत्र के दौरान गृह मंत्रालय ने बताया था कि अन्य अपराध की तरह साइबर फ्रॉड को रोकना भी राज्य की एजेंसियों की जिम्मेदारी है। साइबर अपराध से निपटने के तंत्र को मजबूत करने के लिए केंद्र ने साइबर क्राइम कोर्डिनेशन सेंटर के साथ नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल की स्थापना की है। इसके अलावा साइबर अपराध को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाई जा रही है।

    इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय साइबर अपराध पर लगाम के लिए पूरा फ्रेमवर्क तैयार कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर चल रहे साइबर अपराध को रोकने के लिए देश में अभी अलग से कोई विशेष कानून नहीं है। आईटी एक्ट में संशोधन के तहत 2022 में लाए गए प्रविधानों के तहत ही साइबर अपराध को रोकने की अभी कोशिश की जा रही है।

    आईटी एक्ट में मुख्य रूप से डेटा चोरी रोकने, इंटरमीडियरीज और ऑनलाइन इंटरनेट प्लेटफॉर्म को देश से बाहर डेटा नहीं भेजने और साइबर सुरक्षा अधिकारी नियुक्त करने, आपत्तिजनक पोस्ट को हटाने जैसे प्रविधान है।

    साइबर अपराध पर कैसे लगेगी लगाम?

    साइबर कानून के विशेषज्ञ सुप्रीम कोर्ट के वकील पवन दुग्गल कहते हैं कि रोजाना हो रहे डिजिटल अरेस्ट एवं अन्य वित्तीय फ्रॉड को रोकने के लिए सरकार को एक बहुमुखी रणनीति बनानी होगी। साइबर अपराध के लिए समर्पित कानून की जरूरत है। अलग-अलग सेक्टर के हिसाब से साइबर कानून बनाना होगा। बैंक में साइबर अपराध का तरीका अलग होगा तो किसी व्यक्ति विशेष के साथ अलग।

    दुग्गल ने बताया कि आईटी एक्ट के 2022 के प्रविधानों के मुताबिक साइबर अपराध होने के छह घंटे के भीतर सरकारी नोडल एजेंसी को रिपोर्ट करने की आवश्यकता है, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। निजी सेक्टर को भी साइबर सुरक्षा बहाल करने में भागीदार बनाना होगा।

    विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र की पहल पर राज्यों में अलग से साइबर पुलिसिंग की व्यवस्था की जरूरत है। केंद्र की तरफ से साइबर आर्मी बनाए जाने की आवश्यकता है, ताकि सैटेलाइट पर होने वाले अटैक को बचाया जा सके। रूस व चीन इस दिशा में काम कर रहे हैं।

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