400 कमरों का शाही महल: ₹1 करोड़ से भी कम में बना, आज कीमत ₹40,000 करोड़; 29 साल का ये युवा है इकलौता वारिस
ग्वालियर का जय विलास पैलेस। इसे बनाने में 1 करोड़ रुपए से भी कम खर्च हुए थे। लेकिन आज इसकी कीमत करीब 40 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। इस शाही विरासत का वारिस सिर्फ 29 साल का एक युवा है। जिनका नाम है- महाआर्यमान सिंधिया जो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे हैं। महाआर्यमान को हाल ही में मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना गया है।

नई दिल्ली| एक ऐसा महल... जिसकी छत की मजबूती परखने के लिए 8 हाथी दौड़ाए गए हों। जहां के दरबार हॉल में 7 टन वजनी दो झूमर लटके हों, और कमरे इतने कि गिनते-गिनते ही थक जाएं। ये है ग्वालियर का जय विलास पैलेस। कभी इसे बनाने में 1 करोड़ रुपए से भी कम खर्च हुए थे। लेकिन आज इसकी कीमत करीब 40 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा है।
हैरानी की बात तो यह है कि इस शाही विरासत का वारिस सिर्फ 29 साल का एक युवा है। जिनका नाम है- महाआर्यमान सिंधिया, जो बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे हैं। महाआर्यमान को हाल ही में मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना गया है।
12 साल में बनकर तैयार हुआ
ग्वालियर के गाइड मोहम्मद हुसैन रिजवी उर्फ मनान रिजवी बताते हैं कि जय विलास पैसेल का निर्माण ग्वालियर के महाराजा जयाजीराव सिंधिया ने करावाया था। यह 124,771 फुट एरिया में बना है, जो 1874 में बनकर तैयार हुआ था।
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इसे बनाने में करीब 12 साल का समय लगा। महल को बनाने के लिए यूरोपियन आर्किटेक्ट सर माइकल फिलोसा को बुलाया गया था। खास बात ये है कि इस महल की डिजाइन में ट्यूस्कन, इटैलियन और कॉरिन्थियन स्टाइल का मिला-जुला आर्किटेक्चर देखने को मिलता है।
400 से ज्यादा कमरे हैं महल में
मनान रिजवी के मुताबिक, महल में कुल 400 से ज्यादा कमरे हैं, जिनमें से करीब 35 से 40 कमरों को म्यूजियम के तौर पर आम जनता के लिए खोला गया है। इन कमरों में सिंधिया राजघराने की कीमती चीजें, विदेशी फर्नीचर, हथियार और महंगी पेंटिंग्स रखी गई हैं।
- 400 से ज्यादा कमरे हैं शाही महल में
- 40 कमरे म्यूजियम के रूप में खुले
- 7 टन वजनी झूमर लगे हैं हॉल में
- 8 हाथी चलाए गए थे छत की मजबूती परखने के लिए
- 40,000 करोड़ रुपए अनुमानित कीमत है महल की
सोना, चांदी से डिजाइन किया हॉल
मनान रिजवी ने बताया कि जय विलास पैलेस की दूसरी मंजिल पर बने हॉल को सबसे सुंदर माना जाता है। इसे हीरा, सोना और चांदी से डिजाइन किया गया है। दरबार हॉल में बेल्जियम मेड दो शानदार झूमल लगे हैं, जिनका 7 टन (एक का वजन 3500 किलोग्राम) है। ये झूमर दुनिया के सबसे बड़े झूमर में गिने जाते हैं। जब इन्हें लगाया गया था तो छत की मजबूती को जांचने के लिए 8 हाथियों को छत पर चलवाया गया था।
महल की सजावट में सोने-चांदी का भरपूर इस्तेमाल हुआ है। दरबार हॉल की छत पर सोने की पॉलिश की गई है। महल की देखरेख के लिए सैकड़ों कर्मचारी तैनात रहते हैं। इसमें से कई पीढ़ियों से इसी काम में लगे हुए हैं। विदेशों से मंगवाए गए फर्नीचर, झूमर, और सजावट की चीजें इस महल की शान बढ़ाते हैं। यूरोप से आए इंटीरियर और इटली से मंगवाए गए मार्बल आज भी उतने ही चमकते हैं जितने 150 साल पहले।
डाइनिंग हॉल में चांदी की ट्रेन भी
पैलेस के डाइनिंग हॉल में चांदी की ट्रेन आकर्षण का केंद्र है, जो घूम-घूमकर मेहमानों को अल्कोहल सर्व करती है। इस ट्रेन की खासियत यह है कि इस पर 7 ट्रे लगी हैं, जिन पर बड़े-बड़े शब्दों में लिखा है- SCINDIA, जो सिंधिया परिवार के सरनेम को दर्शाता है। इस ट्रेन का इस्तेमाल खास मौकों पर किया जाता है।
सिंधिया परिवार की प्राइवेट प्रॉपर्टी
फिलहाल जय विलास पैलेस सिंधिया परिवार की प्राइवेट प्रॉपर्टी है। अगर आप इसे देखना चाहते हैं या फिर महल में घूमना चाहते हैं तो यह शाही महल सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। भारतीय पर्यटकों के लिए टिकट की कीमत लगभग 350 रुपए प्रति व्यक्ति है। फॉरेनर्स के लिए इसकी कीमत 850 रुपए है। अगर आप मोबाइल ले जाना चाहते हैं तो आपको 50 रुपए और कैमरे के लिए 100 रुपए अलग से चुकाने होंगे।
आज जय विलास पैलेस सिर्फ एक ऐतिहासिक धरोहर ही नहीं बल्कि ग्वालियर शहर का गौरव है। मनान रिजवी के मुताबिक, शाही महल की अनुमानित कीमत 40,000 करोड़ रुपए मानी जाती है। हालांकि, विकीपीडिया पर यह 4000 करोड़ रुपए बताई गई है।
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