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    ITR Filing 2025: AIS और 26AS के बीच मिसमैच हुई आयकर विभाग कर लेगा सवाल-जवाब; एक्सपर्ट से जानें कैसे बचें?

    Updated: Thu, 12 Jun 2025 05:34 PM (IST)

    टैक्स फाइलिंग में AIS और फॉर्म 26AS के बीच मिसमैच आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) की नजरों में ला सकता है। AIS और फॉर्म 26AS यह दर ...और पढ़ें

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    AIS और फॉर्म 26AS दर्शाते हैं कि आईटी डिपार्टमेंट आपकी इनकम को कैसे देखता है।

    नई दिल्ली। टैक्स फाइलिंग की डेडलाइन पास आते ही हर तरफ हलचल मच जाती है। टैक्सपेयर्स (Taxpayers) भाग-दौड़ में जुट जाते हैं। जरूरी डॉक्यूमेंट्स इकट्ठा करने लगते हैं। टैक्स डिडक्शन का हिसाब लगाने से लेकर सब कुछ समय पर पूरा करने की जद्दोजहद में लग जाते हैं। लेकिन इस भाग-दौड़ में एक छोटी सी चूक आपके लिए बड़ा सिरदर्द बन सकती है। और वो है- AIS यानी एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट और फॉर्म 26AS के बीच मिसमैच, जो आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) की नजरों में ला सकती है।

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    खासकर वेतनभोगी या मध्यम आय वाले लोग, जो सोचते हैं कि उनका रिटर्न बिल्कुल सही है और वे इस छिपे खतरे से अनजान रहते हैं। इसके बारे में फोर्विस माज़र्स इंडिया के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (डायरेक्ट टैक्स) अवनीश अरोड़ा ने बताया कि कैसे यह मिसमैच आपके लिए मुसीबत बन सकता है और इससे बचने का आसान तरीका क्या है? तो आइए जानते हैं...

    ITR में कब आ सकती है समस्या?

    फॉर्म 26AS आमतौर पर टैक्सपेयर्स का सबसे भरोसेमंद साथी रहा है। जिसमें कंपनियां (Employers) या बैंकों द्वारा काटा गया टीडीएस, एडवांस टैक्स पेमेंट और रिफंड की जानकारी होती है। लेकिन हाल के वर्षों में, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने AIS यानी एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट शुरू किया है, जो एक डीटेल्ड फाइनेंशियल रिपोर्ट है।

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    यह फिक्स्ड डिपॉजिट और बचत खातों से मिलने वाले ब्याज, डिविडेंड, म्यूचुअल फंड लेनदेन, शेयर बाजार के सौदे, संपत्ति की खरीद-बिक्री और यहां तक कि बड़े क्रेडिट कार्ड खर्चों तक की जानकारी देता है। लेकिन समस्या तब होती है, जब आपका आयकर रिटर्न (ITR) AIS या फॉर्म 26AS से मेल नहीं खाता।

    26AS और AIS के मिसमैच से कैसे बचें?

    आसान भाषा में समझें तो मान लीजिए कि आपको फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) से मिले ब्याज को ITR में नहीं दिखाना है। लेकिन बैंक इसे रिपोर्ट करता है, जो जांच का कारण बन सकता है। क्रेडिट कार्ड के ज्यादा खर्च जो आपकी इनकम से मेल नहीं खाते, या फिर आपकी संपत्ति के लेनदेन को ना दिखाना भी टैक्स फाइलिंग में बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है।

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    टैक्स फाइल करने से पहले इनकम पोर्टल से फॉर्म 26AS और AIS डाउनलोड करें और अपने वित्तीय लेनदेन, बैंक स्टेटमेंट के साथ हर संख्या की मिलान करें। अगर AIS में कोई गलती हो तो पोर्टल आपको फीडबैक देने और उसे सही करने का ऑप्शन देता है।

    तो इनकम टैक्स विभाग कर सकता है पूछताछ?

    इन दस्तावेजों को नजरअंदाज करना या वैकल्पिक समझना अब समझदारी नहीं है, क्योंकि टैक्स प्रणाली अब पूरी तरह डिजिटल, डेटा के आधार पर चलने वाली और ऑटोमैटिक हो चुकी है। AIS और फॉर्म 26AS यह दर्शाते हैं कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपके वित्त को कैसे देखता है।

    अगर आपका ITR इनसे मेल नहीं खाता, तो आपको आईटी डिपार्टमेंट के सवालों या फिर जांच का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, फाइलिंग से पहले दोनों को ध्यान से जांचें और सुनिश्चित करें कि आपकी संख्याएं मेल खाती हों। क्योंकि टैक्स में समानता अब पहले से कहीं ज्यादा मायने रखती है।

     

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