बीमा कंपनियों को 21 सितंबर के बाद लौटाना होगा इनपुट टैक्स क्रेडिट, जानिए क्या होगा लागत पर असर
ITC return news जीएसटी दरों में संशोधन के फैसले के बाद वित्त मंत्रालय ने एक सवाल-जवाब जारी किया है। इसमें बताया गया है कि जिन वस्तुओं या सेवाओं पर टैक्स की दर घटाकर जीरो की गई है उनसे जुड़ी कंपनियों को पुराना इनपुट टैक्स क्रेडिट रिवर्स करना पड़ेगा। यह प्रावधान कंपनियों की लागत बढ़ा सकता है।

ITC return news: जीएसटी काउंसिल ने हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर टैक्स खत्म करने का फैसला किया है। यह 22 सितंबर 2025 से लागू होगा। लेकिन बीमा कंपनियों के लिए एक पेंच है कि 21 सितंबर 2025 तक उनका जो भी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) जमा होगा, वह उन्हें लौटना पड़ेगा।
अभी बीमा प्रीमियम पर पॉलिसी धारकों को 18% जीएसटी चुकाना पड़ता है, लेकिन 22 सितंबर से नई दरें लागू होने के बाद प्रीमियम पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा। इसका सीधा फायदा बीमा खरीदने वालों को मिलेगा।
क्या है वित्त मंत्रालय का FAQ
जीएसटी काउंसिल (GST Council) की 56वीं बैठक के बाद वित्त मंत्रालय ने जो सवाल-जवाब (FAQ) जारी किए हैं, उसमें बताया गया है कि टैक्स दरों में बदलाव के बाद जिन बिजनेस के लिए आगे की सप्लाई (आउटवार्ड सप्लाई) पर टैक्स खत्म किया गया है, उन्हें अपने खाते में जमा इनपुट टैक्स क्रेडिट को रिवर्स करना पड़ेगा।
FAQ के अनुसार पुराने इनपुट टैक्स क्रेडिट का इस्तेमाल वस्तुओं या सेवाओं की आउटवार्ड सप्लाई में 21 सितंबर तक ही किया जा सकता है। नई दरें लागू होने की तारीख, 22 सितंबर अथवा उसके बाद जो भी सप्लाई होगी, उसके बाद सीजीएसटी एक्ट 2017 के प्रावधानों के मुताबिक इनपुट टैक्स क्रेडिट को रिवर्स करना पड़ेगा।
वर्तमान में जीएसटी के चार स्लैब हैं- 5% 12% 18% और 28 प्रतिशत। जीएसटी दरों में बदलाव में टर्म इंश्योरेंस समेत व्यक्तिगत लाइफ इंश्योरेंस, यूलिप, एंडाउमेंट प्लान और रीइंश्योरेंस सर्विसेज भी शामिल हैं। अभी इन सब पर 18% जीएसटी लगता है।
क्रेडिट लौटाने पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने बताया कि आमतौर पर बीमा कंपनियां बड़े पैमाने पर इनपुट सर्विसेज का इस्तेमाल करती हैं। जैसे आईटी प्लेटफार्म, प्रोफेशनल सर्विसेज, ब्रांच ऑपरेशंस इत्यादि। इससे उनके लिए क्रेडिट को अलग-अलग करना काफी जटिल हो जाता है। ऐसे में अप्रयुक्त क्रेडिट को पूरी तरह से रिवर्स करने का प्रावधान इस सेक्टर की लागत बढ़ा देगा, खास कर जब इसमें किसी रिफंड की व्यवस्था नहीं की गई है।
रजत मोहन के अनुसार, प्रीमियम पर जीरो टैक्स से पॉलिसी धारकों को सीधा फायदा मिलेगा। लेकिन उपभोक्ता हित और इंडस्ट्री की सस्टेनेबिलिटी के बीच संतुलन के लिए सरकार को इनपुट क्रेडिट को चरणबद्ध तरीके से रिवर्स करने अथवा सीमित रिफंड पर विचार करना चाहिए।
कंसल्टेंसी फर्म नांगिया एंडरसन एलएलपी के पार्टनर राहुल शेखर ने कहा कि इंडस्ट्री के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जीएसटी रेट में बदलाव के बाद छूट वाली कैटेगरी का ट्रीटमेंट है। उन्होंने कहा कि कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट रिवर्स करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
डेलॉय इंडिया के पार्टनर और इनडायरेक्ट टैक्स लीडर महेश जयसिंह ने भी कहा कि FAQ के अनुसार पुरानी अधिक दरों पर जमा होने वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट का बीमा कंपनियां अपने सप्लाई (वस्तु या सेवा) में इस्तेमाल कर सकती हैं। लेकिन जिन सप्लाई को 22 सितंबर से जीएसटी से छूट दी गई है, उसके लिए आनुपातिक रूप से क्रेडिट रिवर्स करना पड़ेगा।
आगे प्रीमियम पर क्या असर होगा?
बीमा कंपनियां अपने ऑपरेशंस के दौरान कई तरह के प्रोडक्ट और सर्विसेज लेती हैं, जिन पर जीएसटी चुकाना पड़ता है। ग्राहक को पॉलिसी बेचते समय प्रीमियम पर 18% जीएसटी लेती हैं। लेकिन इनपुट पर चुकाए गए जीएसटी का उन्हें क्रेडिट मिलता है। प्रीमियम पर जीएसटी खत्म होने से उन्हें इनपुट क्रेडिट नहीं मिलेगा। इस तरह इनपुट पर चुकाया गया टैक्स उनकी लागत में शामिल हो जाएगा। इसलिए कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ग्राहकों को जीएसटी में 18% छूट का पूरा फायदा शायद ही मिले।
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