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    बचत की जगह लोगों की दिलचस्पी मकान और गाड़ी खरीदने में, परिवर्तन से देश की अर्थव्यवस्था को कोई नुकसान नहीं

    By Jagran NewsEdited By: Gaurav Kumar
    Updated: Thu, 21 Sep 2023 08:49 PM (IST)

    आज लोग बैंक बीमा कंपनियों पेंशन फंड सावधि जमा इत्यादि जैसे वित्तीय बचत में अपना पैसा निवेश करने की तुलना में घर या कार खरीदने में अधिक रुचि दिखा रहे हैं। इस बदलाव के कारण शुद्ध वित्तीय बचत में गिरावट आई है। हालांकि आपकी कुल वित्तीय बचत बढ़ रही है। घर या कार खरीदने के लिए लोन लेने से लोगों की देनदारियां बढ़ीं और उनकी शुद्ध बचत कम हुई है।

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    इस रुझान के बदलने से शुद्ध वित्तीय बचत (नेट फाइनेंशियल सेविंग) में गिरावट हो रही है।

    नई दिल्ली, जेएनएन: लोग अब बैंकों में पैसा रखने या इंश्योरेंस व पेंशन फंड, फिक्स्ड डिपोजिट जैसी वित्तीय बचत की जगह मकान और वाहन खरीदने में अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं।

    इस रुझान के बदलने से शुद्ध वित्तीय बचत (नेट फाइनेंशियल सेविंग) में गिरावट हो रही है। हालांकि उनकी कुल वित्तीय बचत बढ़ रही है।

    लोगों की बचत हुई कम

    मकान या गाड़ी खरीदने के लिए लोन लेने से लोगों पर देनदारी बढ़ने से उनकी शुद्ध वित्तीय बचत कम हुई है। कुल वित्तीय बचत में से देनदारी घटाने पर जो बचता है, उसे शुद्ध वित्तीय बचत कहते हैं।

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    वित्त मंत्रालय का कहना है कि मकान व वाहन की खरीदारी में तेजी से शुद्ध बचत में कमी आई है और यह रुझान अर्थव्यवस्था के लिए कही से नुकसानदेह नहीं है।

    किस वर्ष कितनी बढ़ी परिसंपत्ति?

    कुछ दिनों से घरेलू बचत में होने वाली कमी से अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर की चर्चा हो रही है। वित्त मंत्रालय के मुताबिक परिवारों ने वित्त वर्ष 2021 में 22.8 लाख करोड़ रुपए, वित्त वर्ष 2022 में लगभग 17.0 लाख करोड़ रुपए और वित्त वर्ष 2023 में 13.8 लाख करोड़ रुपए की शुद्ध वित्तीय परिसंपत्ति जोड़ी।

    वित्त मंत्रालय का कहना है कि पिछले वर्ष और उससे पहले वर्ष की तुलना में लोगों ने पोर्टफोलियो में कम वित्तीय संपत्तियां जोड़ीं, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उनकी कुल वित्तीय संपत्ति अब भी बढ़ रही है।

    वित्त वर्ष 2020 में कुल वित्तीय संपत्तियां 22.9 लाख करोड़, वित्त वर्ष 2021 में 30.6 लाख करोड़, वित्त वर्ष 2022 में 26 लाख करोड़ तो वित्त वर्ष 2023 में 29.6 लाख करोड़ थी।

    वित्तीय देनदारी में हुई बढ़ोतरी

    लोन लेकर मकान और गाड़ी खरीदने की वजह से उनकी वित्तीय देनदारी बढ़ती चली गई जिससे शुद्ध वित्तीय बचत कम दिख रही है। वित्त वर्ष 2020 में वित्तीय देनदारी 7.6 लाख करोड़ थी जो वित्त वर्ष 2021 में 7.8 लाख करोड़, वित्त वर्ष 2022 में 9.0 लाख करोड़ तो वित्त वर्ष 2023 में 15.8 लाख करोड़ तक पहुंच गई। वित्त मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2021 में आवास लोन में दहाई अंक में बढ़ोतरी हुई।

    वर्ष 2022 के अप्रैल से वाहन लोन में दहाई अंक में बढ़ोतरी हो रही है। पिछले साल सितंबर से वाहन लोन में 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो रही है। इन वजहों से लोगों की वित्तीय देनदारी तो बढ़ी है, लेकिन उनका कुल वित्तीय पोर्टफोलियो बड़ा हुआ है क्योंकि मकान की कीमत लगातार बढ़ रही है।

    पर्सनल लोन में 62 प्रतिशत हिस्सेदारी होम और वाहन लोन की

    आरबीआई के मुताबिक व्यक्तिगत लोन में 62 प्रतिशत हिस्सेदारी मकान और वाहन लोन की होती है। दूसरी तरफ, एनबीएफसी की तरफ से भी मकान और वाहन लोन में भारी बढ़ोतरी हुई है जो यह दर्शाता है कि लोग बैंकों में पैसा जमा करने के बजाय फिजिकल संपत्ति में पैसा लगा रहे हैं।

    वित्त मंत्रालय के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 में एनबीएफसी ने घरेलू सेक्टर को मात्र 21.4 हजार करोड़ रुपए का ऋण प्रदान किया। वहीं, वित्त वर्ष 2023 में एनबीएफसी ने घरेलू सेक्टर को 240,000 करोड़ रुपए का लोन प्रदान किया जो वित्त वर्ष 2022 के मुकाबले 11.2 गुणा अधिक है। वाहन लोन के बकाया में लगभग 12.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।