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    Infosys Mass Layoffs: 2 साल के इंतजार के बाद ज्वाइनिंग, 6 महीने बाद ही छंटनी; सैकड़ों ट्रेनी बेरोजगार

    Updated: Tue, 11 Feb 2025 06:24 PM (IST)

    इन्फोसिस ने करीब दो साल पहले सैकड़ों आईटी ग्रेजुएट को जॉब ऑफर की थी। लेकिन बिजनेस से जुड़ी चुनौतियों के चलते उन्हें सितंबर में ज्वाइनिंग कराई। लेकिन इ ...और पढ़ें

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    इन्फोसिस का कहना है कि कंपनी में हायरिंग प्रोसेस काफी सख्त है।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। आईटी कर्मचारियों की यूनियन नैसेंट इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इम्प्लॉइज सीनेट (NITES) ने शुक्रवार को दावा किया कि आईटी दिग्गज इन्फोसिस ने अपने मैसूर कैंपस से करीब 700 फ्रेशर्स को नौकरी से निकाल दिया है। यूनियन के मुताबिक, फ्रेशर्स को कंपनी में आने के कुछ ही महीनों बाद छंटनी का शिकार होना पड़ा है।

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    इन्फोसिस के फाउंडर एन नारायण मूर्ति अक्सर अपने वर्क कल्चर से जुड़े बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। वह हफ्ते में 70 घंटे काम करने की वकालत करते हैं। ऐसे में सोशल मीडिया यूजर्स इन्फोसिस में ट्रेनियों की बड़े पैमाने पर छंटनी होने पर नाराजगी जता रहे हैं। वे इन्फोसिस और उसके मैनेजमेंट की तीखी आलोचना भी कर रहे हैं।

    क्या है पूरा मामला?

    इन्फोसिस ने करीब दो साल पहले सैकड़ों आईटी ग्रेजुएट को जॉब ऑफर की थी। लेकिन, बिजनेस से जुड़ी चुनौतियों के चलते उन्हें सितंबर में ज्वाइनिंग कराई। लेकिन, इन्फोसिस में नौकरी के लिए दो साल का इंतजार करने वाले आईटी ग्रेजुएट को उस वक्त बड़ा सदमा लगा, जब सिर्फ 6 महीने बाद उनकी सामूहिक छंटनी कर दी गई।

    ये ट्रेनी जब घर लौटने के लिए टैक्सी और बस बुक करने पहुंचे, तो उनके सामने बड़ा सवाल यही था कि वे अपने परिवारों को यह खबर कैसे बताएंगे?

    कर्मचारियों के डराने के लिए बाउंसर?

    NITES के चेयरपर्सन हरप्रीत सिंह सलूजा ने एक बयान में कहा, "इन्फोसिस ने करीब 700 कैंपस हायरिंग को जबरन नौकरी से निकालना शुरू कर दिया है। उन लोगों को कुछ महीने पहले कंपनी में जगह मिली थी। यह बेहद हैरान करने वाली अनैतिक कदम है।'

    NITES का आरोप है कि कंपनी ने बर्खास्तगी प्रक्रिया के दौरान कर्मचारियों को डराने के लिए "बाउंसर और सुरक्षा कर्मियों" को भी तैनात किया था।

    सोशल मीडिया पर आक्रोश

    इन्फोसिस में फ्रेशर्स की बड़े पैमाने पर छंटनी होने से सोशल मीडिया पर आक्रोश फैल गया। कई लोगों ने प्रभावित कर्मचारियों से सहानुभूति जताई और कंपनी के फैसले की आलोचना की।

    एक यूजर ने अपने एक्स पर लिखा, "यह वास्तव में दिल तोड़ने वाला है। इन फ्रेशर्स ने इन्फोसिस से ऑफर लेटर मिलने के बाद 2-2.5 साल इंतजार किया। आखिरकार सितंबर 2024 में उनकी ज्वाइनिंग हुई। अब सिर्फ छह महीने बाद उनमें से लगभग 700 को नौकरी से निकाल दिया गया है। कई फ्रेशर्स ने 2 साल के दरम्यान कई अन्य मौकों को ठुकरा दिया होगा कि उन्हें इन्फोसिस में काम करने का मौका मिलेगा। अब उनके साथ ऐसा सलूक हो रहा है।'

    इन्फोसिस ने क्या प्रतिक्रिया दी?

    इन्फोसिस का कहना है कि कंपनी में हायरिंग प्रोसेस काफी सख्त है। मैसूर कैंपस में शुरुआती ट्रेनिंग लेने के बाद सभी फ्रेशर्स को इंटरनल टेस्ट पास करना था। इसके लिए फ्रेशर्स को टेस्ट पास करने के लिए तीन मौके मिलते हैं, जिसमें फेल होने वालों को कंपनी में नहीं रखा जाता। कंपनी ने जोर देकर कहा कि यह शर्त कॉन्ट्रैक्ट में भी लिखी है।

    हालांकि, फ्रेशर्स का दावा है कि उन्हें फेल करने के लिए जानबूझकर सख्त टेस्ट बनाए गए थे। इन्फोसिस ने इस बात से इनकार किया है कि कर्मचारियों को डराने के लिए बाउंसर तैनात किए गए थे।

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