रेयर अर्थ के लिए भारत ने बनाया ₹7000 करोड़ का धांसू प्लान, चीन पर निर्भरता कम करने की तैयारी; कैबिनेट ने दी मंजूरी
Cabinet rare earth incentive: भारत चीन पर निर्भरता कम करने के लिए 7,000 करोड़ रुपए की रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट योजना को मंजूरी देगा। यह कदम चीन द्वारा निर्यात प्रतिबंध की धमकी के बाद उठाया गया है। योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण सामग्री सुरक्षित करना है। भारत रेयर अर्थ सप्लाई चेन को मजबूत करने और चीन पर निर्भरता कम करने का प्रयास कर रहा है।

रेयर अर्थ के लिए भारत ने बनाया ₹7000 करोड़ का धांसू प्लान, चीन पर निर्भरता कम करने की तैयारी; कैबिनेट ने दी मंजूरी
Rare earth magnets India: भारत चीन पर अपनी निर्भरता घटाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है। केंद्र सरकार आज की कैबिनेट बैठक में 7,000 करोड़ रुपए की रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट स्कीम (Rare Earth Permanent Magnet Scheme) को मंजूरी दे सकती है। यह जानकारी सूत्रों के हवाले से बुधवार को सामने आई।
यह स्कीम ऐसे समय लाई जा रही है जब चीन रेयर अर्थ से जुड़ी सामग्रियों पर एक्सपोर्ट कर्ब्स लगाने की धमकी दे चुका है। दुनिया के कुल रेयर अर्थ कच्चे उत्पादन का 60-70% चीन करता है, जबकि वैश्विक प्रोसेसिंग का 90% हिस्सा चीन के पास है। ऐसे में भारत का यह कदम सप्लाई चेन सुरक्षित करने के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है।
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एनर्जी और डिफेंस सेक्टर के जरूरी
गौर करने वाली बात यह है कि 7,000 करोड़ रुपए का यह आउटले पहले के 2,500 करोड़ की प्रस्तावित योजना से काफी बड़ा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह प्रोत्साहन कार्यक्रम इलेक्ट्रिक वाहनों (EV magnets scheme), रिन्यूएबल एनर्जी और डिफेंस सेक्टर के लिए जरूरी महत्वपूर्ण मैटीरियल्स को सुरक्षित करने के मकसद से तैयार किया गया है।
हालांकि, सेक्टर में चुनौतियां कम नहीं हैं। फंडिंग की कमी, तकनीकी विशेषज्ञता का अभाव, लंबी प्रोजेक्ट टाइमलाइन और माइनिंग से जुड़े पर्यावरणीय जोखिम इसमें शामिल हैं। इनके कारण बिना सरकारी समर्थन के कमर्शियल प्रोडक्शन अभी भी मुश्किल बना हुआ है।
लाइसेंस जारी, लेकिन भारतीय कंपनियों को मंजूरी नहीं
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने भारत के लिए रेयर अर्थ मैग्नेट्स के शुरुआती एक्सपोर्ट लाइसेंस जारी किए हैं, लेकिन इनमें किसी भारतीय कंपनी को मंजूरी नहीं मिली है। भारत की सालाना जरूरत लगभग 2,000 टन ऑक्साइड्स की है, जिसे पूरा करने में कई ग्लोबल सप्लायर रुचि दिखा रहे हैं। सरकार सिंक्रोनस रिलक्टेंस मोटर्स पर भी रिसर्च फंड कर रही है, ताकि भविष्य में रेयर अर्थ पर निर्भरता कम की जा सके।
अप्रैल में चीन द्वारा एक्सपोर्ट कंट्रोल कड़े करने के बाद भारत ने रेयर अर्थ सप्लाई चेन बनाने की कोशिशों को तेज किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई में कहा था कि महत्वपूर्ण खनिजों को हथियार की तरह इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में भारत ने 2,270 टन रेयर अर्थ मेटल्स आयात किए, जिनमें से 65% से ज्यादा चीन से आए थे।

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