चीन को मात देने भारत का ₹7000 करोड़ का प्लान, शुरू होगा रेयर अर्थ मैग्नेट मिशन; टॉप-5 देशों में इंडिया कहां?
भारत सरकार ने चीन को प्रतिस्पर्धा देने के लिए 7000 करोड़ रुपये का 'रेयर अर्थ मैग्नेट मिशन' शुरू करने की योजना बनाई है। इस मिशन का उद्देश्य दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के उत्पादन को बढ़ावा देना है, जिससे भारत दुर्लभ पृथ्वी मैग्नेट के उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सके। इस मिशन से भारत को रोजगार सृजन और उच्च-तकनीकी उपकरणों के उत्पादन में वैश्विक नेता बनने में मदद मिलेगी।
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चीन को मात देने भारत का ₹7000 करोड़ का प्लान, शुरू होगा रेयर अर्थ मैग्नेट मिशन; टॉप-5 देशों में इंडिया कहां?
नई दिल्ली| भारत अब रेयर अर्थ मैग्नेट निर्माण के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाने जा रहा है। केंद्र सरकार इस क्षेत्र के लिए अपने प्रोत्साहन कार्यक्रम (incentive program) को लगभग तीन गुना बढ़ाकर 7,000 करोड़ रुपए से अधिक करने की योजना बना रही है। यह योजना फिलहाल मंत्रिमंडल की मंजूरी का इंतजार कर रही है।
इसका उद्देश्य है- इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में जरूरी इन रेयर अर्थ मैग्नेट्स (rare earth magnets) की घरेलू उत्पादन क्षमता बढ़ाना। फिलहाल दुनिया के करीब 90% रेयर अर्थ मैग्नेट चीन में प्रोसेस किए जाते हैं। हाल ही में चीन ने अमेरिका से व्यापार विवाद के चलते निर्यात नियंत्रण कड़े कर दिए थे, जिससे वैश्विक आपूर्ति पर असर पड़ा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि,
"क्रिटिकल मिनरल्स को हथियार नहीं बनाया जाना चाहिए। दुनिया को स्थिर और विविध सप्लाई चेन पर काम करना होगा।"
नई योजना से पांच कंपनियों को होगा लाभ
सरकार की नई योजना के तहत लगभग पांच कंपनियों को उत्पादन-लिंक्ड और पूंजी सब्सिडी (capital subsidy) दोनों का लाभ मिलेगा। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को इस क्षेत्र में अब भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जैसे सीमित फंडिंग, तकनीकी विशेषज्ञता और लंबे प्रोजेक्ट टाइमलाइन।
सरकारी कंपनियां इस वक्त विदेशों में खनन साझेदारी (mining partnerships) के लिए शुरुआती कदम उठा रही हैं। फिलहाल, चीन के पास इस क्षेत्र का सबसे अधिक तकनीकी ज्ञान है। इसके अलावा, रेयर अर्थ धातुओं का खनन पर्यावरण के लिए भी चुनौतीपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इनमें रेडियोधर्मी तत्व शामिल होते हैं।
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सिंक्रोनस रिलक्टेंस मोटर्स पर रिसर्च को फंडिंग
सरकार एक और दिशा में भी काम कर रही है, सिंक्रोनस रिलक्टेंस मोटर्स (Synchronous Reluctance Motors) पर रिसर्च को फंड किया जा रहा है, ताकि भविष्य में रेयर अर्थ मैग्नेट्स पर निर्भरता कम की जा सके। भारत की वार्षिक मांग लगभग 2,000 टन ऑक्साइड्स की है, जिसे वैश्विक उत्पादक आसानी से पूरा कर सकते हैं। सरकार को उम्मीद है कि यह विस्तारित योजना विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित करेगी, जिससे चीन पर निर्भरता घटेगी और घरेलू उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
हालांकि, अगर चीन अपने निर्यात नियमों को भारत तक ढीला कर देता है, तो चीनी मैग्नेट्स सस्ते और सुलभ हो सकते हैं, जिससे भारत के नए प्रोजेक्ट्स की निवेश गति पर असर पड़ सकता है।
टॉप-5 देशों में भारत कहां?
साल 2023 में चीन ने दुनिया के 70% यानी 2.1 लाख टन रेयर अर्थ एलिमेंट्स का उत्पादन किया, जबकि भारत का योगदान 1% से भी कम रहा। अमेरिका 14%, म्यांमार 11% और ऑस्ट्रेलिया 7% हिस्सेदारी के साथ पीछे हैं। भारत अब 7,000 करोड़ रुपए के नए प्रोत्साहन कार्यक्रम के ज़रिए इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
| क्रम | देश | उत्पादन (मीट्रिक टन) | वैश्विक हिस्सेदारी |
| 1 | चीन | 2,10,000 | 70% |
| 2 | अमेरिका | 43,000 | 14% |
| 3 | म्यांमार | 34,000 | 11% |
| 4 | ऑस्ट्रेलिया | 20,000 | 7% |
| 5 | भारत | 2,900 | <1% |

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