"3 S" के फॉर्मूले से बदलेगा भारत, 10 साल में अर्थव्यवस्था में दिखेगा 'मेक इन इंडिया' का असर; समझें क्या हैं ये?
भारत को बदलने के लिए "3 S" (Indian Economy Three S Formula) का फॉर्मूला महत्वपूर्ण है, जिसमें समार्टफोन, सेमीकंडक्टर और शिपबिल्डिंग शामिल हैं। 'मेक इन इंडिया' का असर अगले 10 सालों में अर्थव्यवस्था पर दिखेगा। यह कार्यक्रम घरेलू उत्पादन, रोजगार और नवाचार को बढ़ावा देगा, जिससे भारत वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनेगा।

'3-S' फॉर्मूला आने वाले 10 सालों में भारत को आर्थिक महाशक्ति बना देगा।
नई दिल्ली| दुनिया का हर बड़ा देश आज भारत की तरफ देख रहा है। भारत वो देश है, जो कभी सर्विस सेक्टर के लिए जाना जाता था। लेकिन वो अब मैन्युफैक्चरिंग का नया सुपरपावर बनने की तैयारी में है। 146 करोड़ की आबादी, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और 'मेक इन इंडिया' (Make in India impact) का जोश, यही नया भारत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के साथ देश अब उस मोड़ पर है, जहां से अगली औद्योगिक क्रांति की शुरुआत होने वाली है। और इस बार नई कहानी लिखी जाएगी तीन अक्षरों से- स्मार्टफोन, सेमीकंडक्टर और शिपबिल्डिंग। यानी भारत का '3-S' फॉर्मूला (Three S formula), जो सिर्फ शब्द नहीं बल्कि वो ताकत हैं, जो आने वाले 10 सालों में भारत को आर्थिक महाशक्ति बना देंगे। अब दुनिया मान रही है कि, "दुनिया की अगली बड़ी फैक्ट्री बनेगा भारत"।
"दुनिया को नई दिशा देगा भारत"
फ्रांस की डसॉल्ट सिस्टम्स के सीईओ पास्कल डालोज ने बुधवार को कहा था कि, आने वाले दिनों में भारत वाले दिनों में भारत ही दुनिया को नई दिशा देगा। खैर, वापस लौटते हैं भारत की तरक्की के '3-S' फॉर्मूले पर। अब सवाल है कि आखिर इस फॉर्मूले में ऐसा क्या है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था (India economic transformation) की तस्वीर बदलकर रख देगा। तो चलिए समझते हैं।
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पहला S- Smartphones:
मोबाइल अब सिर्फ गैजेट नहीं, बल्कि भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्रांति का चेहरा बन गया है। सरकार की PLI स्कीम के तहत अब तक 40,995 करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। नतीजा ये कि बीते 10 सालों में देश में मोबाइल प्रोडक्शन 28 गुना बढ़ा है और एक्सपोर्ट में तो 127 गुना की उछाल आई है। एप्पल और सैमसंग जैसी दिग्गज कंपनियां अब भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने में जुटी हैं।
दूसरा S- Semiconductors:
इलेक्ट्रॉनिक्स की रीढ़ यानी चिप मैन्युफैक्चरिंग अब भारत में आकार ले रही है। 76,000 करोड़ रुपए की ISM स्कीम के तहत सरकार ने अब तक 10 सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है। इससे देश न सिर्फ आयात पर निर्भरता घटाएगा, बल्कि "डिजिटल इंडिया" को वास्तविक ताकत भी मिलेगी।
तीसरा S- Shipbuilding:
समुद्री उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था का नया इंजन बन सकता है। सरकार ने 69,725 करोड़ रुपए की तीन स्कीमें SBFAS, MDF और SbDS लॉन्च की हैं। लक्ष्य है कि अगले पांच सालों में 3 नए शिपबिल्डिंग क्लस्टर बनाए जाएं, जो न केवल जहाज निर्माण बढ़ाएंगे बल्कि लाखों नौकरियां भी पैदा करेंगे।
सरकार का दावा है कि ये "3S फॉर्मूला" भारत को न सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग हब बनाएगा, बल्कि एक्सपोर्ट, रोजगार और आत्मनिर्भरता- तीनों में एक साथ बूम लाएगा। आर्थिक विशेषज्ञों के शब्दों में "Let the crowding-in begin ", यानी निवेश की नई लहर अब शुरू हो चुकी है।
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