FTA का हो-हल्ला! फिर भी निर्यात में क्यों आई गिरावट, क्या भारत 1 ट्रिलियन के एक्सपोर्ट का लक्ष्य हासिल कर पाएगा?
कमजोर वैश्विक मांग के कारण भारत का FY26 तक 1 ट्रिलियन डॉलर के वस्तु और सेवा निर्यात का लक्ष्य पूरा होता नहीं दिख रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि FY26 म ...और पढ़ें

कमजोर वैश्विक मांग के कारण भारत का FY26 तक 1 ट्रिलियन डॉलर के वस्तु और सेवा निर्यात का लक्ष्य पूरा होता नहीं दिख रहा।
नई दिल्ली। भारत का FY26 के अंत तक 1 ट्रिलियन डॉलर के वस्तु और सेवा निर्यात का लक्ष्य फिलहाल पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की गुरुवार को जारी ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि कमजोर वैश्विक मांग और बढ़ते बचाव के साथ ट्रेड के रुझानों के कारण वस्तु निर्यात पर दबाव बना हुआ है।
GTRI के फाउंडर अजय श्रीवास्तव के मुताबिक चालू वर्ष में भारत के निर्यात में लगभग स्थिर वृद्धि रहने की संभावना है, जबकि वस्तु निर्यात में लगभग कोई खास बढ़ोतरी नहीं दिखेगी। अनुमान के अनुसार, FY26 में भारत का कुल निर्यात केवल करीब 850 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है, जो 1 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य से 150 अरब डॉलर कम है।
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सेवा निर्यात 400 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है, जो भारत के व्यापार के लिए “एकमात्र मजबूत सहारा” साबित होगा, क्योंकि वैश्विक स्तर पर मांग कमजोर बनी हुई है।
बड़े व्यापार समझौते बन सकते हैं गेमचेंजर
श्रीवास्तव के मुताबिक, यदि भारत अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) के साथ बड़े व्यापार समझौते करने में सफल होता है, तो लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ''यह संभव है, लेकिन शायद अगले साल, इस साल नहीं।''
घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत, निर्यात बना चिंता का कारण
रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया कि घरेलू आर्थिक हालात स्थिर हैं। GDP और महंगाई के आंकड़े सकारात्मक संकेत दे रहे हैं। हालांकि, GDP पर दबाव मुख्य रूप से निर्यात क्षेत्र की कमजोरी के कारण बना रहेगा।
अमेरिका और EU के साथ व्यापार में गिरावट
हालिया आंकड़ों के अनुसार, मई से नवंबर के बीच भारत का अमेरिका को निर्यात लगभग 21% घटा है। इसकी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगाना बताया गया है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यदि अतिरिक्त शुल्क वापस नहीं लिए गए या कोई व्यापार समझौता नहीं हुआ, तो भारत के सबसे बड़े बाजार में निर्यात और कमजोर हो सकता है।
यूरोपीय संघ के मामले में, रिपोर्ट बताती है कि वहां निर्यात लगभग 24% गिरा, जबकि शुल्क अभी पूरी तरह लागू भी नहीं हुए हैं। EU का कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) 1 जनवरी 2026 से लागू होगा, जिससे भारतीय निर्यातकों पर अतिरिक्त कार्बन टैक्स का बोझ पड़ेगा।
निर्यात गंतव्यों में विविधता, लेकिन उत्पादों में बदलाव जरूरी
हालांकि, GTRI का कहना है कि भारत ने अपने निर्यात गंतव्यों में कुछ हद तक विविधता शुरू कर दी है। अमेरिका को निर्यात घटने के बावजूद, बाकी दुनिया को निर्यात 5.5% बढ़ा है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि केवल भौगोलिक विविधता पर्याप्त नहीं है। निर्यात टोकरी में मध्यम और उच्च तकनीक वाले उत्पादों को शामिल करना जरूरी होगा।
2026 के लिए मुख्य फोकस क्या होना चाहिए?
रिपोर्ट के अनुसार, अगले वर्ष भारत की निर्यात रणनीति को आंतरिक मजबूती पर केंद्रित होना चाहिए, क्योंकि वैश्विक भू-राजनीति पर देश का प्रभाव सीमित है। ऐसे में किन बातों पर फोकस होना चाहिए जानते हैं।
- उत्पाद गुणवत्ता और वैल्यू चेन सुधार पर
- उत्पादन लागत घटाने पर
- इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग और टेक्सटाइल जैसे उच्च मूल्य वाले क्षेत्रों पर
- मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) के प्रभावी क्रियान्वयन पर
- नियमों को सरल बनाने और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस सुधारने पर
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि टैरिफ, जलवायु से जुड़े कर और भू-राजनीतिक अनिश्चितता वैश्विक व्यापार पर दबाव बनाए रखेंगे। ऐसे में निर्यात की वृद्धि भारत की घरेलू प्रतिस्पर्धात्मकता, बेहतर उत्पादों और मजबूत मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं पर निर्भर करेगी। गौरतलब है कि FY25 में भारत का कुल निर्यात 825 अरब डॉलर रहा था, जिसमें 438 अरब डॉलर वस्तु निर्यात और 387 अरब डॉलर सेवा निर्यात शामिल थे।

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