भारतीय प्रॉपर्टी डेवलपर्स को खूब पसंद आ रहा UAE, इन वजहों से बना रहे नए-नए प्रोजेक्ट्स; कैसा है फ्यूचर?
भारतीय प्रॉपर्टी डेवलपर्स यूएई (UAE Real Estate) में तेजी से विस्तार कर रहे हैं, खासकर दुबई में, जहाँ रेगुलेटरी स्पष्टता और ग्लोबल खरीदारों की मजबूत ड ...और पढ़ें
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यूएई में ग्रोथ कर रहे भारतीय डेवलपर्स
नई दिल्ली। भारतीय प्रॉपर्टी डेवलपर्स UAE में तेजी से अपना विस्तार कर रहे हैं। असल में वहां वे रेगुलेटरी स्पष्टता और ग्लोबल खरीदारों की ओर से मजबूत डिमांड के चलते दुबई में अपने पैर फैला रहे हैं, जहां एक ऐसा मार्केट स्ट्रक्चर है, जहां फायदा ज्यादा होता है।
लॉन्ग टर्म ग्रोथ के मौके
रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय रियल एस्टेट फर्मों के मुताबिक यूएई अब सिर्फ एक मौके वाला विदेशी बाजार नहीं रहा, बल्कि लॉन्ग-टर्म ग्रोथ के लिए एक स्ट्रेटेजिक बेस बन गया है। डेवलपर्स अब सिर्फ एक-दो प्रोजेक्ट लॉन्च करने के बजाय लोकल ऑपरेशन शुरू कर रहे हैं, लैंड बैंक हासिल कर रहे हैं और मल्टी-प्रोजेक्ट पाइपलाइन की प्लानिंग कर रहे हैं।
क्यों आ रहा ये बदलाव?
भारतीय डेवलपर्स के रुख में ये बदलाव ऐसे ही नहीं आया है, बल्कि UAE मार्केट में आए बदलावों और प्रीमियम-लग्जरी हाउसिंग पर फोकस करने वालों की बदलती प्राथमिकताओं के चलते ऐसा हुआ है। दूसरी बात कि भारतीय डेवलपर्स तेजी से UAE में इसलिए नई हाउंसिग तैयार कर रहे हैं, क्योंकि इसे भारतीयों के लिए दूसरा घर माना जाता है।
पूरे UAE में भारतीय बड़ी संख्या में हैं। भारत के लगभग हर राज्य के लोग UAE में बड़ी संख्या में मौजूद हैं, जिससे डेवलपर्स को तुरंत मार्केट में भरोसा और खरीदारों से जान-पहचान मिलती है।
ऐसे कम हो जाती है लागत?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इंडस्ट्री के अधिकारियों का कहना है कि UAE में जमीन खरीदने से लेकर प्रोजेक्ट शुरू करने तक की प्रोसेस फास्ट और आसान है। तेजी से काम करने से लागत कम हो जाती है और डेवलपर्स को लंबे इंतजार के बिना मार्केट डिमांड के अनुरूप रेस्पॉन्स देने में मदद मिलती है।
अमीरों का नया ठिकाना बन रहा यूएई
यह बदलाव UAE में हाई नेट-वर्थ वाले लोगों के शिफ्ट होने के चलते भी आ रहा है। ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन डेटा से पता चलता है कि UAE हर साल लगभग 10,000 करोड़पतियों को आकर्षित कर रहा है, जिसमें भारत के भी काफी संख्या में लोग शामिल हैं।
डेवलपर्स का कहना है कि डिमांड सिर्फ लोकल खरीदारों तक ही सीमित नहीं है। इंटरनेशनल इन्वेस्टर्स, फैमिली ऑफिस और विदेश में रहने वाले लोग मिलकर एक बड़ा खरीदार बेस बना रहे हैं, जिससे किसी एक देश पर निर्भरता कम होती है। भारतीय खरीदारों में से भी अब कई अनुभवी इन्वेस्टर हैं जिनके पास पहले से ही भारत, UAE या दुनिया के दूसरे शहरों में प्रॉपर्टी है।

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