Defence Canteen से नहीं मिल रहे इन विदेशी शराब कंपनियों को आर्डर, 'वोकल फॉर लोकल' पर जोर
बता दें कि रक्षा कैंटीन में सैनिकों पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को स्थानीय और आयातित उत्पादों जैसे शराब और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान बाजार से कम कीमत पर उपलब्ध कराया जाता है।
नई दिल्ली, रायटर्स। दुनिया के दो सबसे बड़े स्प्रिट निर्माताओं में शामिल Pernod Ricard और Diageo ने रक्षा कैंटीन स्टोर्स से अपने आयातित ब्रांडों के लिए आर्डर लेना बंद कर दिया है। कैंटीन में इन्हें रियायती दरों पर बेचा जाता था। रायटर्स ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। इस कदम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "वोकल फॉर लोकल" अभियान के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोनावायरस महामारी के दौरान भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने की बात कही है।
बता दें कि रक्षा कैंटीन में सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को स्थानीय और आयातित उत्पादों जैसे शराब और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान बाजार से कम कीमत पर उपलब्ध कराया जाता है।
एक सूत्र ने कहा कि Pernod Ricard India (जिसके ब्रांडों में Chivas और Glenlivet scotch व्हिस्की शामिल हैं) को आयातित स्प्रिट के लिए मई में कोई आर्डर नहीं मिला, जबकि डिफेंस स्टोर्स की ओर से महीने में 4,500-5,000 गत्ते ऑर्डर दिए जाते हैं। एक गत्ते में आमतौर पर छह, नौ या 12 बोतल शराब होती है।
एक दूसरे सूत्र ने कहा कि Diageo India को भी अपने आयातित ब्रांडों के लिए मई के बाद से कोई आर्डर नहीं मिला है, जबकि इस ब्रांड के तहत लोकप्रिय जॉनी वॉकर, ब्लैक लेबल व्हिस्की और टैलिस्कर सिंगल माल्ट आते हैं।
इस मामले पर जब Pernod Ricard से पूछा गया तो उसने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जबकि Diageo ने रायटर्स के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। वहीं, रक्षा मंत्रालय ने भी इस पर कोई टिपण्णी नहीं की। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस पर कोई भी लिखित आदेश जारी नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि इस पर बहुत जल्द एक औपचारिक फैसला लिया जाएगा।
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