अब और भी कम होगी महंगाई, भारत की विकास दर पकड़ेगी रफ्तार; RBI ने किया साफ
जीएसटी दरों में कटौती और बेहतर मानसून के कारण वित्त वर्ष 2025-26 में भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत रहने की उम्मीद है। आरबीआई ने विकास दर का अनुमान 6.8% कर दिया है। खुदरा महंगाई दर 2.6% रहने का अनुमान है। रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है यह 5.5% पर स्थिर है। अमेरिकी टैरिफ से निर्यात प्रभावित हो सकता है लेकिन सर्विस सेक्टर में सुधार से रोजगार को मदद मिलेगी।

नई दिल्ली। जीएसटी दरों में कटौती और बेहतर मानसून की बदौलत चालू वित्त वर्ष 2025-26 में भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती कायम रहेगी। तभी बुधवार को आरबीआइ ने चालू वित्त वर्ष की बढ़ोतरी दर के अपने पूर्व के अनुमान में बदलाव करते हुए इसे 6.8 प्रतिशत कर दिया।
इससे पहले आरबीआइ ने चालू वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया था। दूसरी तरफ आरबीआइ ने चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा महंगाई दर के अपने पूर्वानुमान को कम करते हुए 2.6 प्रतिशत कर दिया। इससे पहले इस साल जून में आरबीआइ ने चालू वित्त वर्ष में महंगाई दर 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद बुधवार को आरबीआइ गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि समिति ने रेपो रेट को पहले की तरह 5.5 प्रतिशत रखते हुए उसमें कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। यानी कि मकान, गाड़ी व अन्य वस्तुओं की खरीदारी के लोन पर बैंकों की ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं होगी। लोन के किस्त में भी कोई राहत नहीं मिलेगी।
टैरिफ से देश का निर्यात प्रभावित होगा
मल्होत्रा ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ से देश का निर्यात प्रभावित होगा। अमेरिकी टैरिफ के साथ वैश्विक अनिश्चितता के कारण चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में विकास दर पर असर पड़ सकता है। यानी कि अगर अमेरिका भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत का शुल्क नहीं लगाता तो चालू वित्त वर्ष में विकास दर और अधिक हो सकती थी। उन्होंने कहा कि खरीफ बुवाई में अच्छी प्रगति से ग्रामीण मांग में मजबूती आएगी। वहीं सर्विस सेक्टर के अच्छे प्रदर्शन से रोजगार को समर्थन मिल रहा है और जीएसटी स्लैब व दरों में बदलाव से घरेलू मांग में और बढ़ोतरी होगी जिससे उत्पादन क्षमता का अधिक उपयोग होगा और इससे निवेश को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
टैरिफ की वजह से वस्तु निर्यात के भले ही प्रभावित होने की आशंका है, लेकिन सर्विस निर्यात लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है जिससे चालू खाते का घाटा पहली तिमाही में जीडीपी का मात्र 0.2 प्रतिशत रहा। निवेशकों का भरोसा भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर कायम है। तभी इस साल जुलाई में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 38 माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।
भारतीय करेंसी में यहां दिया जाएगा लोन
आरबीआइ गवर्नर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रुपए की पहचान व चलन को बढ़ाने के लिए आरबीआइ लगातार प्रयासरत है और इस दिशा में धीरे-धीरे प्रगति हो रही है। उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा के अधिकृत बैंकों को भूटान, नेपाल व श्रीलंका के गैर निवासियों को व्यापार के लिए भारतीय करेंसी में लोन देने की अनुमति दी जाएगी।
इसके अलावा स्पेशल रुपीज वोस्ट्रो एकाउंट्स (सर्वो) का अधिक इस्तेमाल करने पर जोर दिया जाएगा ताकि दूसरे देशों से स्थानीय करेंसी में व्यापार हो सके। यूएआई और इंडोनेशिया की करेंसी की पारदर्शी दर भारतीय रुपए में जारी करने का प्रयास किया जाएगा। इन देशों से भारत काफी अधिक व्यापार करता है। नेपाल, श्रीलंका व भूटान जैसे देशों से भारत 25 अरब डालर का व्यापार करता है। डालर के मुकाबले रुपए में हो रही गिरावट पर भी आरबीआइ की लगातार नजर है।
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