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    दूसरी तिमाही में 100 बेसिस प्वाइंट तक घट सकती है भारतीय अर्थव्यवस्था, जानिए क्या है इस बार जीडीपी का अनुमान

    By AgencyEdited By: Gaurav Kumar
    Updated: Tue, 21 Nov 2023 06:57 PM (IST)

    अर्थशास्त्रियों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट आ सकती है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही में साल-दर-साल 80-100 आधार अंकों तक सिकुड़ सकती है। इसकी वजह कमजोर बाहरी मांग बताई जा रही है। आपको बता दें कि दूसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़े 30 नवंबर को जारी होंगे।

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    आंकड़ों में कमी का कारण बाहरी मांग में कमजोर होना बताया जा रहा है।

    पीटीआई, नई दिल्ली। भारत के अर्थव्यवस्था से जुड़ी चिंता की खबर सामने आ रही है। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट देखने को मिल सकती है।

    अर्थशास्त्रियों के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही में साल-दर-साल 80-100 बीपीएस की गिरावट हो सकती है। इसका कारण बाहरी मांग में कमजोर होना बताया जा रहा है।

    क्या है इस बार जीडीपी का अनुमान?

    सरकार द्वारा दूसरी तिमाही के नतीजें 30 नवंबर को जारी होंगे। लेकिन नतीजों से पहले घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा के अर्थशास्त्रियों ने यह अनुमान लगाया था कि भारत की जीडीपी दूसरी तिमाही में 7 प्रतिशत हो सकती है, वहीं ब्रिटिश ब्रोकरेज बार्कलेज ने जीडीपी 6.8 प्रतिशत का अनुमान लगया है।

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    बार्कलेज के मुताबिक जीडीपी के 6.8 प्रतिशत पर रहने का अनुमान उपयोगिता क्षेत्रों (खनन और बिजली उत्पादन) और विनिर्माण, निर्माण और सार्वजनिक खर्च के कारण है।

    इक्रा का अनुमान आरबीआई के एमपीसी से अधिक

    इक्रा रेटिंग की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के मुताबिक दूसरी तिमाही में विकास दर 7 फीसदी रहेगी, जो आरबीआई की एमपीसी के अनुमान 6.5 फीसदी से अधिक होगी।

    उनके मुताबिक दूसरी तिमाही में जीवीए वृद्धि दर घटकर 6.8 प्रतिशत हो जाएगी, जिसमें सेवा क्षेत्र की 8.2 प्रतिशत, कृषि की 3.5 प्रतिशत और उद्योग की 6.6 प्रतिशत की वृद्धि शामिल है।

    उन्होंने कहा, असमान वर्षा, साल भर पहले की कमोडिटी कीमतों के साथ अंतर कम होना, आम चुनावों के कारण सरकारी पूंजीगत व्यय की गति में संभावित मंदी, कमजोर बाहरी मांग और मौद्रिक सख्ती के संचयी प्रभाव से दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि कम होने की संभावना है।

    इसके परिणामस्वरूप, वित्त वर्ष 2024 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो कि वित्तीय वर्ष के लिए एमपीसी के 6.5 प्रतिशत के अनुमान से कम है।

    क्या होती है जीडीपी?

    एक वित्त वर्ष के दौरान किसी देश की भौगोलिक सीमाओं के भीतर उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद यानी (जीडीपी) कहा जाता है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी 7.8 प्रतिशत थी।