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कार सवारों की सुरक्षा पर ऑटो कंपनियों ने चुप्पी साधी

भारत की दर्जन भर कार कंपनियों के विज्ञापन पर गौर कीजिए। किसी में भी आपको सुरक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने वाले उपायों का गुणगान नहीं है। यह क्यों नहीं है इसका जवाब हाल ही में ब्रिटेन की एजेंसी एनसीएपी की भारतीय कार कंपनियों पर किये गये सुरक्षा टेस्टिंग से मिलता है। दरअसल, भारत की तमाम

By Edited By: Published: Sat, 08 Feb 2014 10:08 AM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2014 10:08 AM (IST)
कार सवारों की सुरक्षा पर ऑटो कंपनियों ने चुप्पी साधी

जयप्रकाश रंजन, ग्रेटर नोएडा। भारत की दर्जन भर कार कंपनियों के विज्ञापन पर गौर कीजिए। किसी में भी आपको सुरक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने वाले उपायों का गुणगान नहीं है। यह क्यों नहीं है इसका जवाब हाल ही में ब्रिटेन की एजेंसी एनसीएपी की भारतीय कार कंपनियों पर किये गये सुरक्षा टेस्टिंग से मिलता है।

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दरअसल, भारत की तमाम दिग्गज कार कंपनियों की बेतहाशा लोकप्रिय कारें अंतरराष्ट्रीय मानक में कहीं टिकती ही नहीं। इसलिए ये कंपनियां कम कीमत और ज्यादा माइलेज पर फोकस करती हैं लेकिन ग्राहक की सुरक्षा पर आम तौर पर अपने होंठ बंद रखती हैं। दु:खद तथ्य यह है कि भारतीय कार कंपनियां अभी भी आगे बढ़ कर जिम्मेदारी लेती नहीं दिखती। दूसरी तरफ से सरकार का रवैया भी संदेह से परे नहीं है।

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ब्रिटिश गैर सरकारी एजेंसी एनसीएपी ने हाल ही में भारतीयों कारों की सेफ्टी टेस्टिंग की। इससे पता चला कि आई10, मारुति 800, फोर्ड की फिगो, टाटा नैनो न तो ड्राइवर के लिए सुरक्षित हैं और न ही सवारियों के लिए। अंतरराष्ट्रीय स्तर की इस टेस्टिंग के आधार पर कहा गया है कि भारतीय कारों का ढांचा ही कमजोर है।

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इस बारे दैनिक जागरण ने उन सभी कंपनियों से बातचीत की जिनके वाहनों को लेकर सवाल उठाये गये हैं। लेकिन सभी कंपनियों ने एक स्वर में इसका पूरा ठीकरा सरकार के सिर पर फोड़ दिया है। किसी भी कंपनी ने यह नहीं कहा कि वह अपने स्तर पर कदम उठाएगी और भारत में भी अतंरराष्ट्रीय स्तर के सुरक्षा मानक लागू करेगी।

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होंडा इंडिया के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (मार्केटिंग एंड सेल्स) जनेश्वर सेन का कहना है कि होंडा और हमारी जैसी तमाम भारतीय कार कंपनियां केंद्र सरकार की तरफ से तय मानदंड के मुताबिक वाहन बनाते हैं। हमारी सरकार ने अपनी समझ बूझ के मुताबिक ही नियम बनाये हैं। हम तो उन पर बिल्कुल खरे उतर रहे हैं। अगर इन मानकों को और ज्यादा कठोर बनाया जाएगा तो हम उसका भी पालन करने को तैयार हैं।

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हुंडई मोटर इंडिया के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (सेल्ट एंड मार्केटिंग) राकेश श्रीवास्तव का मानना है कि भारत और विदेशों में सुरक्षा का स्तर अलग अलग है। विदेशों में फरारी, बीएमडब्लू की रफ्तार व परफारमेंस को देख कर सुरक्षा मानक तय होते हैं? क्या भारतीय सड़कों पर इन वाहनों को चलाना संभव है? साथ ही यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि भारत में कार की कीमत अभी भी सबसे ज्यादा महत्व रखती है। श्रीवास्ताव भी होंडा के सेन की तरफ दावा करते हैं कि उनकी कंपनी भारतीय ग्राहकों की सुरक्षा को सर्वोच्च वरीयता देती है।

दैनिक जागरण ने उक्त दोनों कंपनियों के साथ मारुति, फोर्ड से भी यह जानने की कोशिश की कि क्या वह अपनी सबसे शुरुआती मॉडल में एबीएस, एयरबैग्स जैसी सुरक्षा देंगे तो किसी भी कंपनी ने सकारात्मक जवाब नहीं दिया। सभी कंपनियां सरकार की तरफ से नए सुरक्षा मानकों के इंतजार में हैं।


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