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    यूरिया के लिए अब किसानों को नहीं लगानी पड़ेगी लाइन? उत्पादन में आत्मनिर्भर होने वाला है भारत

    Updated: Fri, 05 Apr 2024 01:55 PM (IST)

    भारतीय किसान लंबे समय से यूरिया के लिए आयात पर निर्भर रहे हैं। लेकिन अगले साल से यह स्थिति बदलने वाली है। उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया का कहना है कि भारत 2025 के आखिर तक यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएगा और फिर इसका आयात बंद कर देगा। आइए जानते हैं कि क्या अब भारत में यूरिया की किल्लत नहीं होगी।

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    भारत को सालाना लगभग 350 लाख टन यूरिया की जरूरत होती है।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में अक्सर यूरिया (Urea) की किल्लत की खबर आती है। कई बार किसान इसके लिए लाइन लगाए भी नजर आते हैं। लेकिन, अगले साल से यह सूरत बदलने वाली है।

    रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया (Chemicals and Fertilisers Minister Mansukh Mandaviya) का कहना है कि भारत अगले साल यानी 2025 के आखिर तक यूरिया का आयात बंद कर देगा। केंद्रीय मंत्री के अनुसार, यूरिया का घरेलू उत्पादन तेजी से बढ़ा है और यह सप्लाई और डिमांड के मौजूदा अंतर को खत्म कर देगा।

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    वैकल्पिक उर्वरकों पर सरकार का फोकस

    मांडविया ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में जोर दिया कि भारतीय कृषि क्षेत्र की बेहतरी के लिए उर्वरकों की उपलब्धता निहायत ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि देश पिछले 60-65 वर्षों से उपज बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का सहारा ले रहा है। लेकिन, अब सरकार का फोकस नैनो लिक्विड यूरिया और नैनो लिक्विड डाई-अमोनियम फॉस्फोरेट (DAP) के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर है।

    केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग ना सिर्फ फसल, बल्कि मिट्टी की सेहत के लिए भी अच्छा है।

    यूरिया आयात पर कैसे घटी निर्भरता?

    मांडविया का कहना है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने यूरिया आयात पर निर्भरता खत्म करने के लिए दोतरफा रणनीति अपनाई है। सरकार ने चार बंद हो चुके यूरिया प्लांट को दोबारा शुरू कराया है। साथ ही, एक और कारखाने को शुरू कराने की दिशा में काम चल रहा है, जो बंद हो चुका है।

    उन्होंने बताया कि घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत को सालाना लगभग 350 लाख टन यूरिया की जरूरत होती है। अब घरेलू उत्पादन 310 लाख टन तक पहुंच गया है, जो 2014-15 में 225 लाख टन था। पांचवें प्लांट के शुरू होने के बाद यह 325 लाख टन पहुंच जाएगा। बाकी 20-25 लाख टन में पांरपरिक यूरिया की जगह नैनो लिक्विड यूरिया का इस्तेमाल करने का इरादा है।

    नैनो लिक्विड यूरिया को मिलेगा बढ़ावा 

    सरकार लगातार पारंपरिक यानी केमिकल फर्टिलाइजर के इस्तेमाल को कम करने की कोशिश कर रही है। को-ऑपरेटिव ऑर्गनाइजेशन ने कुछ साल पहल नैनो लिक्विड यूरिया लॉन्च की थी। इसने कुछ अन्य कंपनियों को नैनो यूरिया प्लांट लगाने के लिए टेक्नोलॉजी भी उपलब्ध कराई है। अगर अगस्त 2021 से फरवरी 2024 के बीच की बात करें, तो 7 करोड़ नैनो यूरिया बॉटल्स (हरेक में 500 एमएल) बेची गई हैं। नैनो यूरिया की एक बॉटल ही पारंपरिक यूरिया के 45 किलो वाले बैग के बराबर होती है।

    सरकार ने केमिकल फर्टिलाइजर के उपयोग को कम करने और वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम भी लॉन्च किए हैं

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