जल्द हो जाएगा भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौता, नीति आयोग के CEO का बड़ा दावा; चीन से आयात पर कही बड़ी बात
India-US Trade Deal भारत-अमेरिका के बीच जल्द ही व्यापार समझौता हो जाएगा। ये दावा नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने किया है। उन्होंने सोमवार को कहा कि दोनों देश पारस्परिक रूप से लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं। सुब्रह्मण्यम ने यह भी कहा कि भारत को टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करना चाहिए और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए अपने बाजारों को खोलना चाहिए।

नई दिल्ली| India-US Trade Deal: नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने सोमवार को विश्वास जताया कि भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही व्यापार समझौता हो जाएगा। उन्होंने कहा कि दोनों देश पारस्परिक रूप से लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं। सुब्रह्मण्यम ने यह भी कहा कि भारत को टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करना चाहिए और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए अपने बाजारों को खोलना चाहिए।
'ट्रेड वाच क्वार्टरली' का शुभारंभ करते हुए सुब्रह्मण्यम ने मीडिया से कहा, ''अच्छी बात यह है कि दोनों पक्ष अभी भी एक व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं। पिछले महीने बातचीत हुई थी, इसलिए मुझे लगता है कि दोनों पक्ष आशान्वित हैं।''
ट्रंप के 50% टैरिफ का पड़ेगा बड़ा असर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा अगस्त में भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को दोगुना करके 50 प्रतिशत (50% Tarrifs) कर देने के बाद नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच संबंध गंभीर तनाव में आ गए हैं। भारत ने अमेरिकी कार्रवाई को ''अनुचित और अतार्किक'' बताया था। अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि क्रिसमस तक कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर दोनों देश व्यापार समझौते पर सहमत नहीं होते हैं तो आगे समस्या होगी। उन्होंने कहा, 'हम नुकसान में हैं। 50 प्रतिशत टैरिफ का एक बहुत बड़ा असर पड़ेगा और इससे कोई बच नहीं सकता। उम्मीद है कि अगर नवंबर तक व्यापार समझौता हो जाता है, तो कोई व्यवधान नहीं होगा।''
समझौते के लिए पांच दौर की वार्ता हो चुकी
इस समझौते के पहले चरण को 2025 की शरद ऋतु (अक्टूबर-नवंबर) तक पूरा करने की योजना थी। अब तक, पांच दौर की वार्ता हो चुकी है। इस समझौते का उद्देश्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को वर्तमान 191 अरब डालर से दोगुना से भी अधिक बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करना है। अमेरिका 2024-25 में लगातार चौथे वर्ष भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहेगा, जिसका द्विपक्षीय व्यापार 131.84 अरब डालर (86.5 अरब डालर का निर्यात) रहा।
सरकार को किसी भी सेक्टर की रक्षा नहीं करनी चाहिए
सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत का व्यापार घाटा प्रबंधनीय है, लेकिन असंतुलित है। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में भारत की मध्यस्थ संस्थाओं की अनुपस्थिति का उल्लेख करते हुए सुब्रह्मण्यम ने कहा, ''मुझे नहीं लगता कि भारत को किसी भी क्षेत्र की रक्षा करनी चाहिए।''
"चीन को ज्यादा प्रोडक्ट नहीं बेच पा रहे, इसलिए..."
चीन से निवेश पर प्रतिबंध हटाने के बारे में पूछे गए एक प्रश्न पर उन्होंने कहा कि जहां तक चीन से आयात का प्रश्न है तो बीजिंग भारत के लिए एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। उन्होंने कहा कि अगर आप चीन को अधिक उत्पाद नहीं बेच पा रहे हैं, तो यह व्यर्थ है। यदि आप (भारत) प्रतिस्पर्धी हैं, तो वे अधिक उत्पाद खरीदेंगे। उन्होंने आगे कहा कि हमें विनिर्माण में विविधता लाने की जरूरत है।
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