रूस से भारत खरीदेगा तेल लेकिन बीच में आएगा चीन, आखिर किसने खेला ये खेल और क्या है इसके पीछे की वजह?
India Russia Oil Trade ताजा घटनाक्रम के अनुसार भारत रूसी तेल का आयात बढ़ा सकता है क्योंकि रूसी तेल व्यापारी अब चीनी युआन में भुगतान लेने का आग्रह कर रहे हैं जबकि पहले भुगतान डॉलर या दिरहम में होता था। रियायती मूल्य और अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता के बीच भारतीय रिफाइनरियां आने वाले महीनों में रूस से तेल आयात बढ़ा सकती हैं।

नई दिल्ली। India Russia Oil Trade: अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता जारी रहने और पर्याप्त आपूर्ति के बीच छूट बढ़ने के कारण, भारतीय रिफाइनरी आने वाले महीनों में रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ा सकती हैं। घटनाक्रम से परिचित लोगों के अनुसार, नवंबर में यूराल क्रूड लोडिंग पर डेटेड ब्रेंट के मुकाबले 2 से 2.50 डॉलर प्रति बैरल की छूट इसे आकर्षक बनाती है।
यह जुलाई से अगस्त के दौरान लगभग 1 डॉलर प्रति बैरल की छूट से सस्ता है, जब मॉस्को द्वारा स्थानीय ग्राहकों को प्राथमिकता देने के कारण आपूर्ति कम थी। इन सबके बीच एक खबर यह है कि अब अगर रूस से भारत तेल मंगाएगा तो उसमें चीन की भी एंट्री होगी। आप कहेंगे कैसे?
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तो जवाब है कि चीन की करेंसी युआन से। जी हां। आपने सही पढ़ा है। दरअसल, रूसी तेल व्यापारियों ने भारतीय रिफाइनरियों से अमेरिकी डॉलर या यूएई के दिरहम के बजाय चीनी युआन में भुगतान करने का आग्रह करना शुरू कर दिया है, जो लंबे समय से तेल लेनदेन में प्रमुख मुद्रा रही है।
अमेरिका ने लगा रखा है 50% का टैरिफ
अमेरिका ने अगस्त में भारतीय वस्तुओं के अमेरिकी आयात पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लगाया था, ताकि नई दिल्ली पर रूसी तेल की अपनी मांग कम करने का दबाव बनाया जा सके। लेकिन चीन के खिलाफ ऐसा कदम नहीं उठाया। जवाब में, भारत ने स्पष्ट किया कि ये सौदे मूल्य-आधारित हैं और जारी रहेंगे।
रॉयटर्स के सूत्रों के अनुसार, यह नई दिल्ली और बीजिंग के बीच संबंधों में सुधार के मद्देनजर हुआ है, जिससे व्यापारियों को भारतीय खरीदारों के साथ सौदे आसान बनाने का अवसर मिला है। हाल ही में, देश की टॉप रिफाइनरी, सरकारी स्वामित्व वाली इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने दो से तीन रूसी तेल शिपमेंट का भुगतान युआन में किया।
भारत रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ा सकता है। चालू महीने के लिए, जहाज-ट्रैकिंग डेटा आवक में वृद्धि की ओर इशारा करते हैं। केप्लर लिमिटेड के अनुसार, अक्टूबर में रूस से कच्चे तेल का आयात औसतन लगभग 17 लाख बैरल प्रतिदिन हो सकता है। यह मासिक आधार पर लगभग 6 प्रतिशत अधिक होगा, लेकिन पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा कम होगा।
डॉलर की बजाय अन्य करेंसी में की जा रही है खरीदारी
जब से यूक्रेन पर 2022 के आक्रमण के बाद रूस पर पश्चिमी प्रतिबंध लगाए गए हैं, तेल खरीद सौदों को निपटाने के लिए अमेरिकी डॉलर के अलावा अन्य मुद्राओं, जैसे युआन और यूएई दिरहम का उपयोग कर रहे हैं। 2023 में, कुछ भारतीय राज्य रिफाइनरी ने युआन में रूसी तेल के लिए भुगतान करने की कोशिश की, लेकिन सरकार द्वारा तनावपूर्ण भारत-चीन संबंधों की अवधि के दौरान चिंता जताए जाने के बाद रोक दिया गया। हालांकि, निजी रिफाइंड चीनी मुद्रा में सौदा करते रहे।
रॉयटर्स को एक व्यापारी ने बताया कि अब तक, व्यापारियों को दिरहम या डॉलर में भुगतान को युआन में परिवर्तित करना पड़ता था, क्योंकि उत्पादकों को भुगतान करने के लिए केवल युआन को सीधे रूबल में बदला जा सकता है। वे अब इस प्रक्रिया से एक महंगा कदम हटाने की मांग कर रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि युआन का उपयोग करने से भारतीय सरकारी रिफाइनरियों को रूसी तेल अधिक व्यापक रूप से उपलब्ध हो सकता है, क्योंकि कुछ विक्रेता अन्य मुद्राएं स्वीकार नहीं करेंगे। यह कदम भारत-चीन संबंधों में सुधार के बीच उठाया गया है। दोनों देशों के बीच 5 साल से भी ज्यादा समय के बाद सीधी उड़ानें फिर से शुरू हुई हैं।
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