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    नोएडा से चेन्नई तक, 2047 तक कौन से इंडस्ट्रियल क्लस्टर बनाएंगे भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब? नई रिपोर्ट में बड़ा दावा

    By Jagran BusinessEdited By: Ankit Kumar Katiyar
    Updated: Thu, 11 Dec 2025 10:35 PM (IST)

    एक नई रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2047 तक भारत की जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का योगदान 17% से बढ़कर 25% तक हो सकता है। रिपोर्ट में मेक इन इंडिया और पीएलआई ...और पढ़ें

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    नोएडा से चेन्नई तक, 2047 तक कौन से इंडस्ट्रियल क्लस्टर बनाएंगे भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब? नई रिपोर्ट में बड़ा दावा

    नई दिल्ली| एक नई संयुक्त रिपोर्ट में बड़ा अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2047 तक भारत की जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का योगदान 17% से बढ़कर 25% तक पहुंच सकता है। यह रिपोर्ट बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) और Z47 ने मिलकर जारी की है, जिसका नाम है- डिजिटाइजिंग मेक इन इंडिया 3.0"। रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले वर्षों में भारत न केवल अपनी उत्पादन क्षमता को कई गुना बढ़ाएगा, बल्कि एक वैश्विक औद्योगिक शक्ति के रूप में उभरने की पूरी तैयारी में है।

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    रिपोर्ट में कहा गया है कि मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और पीएलआई (उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन) जैसी सरकारी योजनाओं ने घरेलू मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को तेजी से मजबूत बनाया है। पांच प्रमुख सेक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा, ऑटो व ईवी, ऊर्जा और फार्मा मिलकर वर्ष 2047 तक 25 ट्रिलियन डॉलर के विशाल औद्योगिक अवसर का आधार बन सकते हैं।

    चार स्तंभों पर आधारित होगा मैन्युफैक्चरिंग हब

    BCG-Z47 रिपोर्ट बताती है कि भारत का मैन्युफैक्चरिंग भविष्य चार बड़े स्तंभों पर आधारित होगा:

    1. नवाचार को बढ़ावा देना

    2. रणनीतिक गहराई और सप्लाई चेन मजबूत करना

    3. वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना

    4. नई तकनीक अपनाकर दक्षता बढ़ाना

    2047 विजन को पूरा करने में क्षेत्रीय मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर अहम भूमिका निभाएंगे। रिपोर्ट में नोएडा, चेन्नई, होसूर और धोलेरा जैसे इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का उल्लेख है, जो पहले से ही निवेश, सप्लायर्स, साझा प्रयोगशालाओं और लॉजिस्टिक सुविधाओं के साथ तेजी से बढ़ रहे हैं।

    इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर उद्योग पर विशेष जोर दिया गया है। अनुमान है कि 2030 तक भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार 117 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंच सकता है, जो देश को वैश्विक सप्लाई चेन में मजबूत स्थान दिला सकता है। कुल मिलाकर, रिपोर्ट साफ संकेत देती है कि आने वाले दो दशक भारत के लिए मैन्युफैक्चरिंग क्रांति का दौर साबित हो सकते हैं।

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