दोस्त रूस से तेल खरीदना बंद कर दे हिंदुस्तान तो होगा कितना नुकसान? समझिए कितना बढ़ जाएगा ऑयल इंपोर्ट खर्च
अगर भारत रूस से कच्चे तेल का आयात बंद करने का फैसला करता है तो उसे अतिरिक्त लागत चुकानी पड़ेगी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अनुमान लगाया है कि अगर रूस से कच्चे तेल की खरीद बंद हो जाती है तो भारत का कच्चे तेल का आयात खर्च 9 अरब डॉलर से 12 अरब डॉलर के बीच बढ़ सकता है।

नई दिल्ली। भारत अपनी जरूरत का अधिकतर तेल रूस से खरीदता है। लेकिन अमेरिका को यह पसंद नहीं। राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस से तेल आयात करने को लेकर भारत पर 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है। भारत पर बढ़ा 25 फीसदी अधिक टैरिफ 27 से अगस्त से लागू होगा। लेकिन इससे पहले घोषित 25 फीसदी टैरिफ शुक्रवार 8 अगस्त से लागू हो गया है। ट्रंप के दबाव में आकर अगर भारत रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर देता है तो भारत का कच्चा तेल आयात खर्च बढ़ जाएगा। क्योंकि रूस हमें अन्य देशों की तुलना में कम कीमत पर तेल देता है। SBI ने इस पर एक रिपोर्ट जारी की है। आइए जानते हैं कि रूस से तेल खरीद बंद हुई तो भारत का आयात शुल्क कितना बढ़ जाएगा।
रूस से तेल आयात बंद होने पर कितना बढ़ेगा खर्च?
विश्व के सबसे बड़े तेल उपभोक्ताओं में से एक होने के नाते, भारत अपनी 85 प्रतिशत से अधिक तेल आवश्यकताओं के लिए विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर है।
SBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यदि भारत रूस से तेल आयात बंद कर देता है, तो उसका तेल आयात खर्च वित्त वर्ष 2026 में केवल 9 बिलियन डॉलर और वित्त वर्ष 2027 में 11.7 बिलियन डॉलर बढ़ सकता है।
रूस इस समय वैश्विक कच्चे तेल की आपूर्ति में 10 फीसदी का योगदान दे रहा है। अगर सभी देश रूस से कच्चे तेल की खरीद बंद कर दें और कोई अन्य देश अपना उत्पादन नहीं बढ़ाता है, तो कच्चे तेल की कीमतें 10% तक बढ़ सकती हैं।
यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूस से बढ़ाया तेल आयात
SBI ने रिपोर्ट में कहा कि भारत ने 2022 से रूसी तेल की खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। भारत को रूस ने 60 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल की छूट पर तेल बेचता है। दरअसल, यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका समेत पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत, रूस का एक प्रमुख निर्यातक है।
डेटा इंटेलिजेंस फर्म केपलर लिमिटेड के अनुसार, यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों और अमेरिका की ओर से जुर्माने की धमकी के कारण मांग की संभावना पर असर पड़ने के कारण रूसी कच्चे तेल को भारतीय खरीदारों को कम कीमत पर पेश किया जा रहा है।
सस्ते तेल ने भारतीय रिफाइनरियों की लागत कम कर दी है। वित्त वर्ष 2020 में भारत का रूस से तेल खरीद का प्रतिशत 1.7 फीसदी था, जो वित्त वर्ष 2025 में 35.1 फीसदी पहुंच गया। भारत ने वित्त वर्ष 2025 में रूस से 88 मिलियन मीट्रिक टन कच्चे तेल का आयात किया। वित्त वर्ष 2025 में भारत ने कुल 245 MMT तेल आयात किया।
रूस के अलावा भारत के पास कितने विकल्प?
SBI ने रिपोर्ट में बताया कि भारत इराक से तेल खरीदने पर विचार कर सकता है। रूस से तेल खरीदना बंद होने पर भारत इराक से तेल खरीदारी बढ़ा सकता है। रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले इराक, भारत का सबसे बड़े तेल आपूर्तिकर्ता था। इसके अलावा भारत सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से भी तेल खरीदने पर विचार कर सकता है।
युद्ध से पहले, भारत मध्य पूर्व और अफ्रीका जैसे अन्य देशों से तेल खरीद रहा था। इसलिए, भारत वार्षिक समझौतों के तहत पारंपरिक मध्य पूर्वी उत्पादकों की ओर रुख कर सकता है और आपूर्ति को बढ़ाने का अनुरोध कर सकता है।
भारतीय रिफाइनरियां ज्यादातर मध्य पूर्वी उत्पादकों से वार्षिक सौदों के तहत तेल खरीदती हैं, जिसमें हर महीने अधिक आपूर्ति का अनुरोध करने की सुविधा होती है। अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद से, रिफाइनरियां संयुक्त राज्य अमेरिका, मध्य पूर्व, पश्चिम अफ्रीका और अजरबैजान से कच्चा तेल खरीद रही हैं। भारत ने लगभग 40 देशों में अपनी आपूर्ति के स्रोतों में विविधता ला दी है। गुयाना, ब्राजील और कनाडा से और अधिक आपूर्ति भारतीय बाजार में आ रही है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।