भारत में GST तो पड़ोसी पाकिस्तान में क्या लगता है? चीनी, गुड़ से लेकर TV और फ्रिज पर देना होता है मोटा टैक्स
भारत में इस समय जीएसटी रेट कट (GST Rate Cut) को लेकर खूब चर्चा हो रही है। जीएसटी काउंसिल की बैठक हो रही है। लेकिन क्या आपको पता है कि पाकिस्तान में कौन सा टैक्स लगता है? पाकिस्तान में जनरल सेल्स टैक्स लगता है। अलग-अलग क्षेत्रों में यह अलग-अलग होते हैं।

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक आज नई दिल्ली में शुरू हुई है। इस बैठक में कई बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। GST Reform को लेकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से पहले ही घोषणा की थी कि वह इस बार देश को बड़ा तोहफा देने वाले हैं। जीएसटी को 5 और 18 फीसदी के दो स्लैब में रखा जा सकता है। अभी इसमें 5, 12, 18 और 28 फीसदी वाले चार स्लैब हैं। खैर ये तो हो गई भारत में लगने वाले जीएसटी की बात। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर हमारे पड़ोसी पाकिस्तान में कौन सा टैक्स लगता है। जैसे हिंदुस्तान में कुछ वस्तुओं को छोड़ दें तो सभी पर जीएसटी लगता है तो उसी प्रकार पाकिस्तान में क्या लगता है? आइए जानते हैं।
पाकिस्तान में लगता है ये वाला टैक्स?
जिस प्रकार भारत में जीएसटी लगता है, ठीक उसी प्रकार पड़ोसी पाकिस्तान में सेल्स टैक्स लगता है। पाकिस्तान में अलग-अलग वस्तुओं को अलग-अलग स्लैब में रखा गया है। पाकिस्तान में लगने वाले टैक्स को आमतौर पर जनरल सेल्स टैक्स (GST) कहा जाता है।
पाकिस्तान में टेलीविजन और रेफ्रिजरेटर सहित अधिकांश वस्तुओं पर संघीय बिक्री कर की दर 18% है, जो आयात और आपूर्ति के बिंदु पर लागू होती है। हालाँकि, आयातित और स्थानीय रूप से आपूर्ति किए जाने वाले वाहनों पर 25% अधिक बिक्री कर लागू हो सकता है, और अन्य विलासिता और गैर-जरूरी वस्तुओं पर जुलाई 2024 से 55% तक का नियामक शुल्क (आरडी) लगता है।
पाकिस्तान में अधिकतर वस्तुओं पर 18 फीसदी का टैक्स लगता है।पाकिस्तान में अलग-अलग प्रांतों में सर्विस पर लगने वाला सेल्स टैक्स अलग-अलग है। नीचे हमने टेबल में बताया है कि किस क्षेत्र में कितना सर्विस टैक्स लगता है।
यह कह सकते हैं कि पाकिस्तान में भी एक तरह से समान टैक्स व्यवस्था है। लेकिन यह पूरी तरह से एकीकृत नहीं है। पाकिस्तान की जीएसटी, वैल्यू-एडेड टैक्स (VAT) की तरह है। पाकिस्तान में जनरल सेल्स टैक्स को फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (FBR) और प्रांतीय टैक्स एजेंसियां अपने हिसाब से लागू करती हैं। यानी अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग टैक्स दरें।
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