INDIA बना ग्लोबल टैलेंट का सुपरपावर, 6 लाख भारतीय चला रहे दुनिया; OECD की रिपोर्ट- इस मामले में भारत नंबर-1
OECD की रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब कुशल कार्यबल का सबसे बड़ा स्रोत है। 2023 में लगभग 6 लाख भारतीय ओईसीडी देशों में काम करने गए। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भी भारत का महत्वपूर्ण योगदान है। कई देश वीजा नियमों को कड़ा कर रहे हैं, लेकिन भारतीय प्रतिभा की मांग अभी भी अधिक है। भारत अब केवल श्रम का निर्यात नहीं कर रहा, बल्कि कौशल का निर्यात कर रहा है।

INDIA बना ग्लोबल टैलेंट की सुपरपावर...दुनिया चला रहे 6 लाख भारतीय।
नई दिल्ली| दुनिया आज भारत के टैलेंट पर भरोसा कर रही है। OECD की इंटरनेशनल माइग्रेशन आउटलुक 2025 (International Migration Outlook 2025) रिपोर्ट बताती है कि भारतीय अब सिर्फ मजदूर नहीं, बल्कि डॉक्टर, नर्स, इंजीनियर, रिसर्चर और IT प्रोफेशनल के रूप में दुनिया की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं। 2023 में सबसे ज्यादा लोग अगर किसी एक देश से दुनिया के विकसित देशों में काम करने गए हैं, तो वो हैं भारत के युवा और प्रोफेशनल्स। यह सिर्फ माइग्रेशन नहीं, बल्कि भारतीय स्किल की ग्लोबल पहचान है।
भारत बना दुनिया का भरोसेमंद स्किल हब
2023 में लगभग 6 लाख भारतीय OECD देशों में काम करने के लिए गए। यह संख्या 2022 की तुलना में 8% ज्यादा है। OECD के मुताबिक, भारत अब नए माइग्रेंट्स और स्किल्ड वर्कफोर्स का दुनिया का नंबर 1 सोर्स है। अब माइग्रेशन सिर्फ लो-वेज जॉब्स के लिए नहीं, बल्कि स्किल्ड और सेमी-स्किल्ड प्रोफेशनल्स के लिए हो रहा है और इसमें भारत सबसे आगे है।
हेल्थकेयर सेक्टर में भारत की धाक
OECD डेटा के अनुसार-
| देश | प्रवासी डॉक्टर | प्रवासी नर्स |
| भारत | दुनिया में टॉप-3 | दुनिया में टॉप-2 |
| फिलीपींस | - | दुनिया में नंबर-1 |
| जर्मनी | टॉप-3 | - |
| चीन | टॉप-3 | - |
2021 से 2023 के बीच OECD देशों में जितने भी माइग्रेंट डॉक्टर गए, उनमें से 4 में से 1 एशिया से था, और अब यह संख्या सबसे ज्यादा भारत से है। इसी तरह माइग्रेंट नर्सों में सबसे बड़ा योगदान भारत का है।
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कौन से औपचारिक रास्ते खुल रहे हैं?
यूके में हेल्थ एंड केयर वर्कर वीजा और आयरलैंड में इंटरनेशनल मेडिकल ग्रेडुएट ट्रेनिंग इनिशिएटिव के रास्ते खुल रहे हैं। ये प्रोग्राम भारतीय डॉक्टरों और नर्सों को ट्रेनिंग, नौकरी और स्थायी करियर का मौका देते हैं।
सिर्फ हेल्थकेयर नहीं, ये सेक्टर भी भारत पर निर्भर
| कैटेगरी | देश | नौकरी का प्रकार | कैसे भर्ती? |
| हेल्थकेयर | UK, आयरलैंड, जर्मनी | डॉक्टर, नर्स | वर्क और ट्रेनिंग वीजा |
| बुजुर्गों की देखभाल | ऑस्ट्रेलिया | केयरगिवर, नर्स | Aged Care Labour Agreement |
| निर्माण व कृषि | ग्रीस | कंस्ट्रक्शन वर्कर, फार्मिंग | इंडिया–ग्रीस एग्रीमेंट (2024) |
नियम सख्त, लेकिन भारतीयों की डिमांड और ज्यादा
कई देश वीजा नियम कड़े कर रहे हैं, जैसे—
- पोलैंड: नौकरी कॉन्ट्रैक्ट अनिवार्य
- लातविया: न्यूनतम सैलरी बेंचमार्क
- फिनलैंड: वर्क एग्रीमेंट वेरिफिकेशन सिस्टम
इसके बावजूद भारत से भर्ती धीमी नहीं हुई, बल्कि ज्यादा पारदर्शी और स्किल-आधारित हुई है।
महिला और युवा भारतीयों की नई लहर
अधिक भारतीय महिलाएं अब केयरगिविंग, एजुकेशन जैसे सेक्टर में विदेश जा रही हैं। कई युवा ग्रेजुएट, जो विदेश में पढ़ाई के बाद वहीं काम शुरू कर रहे हैं, अब हेल्थ, IT और रिसर्च सेक्टर में छाप छोड़ रहे हैं। नतीजा- दुनिया को भारतीय स्किल की जरूरत है, और मांग और बढ़ेगी।
OECD रिपोर्ट साफ कहती है- "India is no longer just exporting labour, it is exporting skills." यानी भारत ने दुनिया को सिर्फ वर्कफोर्स ही नहीं दिया, बल्कि क्वालिटी टैलेंट, भरोसा और रिकवरी का समाधान दिया है। हालांकि रिपोर्ट यह भी कहती है कि भारत को खुद अपने हेल्थकेयर और स्किल सेक्टर की प्लानिंग मजबूत करनी होगी ताकि देश में कमी न हो।
OECD क्या है और इसका मकसद क्या है?
OECD यानी आर्थिक सहयोग और विकास संगठन। यह एक इंटरनेशनल ग्रुप है, जो 1961 में बना था। इसका हेडक्वार्टर पेरिस (फ्रांस) में है। अभी इसमें 38 देश हैं। ज्यादातर अमीर और लोकतांत्रिक देश जैसे अमेरिका, जापान, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया वगैरह। ये मिलकर दुनिया की दो-तिहाई से ज्यादा GDP और व्यापार कंट्रोल करते हैं।
इसका मकसद, सदस्य देशों में आर्थिक ग्रोथ, नौकरियां, अच्छा लाइफस्टाइल और पैसों की स्थिरता बढ़ाना है। साथ ही दुनिया भर में ट्रेड बढ़ाना, गरीब देशों की मदद करना, अच्छी पॉलिसी सुझाना और बराबरी-न्याय वाला समाज बनाना। ये कोई कानून नहीं बनाता, बस अच्छी सलाह, डेटा और रिपोर्ट देता है, ताकि सभी देश बेहतर फैसले लें।

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