निर्यातकों की होगी मौज, जल्द शुरू होगा देश का पहला ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब
निर्यातक हब में अपने माल को निर्यात के लिए बिल्कुल तैयार मोड में रख सकेंगे और आर्डर मिलते ही उन्हें निर्यात कर दिया जएगा। बजट में देश भर में 10 से अधिक ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब बनाने की घोषणा की गई थी। ताकि छोटे-छोटे शहरों के उद्यमी अपना आइटम विदेश में बेच सके। इससे निर्यातक कस्टम क्लीयरेंस पैकेजिंग और लेबलिंग जैसे काम ऑर्डर मिलने से पहले ही निपटा लेंगे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए मुख्य रूप देश के भीतर ही कारोबार होता है। ऑनलाइन बाजार के जरिए विदेश से ऑर्डर मिलने पर भी उसे खरीदार तक भेजने में होने वाली परेशानी को देखते हुए ई-कॉमर्स निर्यात बहुत ही सीमित रूप में होता है। लेकिन अब फरवरी से दिल्ली एयरपोर्ट के पास देश का पहला ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब शुरू होने जा रहा है। इससे ई-कॉमर्स निर्यात करना आसान हो जाएगा।
निर्यातकों को एक ही छत के नीचे तमाम सुविधाएं मिल जाएंगी। एक्सपोर्ट हब में ही कस्टम क्लीयरेंस से लेकर अन्य सभी निर्यात प्रक्रियाएं पूरी करने की तमाम सुविधाएं होंगी। हब में वेयरहाउस भी होगा जहां वे अपना माल रख सकेंगे। पैकेजिंग और लेबलिंग के लिए भी खास इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किए जा रहे हैं।
तैयार मोड में रहेगा माल
निर्यातक हब में अपने माल को निर्यात के लिए बिल्कुल तैयार मोड में रख सकेंगे और आर्डर मिलते ही उन्हें निर्यात कर दिया जएगा। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में देश भर में 10 से अधिक ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब बनाने की घोषणा की गई थी। ताकि छोटे-छोटे शहरों के छोटे-छोटे उद्यमी अपने आइटम को विदेश में बेच सके।
हब के जरिए निर्यात करने वालों को निर्यात से जुड़े सभी प्रकार के इंसेंटिव भी मिलेंगे। इंसेंटिव पाने के लिए निर्यात की कोई न्यूनतम राशि भी निर्धारित नहीं की गई है।
ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब बनाने के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने सभी संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श किया था। अब पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दिल्ली एयरपोर्ट के पास पहला एक्सपोर्ट हब तैयार हो रहा है। शिपराकेट और कार्गो सर्विस सेंटर नामक दो कंपनियों को इस एक्सपोर्ट हब को तैयार करने का काम दिया गया है।
फरवरी से काम करने लगेगा हब
विदेश व्यापार महानिदेशक संतोष कुमार सारंगी ने बताया कि फरवरी से यह हब काम करने लगेगा। उन्होंने बताया कि ई-कामर्स एक्सपोर्ट हब की मदद से वर्ष 2030 तक ई-कामर्स निर्यात को 100 अरब डालर तक ले जाने में मदद मिलेगी। इस हब में चौबीस घंटे सातों दिन कस्टम क्लियरेंस की सुविधा होगी। बार-बार चेकिंग या क्लियरेंस नहीं कराना होगा।
उन्होंने कहा कि निर्यात होने वाली वस्तु को निर्यातक खुद भी सील कर सकेंगे। निर्यातकों की मदद के लिए मान्यता प्राप्त एजेंट होंगे। हब के माध्यम से निर्यात होने वाली वस्तु अगर रिजेक्ट हो जाती है तो उसे विदेश से वापस मंगाने पर कोई आयात शुल्क नहीं देना होगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।