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    इनकम टैक्स रिफंड रुका या कैंसिल हुआ? आयकर विभाग ने किया साफ, साथ में टैक्सपेयर्स दी ये चेतावनी

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 07:07 PM (IST)

    आयकर विभाग ने उन मामलों में रिफंड प्रोसेसिंग को कुछ समय के लिए रोक दिया है, जिनमे रिटर्न में किए गए छूट के दावे, एम्प्लॉयर्स द्वारा फॉर्म 16 में बताई ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। एसेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए इनकम टैक्स रिफंड (Income Tax Refund) की उम्मीद लगाए बैठे ज़्यादा से ज़्यादा सैलरी क्लास टैक्सपेयर्स का इंतजार बढ़ता जा रहा। ऐसे में इस बात की आशंका गहरा गई है कि कहीं रिफंड कैंसिल तो नहीं हो गया है। हालांकि, इस भ्रम को आईटी डिपार्टमेंट ने दूर कर दिया है। दरअसल, आयकर विभाग (Income Tax Department) ने उन मामलों में रिफंड प्रोसेसिंग को कुछ समय के लिए रोक दिया है, जहां रिटर्न में किए गए छूट के दावे, एम्प्लॉयर्स द्वारा फॉर्म 16 में बताई गई सैलरी डिटेल्स से मेल नहीं खाते हैं।

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    यह बात सीधे टैक्सपेयर्स को भेजे गए ईमेल के ज़रिए सामने आई है, जिसमें चेतावनी दी गई है कि बहुत अधिक संख्या में रिफंड क्लेम होने की वजह से डिपार्टमेंट ने इंटरनल रिस्क चेक के तहत जांच शुरू की है।

    ITR और फॉर्म 16 में क्या गलती हुई?

    आयकर विभाग की ओर से भेजे गए मैसेज में ITR फॉर्म में क्लेम की गई छूट और फॉर्म 16 (एनेक्सर II) में बताए गए आंकड़ों के बीच 'काफी बड़े अंतर' की बात कही गई है। डिपार्टमेंट के अनुसार, ऐसी गड़बड़ियों से रिफंड की रकम बढ़ गई है, जिसके कारण प्रोसेसिंग से पहले रिटर्न को रोका गया है।

    'रिफंड रुका, रिजेक्ट नहीं हुआ'

    एक्सपर्ट्स ने बताया कि आयकर विभाग की ओर से रिफंड की प्रोसेसिंग रोक दी गई है, लेकिन रिजेक्ट नहीं की गई है। मिसमैच ठीक होने या समझाने के बाद रिफंड प्रोसेस होगा। दरअसल, ITR में दी गई डिटेल और टैक्स डिपार्टमेंट को मिले फाइनेंशियल डेटा के बीच कोई भी अंतर आने पर टैक्सपेयर्स को एक ऑटोमेटेड ईमेल/SMS भेजा जाता है।

    रिफंड के लिए अब क्या करें टैक्सपेयर्स?

    एक्सपर्ट्स ने सभी टैक्सपेयर्स को सलाह दी गई है कि वे यह जांच लें कि हाउस रेंट अलाउंस, लीव ट्रैवल अलाउंस या डिडक्शन जैसे सभी क्लेम किए गए छूट, डॉक्यूमेंट्स से पूरी तरह सपोर्टेड हैं और एम्प्लॉयर द्वारा जारी फॉर्म 16 में दिख रहे हैं।

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    वहीं, आयकर विभाग की ओर से ईमेल में चेतावनी दी गई है कि अगर इस पर कोई एक्शन नहीं लिया जाता है तो इस रवैये को जानबूझकर किया गया व्यवहार माना जा सकता है, जिससे बाद में मामले की ज़्यादा डिटेल से जांच होने की संभावना बढ़ जाएगी।

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