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    पाकिस्तान ने सुधार ली ये आदत, तो इकोनॉमी में लग जाएंगे चार चांद, IMF ने शहबाज शरीफ को बताया तरक्की का प्लान

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 05:47 PM (IST)

    इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने अनुमान जाहिर किया है कि अगर पाकिस्तान भ्रष्टाचार और शासन संबंधी विफलताओं से निपटता है, तो वह अगले पांच वर्षों में अपनी जीडीपी को 5% से 6.5% के बीच बढ़ा सकता है। फिलहाल, पाकिस्तान की जीडीपी ग्रोथ 3 फीसदी के आसपास है।

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    नई दिल्ली। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की हालत पिछले कुछ सालों से बेहद खराब है, खासकर नकदी संकट, कर्ज और बढ़ती महंगाई ने इस मुल्क की सरकार से लेकर लोगों को परेशान करके रखा है। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड पाकिस्तान को सशर्त कर्ज देता आया है। इस बीच अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अनुमान जाहिर किया है कि अगर पाकिस्तान भ्रष्टाचार और शासन संबंधी विफलताओं से निपटने में कामयाब होता है, तो वह अगले पांच वर्षों में अपनी जीडीपी को 5% से 6.5% के बीच बढ़ा सकता है। फिलहाल, पाकिस्तान की जीडीपी ग्रोथ 3 फीसदी के आसपास है।

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    दरअसल, एक तथाकथित निदानात्मक रिपोर्ट में टैक्सेशन, खरीद और पाकिस्तान के राजस्व प्राधिकरण की निगरानी में सुधारों की मांग की गई है।

    पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने लोड की रिपोर्ट

    आईएमएफ-विश्व बैंक की रिपोर्ट को पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने अपलोड किया है। इसमें बताया गया है कि हाल के वर्षों में किस तरह से खंडित विनियमन, अपारदर्शी बजट और राजनीतिक कब्जा निवेश को रोक रहे हैं और राजस्व को कमजोर कर रहे हैं।

    हालांकि, पाकिस्तान ने वित्त मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की है। पाकिस्तान सरकार 7 बिलियन डॉलर के आईएमएफ कार्यक्रम के तहत इस वर्ष 4.2% की वृद्धि का लक्ष्य रखे हुए है। आईएमएफ का कहना है कि पाकिस्तान की कर प्रणाली जटिल और विकृत है।

    क्या कर रही है पाकिस्तान सरकार

    पाकिस्तान का कहना है कि वह कर प्रशासन का डिजिटलीकरण कर रहा है, छूटों में कटौती कर रहा है और सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों का पुनर्गठन कर रहा है। इस रिपोर्ट में पाकिस्तान के कर निकाय, संघीय राजस्व बोर्ड, में कमज़ोर आंतरिक नियंत्रण, क्षेत्रीय कार्यालयों को व्यापक स्वायत्तता और इसकी आईटी शाखा की खराब निगरानी की ओर इशारा किया गया है।

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    आईएमएफ ने टैक्स पॉलिसी को सरल बनाने, एफबीआर का पुनर्गठन करने और अकाउंट ऑडिट को मज़बूत करने का आग्रह किया है। यह संसद की अनदेखी करने वाले पूरक अनुदानों पर पाकिस्तान की निर्भरता की भी आलोचना करता है।

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