बढ़ेगा ताप तो घटेगी पैदावार
बढ़ता तापमान हमारी रोटी, चावल, सब्जी और फल सब निगलने को तैयार है। बदलती जलवायु का खेती और सेहत पर पड़ने वाले असर का केद्र सरकार ने पहली बार व्यापक आकलन किया है। यह बताता है कि जरूरी उपाय नही किए गए तो जैसे-जैसे देश मे आबादी बढ़ेगी रोटी घटती जाएगी।
नई दिल्ली [मुकेश केजरीवाल]। बढ़ता तापमान हमारी रोटी, चावल, सब्जी और फल सब निगलने को तैयार है। बदलती जलवायु का खेती और सेहत पर पड़ने वाले असर का केंद्र सरकार ने पहली बार व्यापक आकलन किया है। यह बताता है कि जरूरी उपाय नहीं किए गए तो जैसे-जैसे देश में आबादी बढ़ेगी रोटी घटती जाएगी। शताब्दी के अंत तक गेहूं की उपज में एक चौथाई कमी आने का डर है। अन्य फसलों और फल-सब्जियों की उपज में भी 50 फीसद तक कमी हो सकती है। उस पर मलेरिया और डेंगू जैसे संक्रामक रोग पहले के मुकाबले ज्यादा खतरनाक तरीके से मौजूद होंगे।
इस सदी के अंत तक जब देश की आबादी बढ़कर 180 करोड़ हो चुकी होगी, हमारे खाने की थाली घटकर सबसे छोटी हो जाएगी। केंद्र सरकार के 21 मंत्रालयों और विभागों की ओर से मिलकर तैयार की गई एक रिपोर्ट में पहली बार इस खतरे को खुलकर कबूल किया गया है। इसके मुताबिक तापमान में पांच डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी से गेहूं की पैदावार 2.75 करोड़ टन तक घट सकती है। यानी मौजूदा उपज से भी 25 फीसद कम। इसी तरह तापमान में एक से चार डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी चावल की खेती में 49 फीसद तक की कमी ला सकती है। जितनी भी सब्जियों के बारे में यह अध्ययन किया गया, सभी की पैदावार में भारी गिरावट होती देखी गई। तापमान में एक से चार डिग्री के बदलाव से आलू की पैदावार में 5 से 40 फीसद, चने में 13 से 30 फीसद और सोयाबीन में 11 से 36 फीसद तक की कमी आ सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक सदी के अंत तक तापमान में 3.5 से लेकर 4.3 फीसद तक की बढ़ोतरी होगी। इसका असर सभी प्रमुख क्षेत्रों पर पड़ेगा। इसके मुताबिक एक डिग्री तक की बढ़ोतरी तक तो कुछ सामान्य उपाय कर खेती को संभाला जा सकता है। लेकिन, उससे ज्यादा बढ़ोतरी के असर को काबू कर पाना बहुत मुश्किल होगा। यह इसलिए भी ज्यादा चिंता का विषय है क्योंकि वर्ष 2020 तक ही अनाज की मांग 30 से 50 फीसद बढ़ जाएगी। उस पर अन्य क्षेत्र जिस तरह खेती की जमीन हथिया रहे हैं, उससे कृषि योग्य भूमि का रकबा लगातार घट रहा है।
जलवायु परिवर्तन पर गठित संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनएफसीसीसी के सदस्य के नाते तैयार की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक सेहत के लिहाज से भी यह बदलाव खतरनाक होगा। वर्ष 2030 तक उत्तार भारत के अधिकांश राज्यों में डेंगू और मलेरिया जैसी खतरनाक संक्रामक बीमारियों के संक्रमण की अवधि दोगुनी तक बढ़ सकती है।
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