Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    US Fed द्वारा ब्याज दर बढ़ाने से कैसे प्रभावित होते हैं दुनिया के बाजार, भारत पर क्या पड़ता है असर

    By Abhinav ShalyaEdited By:
    Updated: Mon, 19 Sep 2022 01:09 PM (IST)

    US Fed Rate Hike Impact on India अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने का सीधा असर विकासशील देशों के बाजारों पर पड़ता है। इससे अमेरिका में बॉन्ड यील्ड पर सकारात्मक प्रभाव होता है और निवेशक अपने ही देश में पूंजी लगाने के लिए प्रेरित होते हैं।

    Hero Image
    US Fed Rate Hike Impact on India Share Market

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। हाल ही में अमेरिका में महंगाई के आंकड़े जारी हुए। इनमें अनुमान से कम गिरावट देखी गई, जिसके बाद यह संभावना बढ़ गई है कि अमेरिका का फेडरल रिजर्व बैंक (अमेरिका का केंद्रीय बैंक) जल्द ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है। इस चिंता के कारण अमेरिका के साथ-साथ भारतीय शेयर बाजार में भी बड़ा उतार- चढ़ाव देखने को मिल रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऐसे में बहुत से लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर दुनिया के शेयर बाजार अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने से प्रभावित होते हैं? सबसे पहले बात भारत की।

    भारत और अमेरिका के बाजार में अंतर

    अमेरिका एक विकसित देश है। वहां पर विकास की सीमित संभावनाएं हैं। दूसरी तरफ भारत एक विकासशील देश है और यहां विकास की असीमित संभावनाएं हैं। विकास की सीमित संभावना होने के कारण अमेरिका में ब्याज दरें भारत की तुलना काफी कम है। इसी का फायदा उठाकर निवेशक अमेरिका के बैंकों से पैसा उठाकर भारतीय बाजारों में अधिक रिटर्न के लिए निवेश करते हैं।

    अमेरिका के बाजार निवेश को कैसे प्रभावित करते हैं?

    ब्याज दर बढ़ने का प्रभाव

    1. अमेरिकी में ब्याज दरों में इजाफा होना भारत को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के बाजारों को प्रभावित करता है। ब्याज दर बढ़ने के कारण निवेशकों को अधिक ब्याज का भुगतान करना होता है, इस कारण उनका रिटर्न कम हो जाता है और भारतीय बाजार उन्हें कम आकर्षक लगते हैं।

    2. अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने के कारण बॉन्ड यील्ड भी बढ़ जाती है, जो वहां के निवेशकों को उनकी अपने देश में निवेश करने के लिए प्रेरित करती है।

    3. ब्याज दर बढ़ने का नकारात्मक प्रभाव रुपये पर पड़ता है और इससे डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में गिरती है। इससे विदेश निवेशकों का रिटर्न भी कम हो जाता है।

    4. ब्याज दरों में होने वाले इस बदलाव से लंबी अवधि के विदेशी निवेशक प्रभावित नहीं होते हैं, वे बाजार में बने रहते हैं।

    ब्याज दर घटने का प्रभाव

    ऐसा नहीं है कि अमेरिका के बाजार भारत पर हमेशा नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, जब भी अमेरिका में ब्याज दर घटी है तो इसका सकारात्मक प्रभाव भी होता है। उदाहरण के लिए 30 अक्टूबर 2019 में अर्थव्यवस्था को मंदी में जाने से रोकने के लिए फेड ने 25 आधार अंक अमेरिका में ब्याज दर घटाई थी, जिसके अगले ही दिन सेंसेक्स रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था।

    ये भी पढ़ें-

    रूस से रियायती कच्चे तेल का आयात करके भारत को 35,000 करोड़ रुपये का लाभ

    क्या गिरते हुए बाजार में SIP जारी रखने हो सकता है बड़ा फायदा? जानें पूरी डिटेल